Health : दूध व खट्टा साथ खाने से भी हो सकता है सोरायसिस

Update: 2017-12-08 08:09 GMT

आयुर्वेदाचार्य डॉ. हरीश भाकुनी

लखनऊ। सोरायसिस त्वचा संबंधी ऐसा रोग है जिसमें त्वचा की कोशिकाओं में तेजी से वृद्धि होने लगती है। यह बीमारी ठंड के दिनों में ज्यादा बढ़ जाती है। आयुर्वेद के मुताबिक यह समस्या वात-पित्त के असंतुलन से होती है। इसके कारण शरीर में विषैले तत्व इकट्ठे हो जाते हैं जो रक्त व मांसपेशियों के अलावा इनके अंदर के ऊत्तकों को संक्रमित करने लगते हैं जिससे व्यक्ति इस बीमारी से ग्रसित हो जाता है। यह समस्या ज्यादातर कोहनी, घुटने व सिर की त्वचा को प्रभावित करती है।

सोरायसिस के कारण

इसके अधिकतर केसों में आनुवांशिकता को भी इसका मुख्य कारण माना जाता है। जैसे किसी माता-पिता को यह बीमारी है तो बच्चे को भी हो सकती है। अगर यह रोग केवल माता को है तो बच्चे में इसका खतरा १५ प्रतिशत बढ़ जाता है। वहीं माता-पिता दोनों को ऐसी परेशानी है तो बच्चे में इसकी आशंका ६0 प्रतिशत तक होती है। इसके अलावा दो अलग किस्म के भोजन से भी इस बीमारी का खतरा पैदा हो जाता है।

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इसे आयुर्वेद में विपरीत आहार के नाम से जानते हैं जैसे दूध के साथ खट्टी व नमकीन चीजें खाने से भी यह बीमारी हो सकती है। इस तरह के फूड को आयुर्वेद में मना किया गया है। त्वचा कटने, चोट लगकर घाव होने या जलने, एलर्जी वाली दवाओं के नियमित इस्तेमाल, धूम्रपान व शराब की लत और अधिक तनाव से भी यह समस्या हो सकती है। इसलिए इनका ध्यान रखना चाहिए।

सोरायसिस के लक्षण

सोरायसिस में त्वचा पर सफेद परत पडऩा और खुजली होना मुख्य लक्षण हैं। इसके साथ ही त्वचा में जलन, फोड़े-फुंसी और फफोले निकल आना, त्वचा में दर्द और कहीं-कहीं सूजन भी इसके लक्षण हैं। कई बार मरीजों को त्वचा पर रुखे धब्बे व धब्बों से खून आने की समस्या होती है।

आयुर्वेदिक उपचार

इससे बचने के लिए केले के ताजे पत्ते को प्रभावित स्थान पर आधे घंटे के लिए रखें। आधा चम्मच तिल के दाने लेकर एक गिलास पानी में रात भर भिगों दें। सुबह खाली पेट छानकर पानी पिएं।

नियमित करेले का 1-2 कप रस सुबह खाली पेट पिएं। यदि इसे पचाने या कोई और परेशानी हो तो इसमें एक चम्मच नींबू रस भी मिला सकते हैं। इससे कड़वापन भी कम होगा और समस्या भी नहीं होगी।

सोरायसिस के मरीज ये न करें

इसके मरीज दो अलग प्रकृति का भोजन एक साथ करने से बचें। जैसे दूध के साथ खट्टा और मछली के साथ मिल्क प्रोडक्ट आदि।

मरीज को लंबी यात्रा से बचना चाहिए। अगर जरूरी है तो बीच में ब्रेक देते जाएं।

कभी भी व्यायाम या कोई शारीरिक गतिविधि के बाद तुरंत ठंडे पानी से स्नान न करें। इससे समस्या बढ़ जाएगी।

उल्टी, यूरिन आदि को ज्यादा देर न रोकें। खट्टी, तली-भुनी व अपच पैदा करने वाली चीजें न खाएं।

राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर

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