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अयोध्या केस: SC ने मामले की मध्यस्थता का समय 15 अगस्त तक बढ़ा दिया

अयोध्या केस से संबंधित सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मध्यस्थों के पैनल ने अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी है। अब सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पर टिकी रहेगी।अयोध्या मामले पर मध्यस्थता की प्रक्रिया के आदेश के बाद आज पहली बार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।

Anoop Ojha
Published on: 10 May 2019 3:24 AM GMT
अयोध्या केस: SC ने मामले की मध्यस्थता का समय 15 अगस्त तक बढ़ा दिया
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नई दिल्ली: अयोध्या मामले पर मध्यस्थता की प्रक्रिया के आदेश के बाद शुक्रवार को पहली बार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान जस्टिस एफएमआई खलीफुल्ला ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें मध्यस्थता प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 15 अगस्त तक का समय मांगा गया। इसके बाद कोर्ट ने मामले की मध्यस्थता का समय 15 अगस्त तक बढ़ा दिया।

इसके पहले अयोध्या केस से संबंधित सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मध्यस्थों के पैनल ने अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी है। अब सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पर टिकी रहेगी।अयोध्या मामले पर मध्यस्थता की प्रक्रिया के आदेश के बाद आज पहली बार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।

मध्यस्थों के अंतरिम रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की बेंच सुनवाई करेगी।मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर की संवैधानिक बेंच करेगी।

आज की सुनवाई से पता चलेगा कि मध्यस्थता प्रक्रिया ने क्या हासिल किया। क्योंकि अदालत ने आदेश दिया था कि प्रक्रिया पूरी तरह से गोपनीय होनी चाहिए।

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अदालत ने 8 मार्च को कहा था कि यह सिर्फ टाइटल सूट का मामला नहीं है, बल्कि आम जन की भावना से भी जुड़ा हुआ है। ऐसे में ये बेहतर होगा कि एक बार फिर मिलजुल कर इस मसले को तार्किक परिणाम तक पहुंचाया जाए। कोर्ट के इस फैसले का सभी पक्षों ने समर्थन किया था। ये बात अलग है कि कुछ हिंदूवादी संगठनों की तरफ से आपत्ति जताई गई थी। लेकिन अदालत ने साफ किया कि भारत जैसे विविधता वाले देश में इस संवेदनशील मुद्दे पर एक बार फिर मिलजुल कर प्रयास करने में हर्जा नहीं है।

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि मध्यस्थता प्रक्रिया पूरी तरह से गोपनीय होनी चाहिए. कोई भी मीडिया, न तो प्रिंट और न ही इलेक्ट्रॉनिक को कार्यवाही की रिपोर्ट करनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने जो 8 हफ्ते की समय सीमा दी थी वो 3 मई को समाप्त हो गई।ऐसे में आज मालूम पड़ सकता है कि 8 हफ्ते की जो मध्यस्थता प्रक्रिया थी उसमें क्या हासिल हुआ।

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रिटायर्ड जस्टिस एफ एम कलीफुल्ला

आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर

वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू

Anoop Ojha

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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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