नई दिल्ली: गांधीवादी समाजसेवक अन्ना हजारे ने पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर देश में पनप रहे भ्रष्टाचार और किसानों की समस्याओं पर अपनी नाराजगी का इजहार किया था। पीएम ने जब कोई जवाब नहीं दिया तो अन्ना ने अब आंदोलन करने का निर्णय ले लिया है।
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क्या था चिट्ठी में
अन्ना ने लिखा कि 6 साल बाद भी भ्रष्टाचार को रोकने वाले एक भी कानून पर अमल नहीं हो पाया। लोकपाल, लोकायुक्त की नियुक्ति करने वाले और भ्रष्टाचार को रोकनेवाले सभी सशक्त बिलों पर सरकार सुस्ती दिखा रही है। किसानों की समस्याओं को लेकर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट पर भी अमल नहीं किया जा रहा है।
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6 साल हो गए आंदोलन के, लेकिन कुछ नहीं बदला
अन्ना ने भ्रष्टाचार मुक्त भारत को बनाने के लिए वर्ष 2011 में दिल्ली के रामलीला मैदान में जन-आंदोलन किया। इसके बाद 27 अगस्त 2011 को संसद में कहा गया कि केंद्र सहित हर एक राज्य में लोकपाल, लोकायुक्त और सिटिजन चार्टर पर जल्द से जल्द कानून बनाया जाएगा, लेकिन इतना समय गुजर गया और इस मामले पर कोई भी कदम नहीं उठाया गया।
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अन्ना बीजेपी से नाराज
अन्ना ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि लोकपाल और लोकायुक्त कानून बनते समय संसद के दोनो सदनों में विपक्ष की भूमिका निभा रही बीजेपी ने भी इस कानून को समर्थन दिया था। इसके बाद हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में आपकी पार्टी सरकार बनी। लोकपाल आंदोलन के बाद देश की जनता ने बड़ी उम्मीद से आपके नेतृत्व में नई सरकार को चुना था। वहीं नई सरकार को मुद्दों पर अमल करने के लिए पर्याप्त समय देना जरुरी था।
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उन्होंने लिखा सत्ता में आने से पहले आपने आश्वासन दिया था कि भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाएंगे। हालांकि आप 3 साल से लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ती नहीं कर सके। सुप्रीम कोर्ट ने भी आपकी सरकार को बार-बार फटकार लगाई है।
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अन्ना ने चिट्ठी में लिखा कि पिछले 3 वर्ष में आपकी सरकार ने किसी चिट्ठी का उत्तर नहीं दिया। इसके लिए अब मैने दिल्ली में आंदोलन करने का निर्णय लिया है।