इस खतरनाक बीमारी से हर 4 मिनट में हो रही एक बच्चे की मौत, ऐसे कैसे करें बचाव

छोटे बच्चों की तबीयत खराब होने में ज्यादा समय नहीं लगता है और अगर इस वक्त बच्चों की देखभाल सही से न की जाए तो इससे उनकी मौत भी हो सकती है।

Update: 2019-11-28 10:07 GMT
इस खतरनाक बीमारी से हर 4 मिनट में हो रही एक बच्चे की मौत, ऐसे कैसे करें बचाव

छोटे बच्चों की तबीयत खराब होने में ज्यादा समय नहीं लगता है और अगर इस वक्त बच्चों की देखभाल सही से न की जाए तो इससे उनकी मौत भी हो सकती है। 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत में निमोनिया सबसे बड़ा कारण है। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि, भारत में निमोनिया की वजह से होने वाली बच्चों की मृत्यु दर 14.3 फीसदी है। जिसका मतलब है कि देश में हर चार मिनट में एक बच्चे की इस बीमारी से मौत हो जाती है। हाल ही में एक रिपोर्ट में ये जानकारी साझा की गई है।

भारत में निमोनिया के परिस्थिति का विश्लेषण करने के लिए 'सेव द चिल्ड्रन' संस्था ने उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, झारखंड और राजस्थान पर आधारित एक अध्ययन किया। अध्ययन करने के बाद रिपोर्ट में ये बात सामने आई कि, देश में निमोनिया से हर चार मिनट में एक बच्चे की मौत हो रही है। इन पांचों राज्यों में एआरआई यानी एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन का प्रचलन दर 13.4 फीसदी दर्ज किया गया।

यह भी पढ़ें: इमरान ये क्या किया! इस पर फंस गए पीएम साहब बहुत बुरा, कराई बेइज्जती

रिपोर्ट के मुताबिक, इन पांचों राज्यों में बिहार की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जबकि राजस्थान की स्थिति बिहार के मुकाबले कम खराब है। रिपोर्ट में ये भी सामने आया कि, घर में वायु प्रदूषण का होना बचपन में होने वाले निमोनिया के लिए एक अहम कारक है।

राज्य ARI दर

उत्तर प्रदेश 15.9 फीसदी

बिहार 18.2 फीसदी

मध्य प्रदेश 11.6 फीसदी

झारखंड 12.8 फीसदी

राजस्थान 8.4 फीसदी

क्या होता है निमोनिया

दरअसल, निमोनिया सांस से जुड़ा एक ऐसा भयंकर रोग है। इस बीमारी में फेफड़े में संक्रमण हो जाता है। इसमें फेफड़ों में सूजन आने के साथ-साथ द्रव या मवाद भी भर जाता है। 5 साल और इससे अधिक उम्र के बच्चों को निमोनिया होने का अधिक खतरा होता है। मौसम बदलने, सर्दी लगने, फेफड़ों में चोट लगने, खसरा और चिकनपॉक्स जैसी बीमारियों के होने से निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है।

यह भी पढ़ें: यहां हुआ भीषण विस्फोट, तुरंत खाली कराए गए तीन बड़े शहर

ये हैं लक्षण

सांस लेने में दिक्कत महसूस होना

सांस लेते वक्त गले से सीटी जैसी आवाज आना

तेज-तेज और कम गहरी सांस लेना

हंसली (कॉलरबोन) से ऊपर पसिलयों के बीच की त्वचा का बार बार अंदर धंसना

बच्चे का बार बार खांसना

बच्चे के हाथ और अंगुली के नाखून का रंग नीला पड़ जाना

यह भी पढ़ें: इन क्रिकेटर्स की पत्नियां! जिनके बारे में आप ये नहीं जानते होंगे, हैं बहुत खूबसूरत

बरतें ये सावधानियां

कीटाणु न फैल पाएं इसके लिए बच्चे के हाथ को बार-बार धोते रहें।

घर में बच्चों की देखभाल करते वक्त अपने हाथों की भी सफाई रखें।

बच्चे को पहले छह माह तक अपना स्तनपान जरुर कराएं

स्वास्थ्य विभाग की तरफ से निर्धारित टीकें लगवाएं

बच्चे को तरल पदार्थ का सेवन अधिक कराएं

चिकित्सक की सलाह से भाप लेना भी फायदेमंद रहेगा

यह भी पढ़ें: अभी और महंगी होगी प्याज, केन्द्रीय मंत्री ने महंगाई काबू करने पर खड़े किये हाथ

Tags:    

Similar News