Bharat Ke Sabse Ameer Mukhymantri: भारत के सबसे अमीर मुख्यमंत्री कौन हैं? आइए जानते हैं भारत के सबसे अमीर मुख्यमंत्री के बारे में
Chandra Babu Naidu Richest CM in India: एन. चंद्रबाबू नायडू (N.Chandrababu Naidu)का जन्म 20 अप्रैल, 1950 को आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में हुआ था।उन्होंने तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।;
Indian Richest CM Chandra Babu Naidu: भारत के मुख्यमंत्रियों की संपत्ति के संबंध में उपलब्ध जानकारी के अनुसार, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू सबसे धनी मुख्यमंत्री हैं, जिनकी कुल संपत्ति 931 करोड़ रुपये से अधिक है।नायडू के बाद अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू(Pema Khandu) 332 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति के साथ दूसरे स्थान पर हैं।कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया(Sidhharamaiya) 51 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति के साथ तीसरे स्थान पर हैं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी(Mamta Benarjee) सबसे कम संपत्ति वाली मुख्यमंत्री हैं, जिनकी संपत्ति मात्र 15 लाख रुपये है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला 55 लाख रुपये की संपत्ति के साथ दूसरे सबसे कम संपत्ति वाले मुख्यमंत्री हैं। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन 1.19 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ तीसरे सबसे कम संपत्ति वाले मुख्यमंत्री हैं। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू पर 180 करोड़ रुपये की देनदारी है, जो सभी मुख्यमंत्रियों में सबसे अधिक है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर 23 करोड़ रुपये की देनदारी है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू पर 10 करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी है।
आइए सबसे अमीर मुख्यमंत्री को जानते हैं
एन. चंद्रबाबू नायडू (N.Chandrababu Naidu)का जन्म 20 अप्रैल, 1950 को आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में हुआ था।उन्होंने तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।उनका प्रारंभिक जीवन कृषि से जुड़ा रहा, क्योंकि उनका परिवार एक साधारण किसान परिवार था।
नायडू ने एक युवा कांग्रेस नेता के तौर पर राजनीति की शुरुआत की थी। इमरजेंसी के बाद वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। नायडू 1978 में चंद्रगिरि से पहली बार विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे। 1983 में वह एनटी रामाराव (एनटीआर) की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) में शामिल हुए।साल 1980 में जाने-माने अभिनेता और TDP के संस्थापक एन टी रामाराव (NTR) की बेटी नारा भुवनेश्वरी से शादी की। शादी के बाद भी नायडू कांग्रेस में ही थे। लेकिन 1983 के विधानसभा चुनाव में वह टीडीपी प्रत्याशी से हार गए। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर टीडीपी ज्वाइन कर ली।
ससुर से की बगावत
नायडू ने 1995 में उस वक्त आंध्र के सीएम और अपने ससुर एन टी रामाराव के खिलाफ बगावत की। दरअसल, 1994 के विधानसभा चुनाव में टीडीपी प्रचंड बहुमत से जीती थी। एनटीआर सीएम बने और पार्टी की कमान अपनी दूसरी पत्नी एन लक्ष्मी पार्वती को सौंप दी। नायडू समेत एनटीआर के अन्य दामाद व सभी विधायक इसके खिलाफ थे।जब सबने एनटीआर के इस कदम की आलोचना की तो उन्हें सजा के दौर पर पार्टी से बाहर जाने को बोल दिया गया। इसके बाद नायडू के नेतृत्व में सभी विधायकों ने सत्ता पलट कर दिया। आखिर में एनटीआर को इस्तीफा देना पड़ा और नायडू ने सीएम की कुर्सी संभाली। फिर विधानसभा में बहुमत साबित कर खुद मुख्यमंत्री बन गए थे। 2004 तक सीएम के तौर पर काम किया। कई कारणों से वह राज्य में अपनी सत्ता नहीं बचा पाए।
साल 2014 में वह फिर से सीएम बने। 2019 में वह जगन रेड्डी की पार्टी से हार गए थे।इस बार फिर भाजपा के समर्थन से आंध्र प्रदेश में टीडीपी ने शानदार जीत दर्ज की है। इतना ही नहीं वह सबसे लंबे समय तक विपक्ष के नेता भी रहे हैं।
नायडू को आधुनिक हैदराबाद का मुख्य वास्तुकार भी माना जाता है। चंद्रबाबू नायडू ने हैदराबाद को हाई-टेक शहर के रूप में विकसित करने और एक प्रमुख केंद्र में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इतना ही नहीं, उन्होंने केंद्र में राजग की सरकार बनाने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को बाहर से समर्थन दिया और सरकार गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चंद्रबाबू नायडू ने अमरावती को विभाजित आंध्र की राजधानी बनाने का बीड़ा भी उठाया। लेकिन 2019 में सत्ता से बाहर होने के बाद इसे पूरा नहीं कर पाए थे।
चंद्रबाबू नायडू को उनकी राजनीतिक चतुराई और रणनीतिक सोच के लिए जाना जाता है।उन्होंने गठबंधन राजनीति में महारत हासिल की और कई बार राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
धन संपत्ति का स्रोत - नायडू का परिवार कृषि और रियल एस्टेट से जुड़ा रहा है। उनकी संपत्ति का बड़ा हिस्सा भूमि और अन्य निवेशों से आता है।मुख्यमंत्री रहते हुए, उन्होंने राज्य में बड़े पैमाने पर औद्योगिक निवेश को प्रोत्साहित किया। कई परियोजनाओं में निजी और विदेशी निवेश के कारण उनकी संपत्ति बढ़ी।
उनके पास कई कंपनियों और व्यापारिक समूहों में हिस्सेदारी होने की बात कही जाती है। नायडू ने अपनी संपत्ति को पारदर्शी रूप से घोषित किया है। 2022 में उनकी घोषित संपत्ति 931 करोड़ रुपये थी, जिससे वे देश के सबसे धनी मुख्यमंत्रियों में से एक बने।
आर्थिक और सामाजिक योगदान
नायडू ने हैदराबाद(Hyderabad) को एक वैश्विक आईटी हब बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम और अन्य बड़ी कंपनियों को हैदराबाद में निवेश करने के लिए प्रेरित किया।साइबराबाद (Cyberabad) क्षेत्र का विकास उनके नेतृत्व का बड़ा उदाहरण है।
नायडू ने अमरावती (Amravati)को आंध्र प्रदेश की राजधानी के रूप में विकसित करने की योजना बनाई। हालांकि यह परियोजना विवादों में रही। लेकिन उनके प्रयासों ने राज्य में बुनियादी ढांचे को मजबूती दी।उनके कार्यकाल में किसानों के लिए कई योजनाएं शुरू की गईं, जिनमें सिंचाई परियोजनाएं और सब्सिडी शामिल थीं।उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी पहुंच बढ़ाने पर जोर दिया।राज्य में शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए कई योजनाएं लागू की गईं।
चुनौतियां और आलोचनाएं
- तेलंगाना के गठन के बाद आंध्र प्रदेश को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें राजधानी का विकास और आर्थिक पुनर्गठन शामिल था।नायडू की योजनाओं को लेकर आलोचनाएं भी हुईं, खासकर अमरावती परियोजना को लेकर।
- नायडू पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, हालांकि उन्होंने हमेशा इन आरोपों का खंडन किया।कई परियोजनाओं में पारदर्शिता की कमी की भी आलोचना हुई।2019 के चुनावों में नायडू और उनकी पार्टी को भारी नुकसान हुआ, जिससे वे मुख्यमंत्री पद से हट गए।
- 2023 सितंबर में नायडू को स्किल डेवलेपमेंट घोटाले (Skill Development ghotala)में राज्य की सीआईडी ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्होंने खुद को फिर से राजनीतिक रूप से साबित किया है। तड़के गिरफ्तार किये गए नायडू ने लगभग दो महीने राजामहेंद्रवरम केंद्रीय जेल में बिताए ।
- राज्य में भाजपा के साथ गठबंधन में होने के बावजूद मुस्लिम आरक्षण जैसे मुद्दे पर नायडू ने अपना अलग रुख रखा और मुस्लिम आरक्षण की पैरवी की। उन्होंने खुलकर कहा, हम शुरू से ही मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण का समर्थन कर रहे हैं और यह जारी रहेगा। नायडू ने 2002 में गुजरात दंगे के बाद मोदी का विरोध किया था.
- आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर नायडू के नाम पर कई कीर्तिमान भी हैं।वह आंध्र प्रदेश के सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे हैं। उन्होंने कई कार्यकाल में 13 साल 247 दिन तक मुख्यमंत्री का पद संभाला है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश के वह ऐसे एकमात्र नेता हैं जिन्होंने अविभाजित और विभाजन (आंध्र से अलग कर तेलंगाना का गठन) के बाद राज्य की बागडोर संभाली।
राज्य के विकास में योगदान
नायडू ने राज्य में ई-गवर्नेंस और डिजिटल इंडिया की दिशा में कई पहल कीं।उन्होंने तकनीकी प्रगति को प्राथमिकता दी, जिससे आंध्र प्रदेश कई क्षेत्रों में अग्रणी बना।उनके नेतृत्व में आंध्र प्रदेश की अर्थव्यवस्था में तेजी से वृद्धि हुई।उन्होंने विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए नीतिगत सुधार किए।
नायडू ने किसानों के संकट को दूर करने के लिए ऋण माफी और अन्य योजनाएं लागू कीं।उनकी नीतियों का प्रभाव कृषि उत्पादन पर देखा गया।
एन. चंद्रबाबू नायडू भारत के सबसे धनी मुख्यमंत्रियों में से एक हैं और उन्होंने आंध्र प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी संपत्ति का बड़ा हिस्सा उनके परिवारिक व्यवसाय और राजनीतिक प्रभाव से संबंधित है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 31 मुख्यमंत्रियों की कुल संपत्ति 1,630 करोड़ रुपये है, जिससे प्रति मुख्यमंत्री औसत संपत्ति 52.59 करोड़ रुपये होती है। ADR की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 42 फीसदी मुख्यमंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।भारत की प्रति व्यक्ति शुद्ध राष्ट्रीय आय (NNI) 2023-2024 के लिए लगभग 1,85,854 रुपये थी, जबकि एक मुख्यमंत्री की औसत स्व-आय 13,64,310 रुपये है, जो भारत की औसत प्रति व्यक्ति आय का लगभग 7.3 गुना है।