Elections : मुद्दे हवा, जातीय समीकरण हावी

Update:2019-05-10 13:03 IST
Elections : मुद्दे हवा, जातीय समीकरण हावी

राजेन्द्र तिवारी

मिर्जापुर: वाराणसी के बाद पूर्वान्चल की सबसे हॉट सीट मानी जा रही मिर्जापुर संसदीय सीट पर चुनाव जोर पकड़ रहा है। इस सीट से केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, एनडीए के अपना दल कोटे से चुनाव मैदान में हैं। महागठबंधन की ओर से यह सीट सपा के खाते में है। यहां सपा ने राम चरित्र निषाद को मुकाबले में उतारा है। निषाद पहले भाजपा में थे और मछली शहर सीट से सांसद थे। इस बार पार्टी से टिकट न मिलने पर पाला बदल दिया है। सपा ने उन्हें मिर्जापुर से अपने पहले घोषित उम्मीदवार राजेन्द्र बिन्द को बदल कर टिकट दिया है। कांग्रेस ने एक बार फिर पुराने नेता कमलापति त्रिपाठी के प्रपौत्र ललितेश त्रिपाठी पर अपना भरोसा व्यक्त किया है। वैसे यहां कुल नौ उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।

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मां विन्ध्यवासिनी की नगरी में पीतल, पत्थर और कालीन उद्योग तथा बुनकरों की समस्या आदि कोई चुनावी मुद्दा नहीं है। अपना दल प्रत्याशी अनुप्रिया पटेल अपने द्वारा जिले में कराए गए विकास कार्यों के साथ मोदी को पुन: प्रधानमंत्री बनाने के नाम पर वोट मांग रहीं है। राष्ट्रवाद विकास पर उनका ज्यादा फोकस है। सपा प्रत्याशी रामचरित्र निषाद अखिलेश यादव और मायावती का गुणगान कर रहे हैं। मिर्जापुर में नए होने की वजह से वह विकास का कोई विजन नहीं प्रस्तुत कर पा रहे हंै। पूर्व सांसद फूलन देवी का भी नाम लेना वह नहीं भूलते। वह फूलन की बिरादरी के भी है ।

कांगे्रस प्रत्याशी ललितेश पति त्रिपाठी अपने परिवारवालों द्वारा जिले में कराए गए विकास कार्यों के साथ कांग्रेस के घोषणा पत्र के प्रमुख अंश 'न्याय योजना' के 72 हजार रुपए और 22 लाख नौकरियों के वादों को जनता के बीच प्रमुखता से रख रहे हैं।

मिर्जापुर में मतदान लोकसभा चुनाव के अन्तिम चरण में 19 मई को होना है। मिर्जापुर में कुल 18,05,886 मतदाता हैं। जिसमें दलित मतदाताओं की संख्या लगभग 25 प्रतिशत जानी 4,52,381 है। इस सीट पर सबसे अधिक पिछड़ों की संख्या है जो लगभग 49 प्रतिशत (8,90,221) है। जब कि सामान्य वर्ग के मतदाता 25 प्रतिशत (4,24,022) है ।

इस चुनाव में मुद्दों के स्थान पर जातीय समीकरणों की चर्चा चल रही है। जातीय गुणाभाग एवं जोड़ घटाना चल रहा है। चट्टी-चौराहों पर चुनाव की चर्चा तो है पर कौन बिरादरी किसको वोट दे रही है, कौन बिरादरी टूट रही है, इसी बात को लेकर चुनावी मंथन दिख रहा है।

पिछले चुनाव में अपना दल प्रत्याशी अनुप्रिया पटेल को बड़े मार्जिन से सफलता मिली थी, उन्हें लगभग 52 प्रतिशत मत मिले थे। इस बार भी उन्हें कोई चुनौती नहीं दिख रही है। प्रचार के क्षेत्र में भाजपा अपना दल प्रत्याशी अपने प्रतिद्वद्वियों से काफी आगे है। सपा ने यहां अंतिम क्षण में प्रत्याशी अवश्य बदल दिया है पर इसका कोई विशेष लाभ मिलता नहीं दिख रहा है। बल्कि निषाद और बिन्द के बीच प्रत्याशी अटक गया है। सपा, बसपा में तालमेल का अभाव जमीन पर स्पष्ट दिख रहा है। सपा प्रत्याशी को अपने परम्परागत वोट का सहारा है। कांगे्रस प्रत्याशी ललितेशपति त्रिपाठी चुनाव को त्रिकोणीय बनाने में लगे है पर जातीय समीकरणों के अभाव में आम मतदाता नोटिस में नहीं ले रहा है। पूरा चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के इर्दगिर्द घूम रहा है। मोदी हटाओ मोदी बैठाओ ही चर्चा में है।बहरहाल अभी बड़े नेताओं का दौर शुरू नहीं हुआ है। दलित मतदाता खामोश है। यही स्थिति मुसलमानों की भी है। वैसे, फिलहाल यहां मुख्य मुकाबला अपनादल और सपा-बसपा गठबंधन के बीच ही दिख रहा है।

 

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