Morning Mantras: सुबह उठते ही करें इन मंत्रों का जाप, खुल जाएगी किस्मत

Subah Ke Liye Mantra In Hindi: सुबह-सुबह कुछ मंत्रों का जाप करने से जीवन में सफलता हासिल होती है। साथ ही आपकी किस्मत का ताला खुलता है।

Written By :  Shreya
Update: 2024-09-03 03:30 GMT

Morning Mantras (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Mantras For Morning: सनातम धर्म में सुबह के समय को बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण बताया गया है। खासकर, ब्रह्म मुहूर्त को। इसलिए हर व्यक्ति को सुबह जल्दी उठने की सलाह दी जाती है। सुबह उठकर सबसे पहले ईश्वर को याद और उन्हें प्रणाम करने से पूरा दिन अच्छा बीतता है। इसके लिए कुछ श्लोक और मंत्र बनाए गए हैं। इन मंत्रों से जीवन में सकारात्मकता भी बना रहती है। साथ ही कुछ मंत्र ऐसे भी होते हैं, जिनका सुबह-सुबह जाप करने से व्यक्ति को सफलता हासिल होती है और आर्थिक स्थिति भी बेहतर बनती है। आज हम आपको कुछ ऐसे ही मंत्रों का बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका जाप करके आप अपने जीवन में बेहतरीन परिणाम देख सकते हैं। इनका उच्चारण आपको सुबह उठने के बाद ही करना चाहिए। चलिए जानते हैं इनके बारे में।

सुबह उठते ही करें इन मंत्रों का जाप (Subah Uthte Hi Konsa Mantra Bole)

1- "कराग्रे वसति लक्ष्मीः, कर मध्ये सरस्वती।

करमूले तु गोविन्द: प्रभाते करदर्शनम्।।"

जैसे ही आप सुबह सोकर उठे, वैसे ही अपनी हथेलियों को जोड़कर इस मंत्र का उच्चारण करें। यह एक बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है, जिसके उच्चारण से किस्मत का उदय होता है। इस मंत्र का अर्थ है, हथेलियों के अग्रभाग में मां लक्ष्मी, मध्य भाग में मां सरस्वती और मूल भाग में गोविंद का निवास है। सुबह मैं इनके दर्शन करता है।

2- "सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित:

मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।।"

यह धन प्राप्ति के लिए एक बेहद शक्तिशाली मंत्र है। साथ ही इसके जाप से आपको परेशानियों से भी मुक्ति मिल सकती है। इस मंत्र का अर्थ होता है... हे मां, मनुष्य तुम्हारे प्रसाद से सब बाधाओं से मुक्त और धन, धान्य एवं पुत्र से सम्पन्न होगा। इसमें जरा भी संदेह नहीं है।

3- "गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा

गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम:।।"

सफलता प्राप्ति के लिए यह मंत्र बहुत ही पावरफुल माना जाता है। सुबह इस मंत्र का जाप करने से भी आपके तरक्की के रास्ते खुल सकते हैं। इस मंत्र का अर्थ यह होता है कि गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूं।

4- त्वमेव माता च पिता त्वमेव। त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।

त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव। त्वमेव सर्वम् ममदेव देव।

इस मंत्र का अर्थ होता है, हे ईश्वर तुम ही मेरी माता हो और तुम ही मेरे पिता हो, तुम ही मेरे भाई हो और तुम ही मेरे मित्र हो। तुम ही विद्या हो, तुम ही धन हो, हे देवों के देव! तुम ही, मेरे सब कुछ हो।

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