हाईकोर्ट का फैसला: भूमि के बैनामा को निरस्त करने का डिप्टी रजिस्ट्रार को अधिकार नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय पूर्णपीठ ने अपने फैसले में कहा है कि किसी भूमि के बैनामे को उप निबन्धक को निरस्त करने का प्रशासनिक अधिकार नहीं है। भले ही बैनामा धोखा देकर किया गया हो।

Update: 2019-05-23 13:16 GMT

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय पूर्णपीठ ने अपने फैसले में कहा है कि किसी भूमि के बैनामे को उप निबन्धक को निरस्त करने का प्रशासनिक अधिकार नहीं है। भले ही बैनामा धोखा देकर किया गया हो। बैनामे को रद्द करने के लिए सिविल कोर्ट में वाद दायर किया जा सकता है। दो न्यायिक निर्णयों में मतभिन्नता के चलते यह विधि प्रश्न पूर्णपीठ को भेजा गया था।

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यह फैसला मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर, न्यायमूर्ति रामसूरत राम मौर्य तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की पूर्ण पीठ ने श्रीमती कुसुम लता की याचिका पर दिया है।मालूम हो कि महेश चंद्र ने 27 अगस्त 14 को याची को बैनामा किया। इससे पहले इसी जमीन का बैनामा शीला राय को किया जा चुका था। आई जी पंजीकरण मैनपुरी को शिकायत की गयी कि बैनामा धोखा देकर किया गया है।

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आईजी ने उपनिबंधक को बैनामा निरस्त करने का आदेश दिया। जिसे चुनौती दी गयी थी। कोर्ट ने कहा कि एक जमीन का बैनामा करने के बाद उसे दुबारा उसी जमीन का बैनामा करने का अधिकार नहीं है। यदि बैनामा कर दिया गया है तो उसे सिविल कोर्ट में वाद दायर कर निरस्त कराया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि यह सम्भव नहीं है कि बैनामा करने से पहले उप निबन्धक भूमि के स्वामित्व पर विचार करे। ऐसा करने का उसे अधिकार भी नहीं है। ऐसे में यदि गलती हुई है तो उसे कोर्ट से सही कराया जाय। हाईकोर्ट को याचिका जारी करने का अधिकार नहीं है।

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