उज्जैन: सिंहस्थ महाकुंभ में शाही स्नान के लिए हर दिन जन-सैलाब उमड़ता है। यहां कई अखाड़े महिने भर के लिए डेरा डाले है। इस तरह के आयोजनों में कई तरह के साधु अपने-अपने कुनबे से बाहर निकलते है और दुनिया इसतरह के कुंभ में साधुओं के कई रंग देखती है। कोई नागा बाबा तो कोई कमंडल बाबा और तो और विदेशी साधुओं का जत्था भी देखा जा सकता है।
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इस बार सिंहस्थ के शाही स्नान में 13 अखाड़ों ने स्नान किया है। यहां हर रोज साधु-संन्यासियों को देखने के लिए जनता में होड़ रहती है। इतनी बड़ी तादाद में साधु संन्यासियों का एक साथ शिप्रा में स्नान लोगों को रोमांचित करता है।
खुद ही देखिए साधुओं के कई रंग जो दिखे सिंहस्थ में
ये हे नागा बाबा देश दुनिया से मुंह मोड़े भभुत को बनाया अपना चोला, कर रहें है शिप्रा में स्नान
गृहस्थ को छोड़ अध्यात्म को अपनाएं है ये साधु, लेकिन फिर नशा से नहीं है दूर,देखो कैसे खींच रहें है हुक्के का कश
राख शरीर पर लपेटे दुनिया से बेफिक्र, इन्हें देखकर आप कैसा फील करेंगे खुद देखें
कमंडल हाथ में लिए जटा बांधे ये साधु बाबा अभी-अभी निकले शिप्रा से मंत्रणा और स्नान करके।
इनको भी देखो दुनिया से है विरक्त,फिर भी दे रहे है गजब को पोज, भभूत लपेटे नागा साधु
सर पर भस्म लगाएं जटा बांधे होना ना हो ये जरूर होंगे भोले के भक्त, कर रहे है धर्म शास्त्रों का अध्ययन
छतरी वाला बाबा ने तो रुद्राक्ष की पूरी वेराइटी ही पहन रखी है।चेहरे पर तेज हो ना हो राखों ढेर जरुर है।अध्यात्म का इनका अपना अंदाज है।
डमरू वाले बाबा, इन्हें वस्त्र से परहेज है। ना ही भस्म लगाते है। इनको कृत्रिम चीजों से शायद रहते है दूर है।
इनसे मिलिए विदेशी साध्वी से ,सिंहस्थ में इनके साथ हर कोई फोटो सेशन को है ललायित।
ये तो नशा के कश में है लीन,आए सिंहस्थ में स्नान करने।
जटाधारी बाबा कह रहे है ऊपर वाला सब देख रहा है फोन पर काम बात करो। सबका मालिक एक है।
ये क्या ये बाबाजी तो रूद्राक्ष को ही जटा बना लिए है। हो ना हो ये भी शिव के भक्त है
ये साधु कम बहरुपिए ज्यादा लग रहे है लेकिन साधु तो है। ऊं, मोर पंख,और रुद्राक्ष सब पहन रखा है लगता है इस सारे भगवान को समभाव से मानते है।
चेहरे पर भस्म लपेटे ये अपनी दुनिया में है मस्त
हिरन के साथ ये बाबा मशगूल है ईश्वर भक्ति में
हाथ में त्रिशूल लिए डमरू बजाते बाबा पूरे उज्जैन के भ्रमण पर निकले हैं।
इनका भी आशीर्वाद ले लीजिए, भस्म लगाए मेले में दे रहे हैं सबको आशीष।
लगता है इन्होंने कम उम्र में ही दुनिया से खुद को अलग कर लिया है। ईश्वर की आराधना में लगे हैं।
ये बाबा जी चेहरे के भाव से कुछ खफा-खफा नजर आ रहे है। या ईश्वर की भक्ति में है लीन।
इन साधु बाबा से मिलिए गेरूआ वस्त्र पहने लोगों को शायद अध्यात्म पढ़ा रहे है पाठ।
अगर आप भी देखना चाहते है अध्यात्म का अलग- अलग रंग इन साधुओं के संग तो चले जाए सिंहस्थ कुंभ। जहां आपको इनकी हजारों वेराइटी मिल जाएगी। कुछ ईश्वर की आराधना करते नजर आएंगे तो कुछ नशे के आगोश में होंगे।