मायावती की PM की दावेदारी के लिए अहम है छठा व सातवां चरण
बसपा सुप्रीमों मायावती भी यह अच्छी तरह जानती है कि प्रधानमंत्री की कुर्सी पर दावां पुख्ता करने के लिए उन्हे छठे और सातवें चरण को अपने पक्ष में करना ही होगा।;
मनीष श्रीवास्तव
लखनऊ: लोकसभा चुनाव का आधा से ज्यादा सफर पूरा हो चुका है और शेष तीन चरणों के मतदान को अपने पक्ष में करने के लिए सभी पार्टियां अपना पूरा जोर लगाये हुए है।
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को परास्त करने के लिए कांग्रेस के लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी चुनावी जनसभाओं को लगातार संबोधित कर रहे है तो सपा-बसपा व रालोद गठबंधन भी लगातार मतदाता को अपने पक्ष में करने के लिए चुनाव क्षेत्रों को मथ रहे है। लेकिन चुनाव के अंतिम चरणों में जाने के साथ ही अब गठबंधन के सामने यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है कि अगर भाजपा का विजयरथ रोकने में सफलता मिलती है तो फिर गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद पर किसका नाम पेश किया जायेगा।
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फिलहाल सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इसे हवा दे दी है और प्रधानमंत्री पद पर मुलायम सिंह यादव के आने की चर्चा छेड़ दी है। इधर गठबंधन मे शामिल मायावती ने हालांकि अभी तक इस संबंध में कोई बयान या मंशा प्रकट तो नहीं की है लेकिन समझा जाता है कि चुनाव नतीजे आने के बाद इसका फैसला गठबंधन के दलों को मिली सीटों के आधार पर होगा और अगर गठबंधन में बसपा की सीटे ज्यादा आती है तो मायावती अपनी प्रधानमंत्री बनने की महत्वकांक्षा को पूरा करने में पीछे नहीं रहेंगी।
दरअसल मायावती जानती है कि वह समाज के जिस दलित वर्ग से आती है, उसका विरोध करने का जोखम शायद ही कोई राजनीतिक दल उठाये। इसके अलावा उन्हे महिला होने का लाभ भी मिलेगा। लेकिन मायावती की इस महत्वकांक्षा को पूरा करने का पूरा दारोमदार छठे और सातवें चरण के मतदान पर है। छठे और सातवें चरण की कुल 27 लोकसभा सीटों में से 16 सीटों पर बसपा प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। जिसमे छठे चरण की 14 सीटों में से 11 पर तथा सातवें चरण की 13 में से पांच पर बसपा प्रत्याशी चुनाव मैदान में है।
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इन सीटों पर वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने नौ लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में देश भर में चल रही मोदी लहर में भी बसपा के 12 प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे। इन दोनों लोकसभा चुनावों में बसपा अकेले ही चुनाव मैदान में थी लेकिन अब उसे प्रदेश की एक बड़ी राजनीतिक ताकत रखने वाली सपा का भी साथ मिला हुआ है।
बसपा सुप्रीमों मायावती भी यह अच्छी तरह जानती है कि प्रधानमंत्री की कुर्सी पर दावां पुख्ता करने के लिए उन्हे छठे और सातवें चरण को अपने पक्ष में करना ही होगा। इसीलिए मायावती छठे और सातवें चरण के इन क्षेत्रों में लगभग 13 जनसभाओं को संबोधित करने की तैयारी में है। कुल मिलाकर यूपी का छठे और सातवें चरण का चुनाव बसपा सुप्रीमों मायावती का देश और प्रदेश की राजनीति में कद तय करने में अहम होगा और यह भी तय करेगा कि प्रधानमंत्री की कुर्सी की उनकी दांवेदारी कितनी दमदार होगी।
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