भाजपा के लिए 2014 का करिश्मा दिखाने की चुनौती
रॉबर्ट्सगंज, मिर्जापुर वारणशी चंदौली गाजीपुर बलिया सलेमपुर घोसी बांसगांव देवरिया गोरखपुर महराजगंज और कुशीनगर में चुनावी चक्रवहू के अंतिम चरण में जोरदार टक्कर का सामना भाजपा को करना पड़ रहा है। पूर्वांचल में सातवें चरण की 13 सीटों पर होने वाले चुनाव में सपा 8 और बसपा 5 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के चुनाव में मुहाने पर खड़ी भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती 2014 की सफलता दोहराने की होगी। पिछले चुनाव में सातवें चरण की 13 की 13 सीटों पर भाजपा ने कब्जा कर विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया था। अयोध्या आंदोलन के दौरान भी ऐसी सफलता भाजपा को नही मिली थी। लेकिन पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार राजनीतिक परिदृश्य बदला दिखाई दे रहा है।
रॉबर्ट्सगंज, मिर्जापुर वारणशी चंदौली गाजीपुर बलिया सलेमपुर घोसी बांसगांव देवरिया गोरखपुर महराजगंज और कुशीनगर में चुनावी चक्रवहू के अंतिम चरण में जोरदार टक्कर का सामना भाजपा को करना पड़ रहा है। पूर्वांचल में सातवें चरण की 13 सीटों पर होने वाले चुनाव में सपा 8 और बसपा 5 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
भाजपा 11 और उसकी सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) मिर्जापुर व राबर्ट्सगंज सीटों पर चुनाव मैदान में है। कांग्रेस 11 और उसकी सहयोगी जनअधिकार पार्टी एक सीट पर लड़ रही है।
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विपक्ष की गोलबंदी तथा कांग्रेस में प्रियंका वाडरा के आने से भाजपा को कड़ी चुनौती मिल रही है। घोसी सीट अयोध्या आंदोलन के बाद से कांग्रेस के हिस्से में नही मिली पर इस बार कांग्रेस यह सीट भाजपा से जीतने की कोशिश में है। वाराणसी सीट 2009 अतउर 2014 में जीतने के बाद इस बार भी प्रधानमंत्री मोदी के उम्मीदवार होने से इस सीट का जितना तय माना जा रहा है। पर उपचुनाव में गोरखपुर सीट गंवाने के बाद से भाजपा सदमे में है इसलिए उसने किसी राजनीतिक व्यक्ति को टिकट न देकर फिल्म स्टार रवि किशन को उतारकर विपक्ष के सामने एक बड़ी चुनौती पेश कर दी।
हांलाकि पूर्वांचल के अंतिम चरण की इन सीटों पर भजप्स का अच्छा खासा असर रहा है। गोरखपुर के अलावा बांसगांव महराजगंज और कुशीनगर आदि सीटों पर भाजपा की अच्छी खासी पैठ है पर देवरिया गाजीपुर चंदौली मिर्जापुर राबर्ट्सगंज पर पिछडो का असर और वोटकटुवा दल भाजपा के लिए चिंता का सबब बने हुए हैं। गोरखपुर को छोड़कर अन्य सीटों पर वामपंथियों कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का ही कब्जा रहा है पर अयोध्या आंदोलन के समय डाले गए बीज 2014 के लोकसभा चुनाव में फसल के रूप में खड़े हुए थे।
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पिछले चुनाव में तो बलिया घोसी और सलेमपुर की भी सीट जीतकर भाजपा ने तहलका मचा दिया था। गाजीपुर सीट तो अयोध्या आंदोलन के दौरान 1991 में भी भाजपा के हाथ से फिसल गई थी पर अटल को प्रधानमंत्री पद दिलाने की आस मे 1996 तथा 1999 में गाजीपुर के लोगों ने यह सीट भाजपा की झोली में डालने का काम किया। पर 2004 में जनता फिर नाराज हुई और उसने इस जमीन पर कमल को मुरझाने पर मजबूर कर दिया।
पूर्वांचल की इस क्रांतिकारी धरती के कई हिस्सों बलिया घोसी सलेमपुर आदि तो भाजपा के लिए किसी स्वप्न से कम नही रहे। लेकिन 2014 में गाजीपुर समेत घोसी सलेमपुर और बलिया आदि सभी सीटों पर भाजपा ने कब्जा किया था। घोसी और सलेमपुर में भाजपा में अपने निवर्तमान सांसदों हरिनारायन राजभर और और रविन्द्र कुशवाहा को फिर से टिकट देकर अपना भरोसा जताया है।