...तो इसलिए कानपुर लोकसभा सीट पर इस बार होगा त्रिकोणीय मुकाबला
2014 के लोकसभा चुनाव में डॉ मुरली मनोहर जोशी ने तीन बार सांसद व पूर्व केंद्रीय कोयलामंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल को 2,22,946 वोटो से हराया था। डॉ मुरली मनोहर जोशी को 4,74,712 वोट मिले थे और पूर्व कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल को 2,51,766 वोट हासिल हुए थे। बीजेपी ने हाई कमान ने डॉ जोशी का टिकट काटते हुए सत्यदेव पचौरी को कैंडीडेट बनाया है।;
कानपुर: कानपुर बुंदेलखंड की कानपुर लोकसभा सीट सबसे अहम सीट मानी जाती है। कानपुर बुंदेलखंड की पॉलिटिक्स कानपुर से होकर निकलती है। कानपुर लोकसभा सीट पर सभी राजनैतिक पार्टियों ने अपने कैंडिडेट के नामों की घोषणा कर दी है।
कानपुर लोकसभा सीट का अब त्रिकोणीय मुकाबला
कानपुर लोकसभा सीट का मुकाबला अब त्रिकोणीय हो गया है। कांग्रेस पार्टी से पूर्व केंद्रीय मंत्री कोयला मंत्री और तीन बार के सांसद श्रीप्रकाश जायसवाल को मैदान में उतारा है। बीजेपी ने यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी को और सपा ने रामकुमार निषाद को प्रत्याशी घोषित किया है। सपा-बसपा गठबंधन होने के बाद सपा पहली बार लड़ाई में उभर कर सामने आई है।
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मैनचेस्टर ऑफ़ यूपी के नाम से मशहूर कानपुर अब अपनी यह पहचान खो चुका है। 1989 लोकसभा चुनाव के बाद से कानपुर के उद्योगों को ग्रहण लग गया। सन 1991 से कानपुर की लोकसभा सीट या तो कांग्रेस के पास रही या फिर बीजेपी के पास। सभी राजनैतिक दलों ने कानपुर के उद्योग धंधो पर जमकर राजनीति की। किसी भी पार्टी के सांसद ने उद्योग धंधो पर इमानदारी से काम नही किया। जिसका नतीजा यह निकला कि उद्योग पूरी तरह से चरमरा गया। कानपुर की सभी मिले बंद हो गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से यह मुद्दे उभर कर सामने आने लगे है। सभी राजनैतिक दल कानपुर की खोई हुई पहचान वापस दिलाने के दावे करने लगे हैं।
कानपुर ब्राहमण बाहुल क्षेत्र है
कानपुर ब्राहमण बाहुल क्षेत्र है बीते 29 वर्षो से कानपुर में सामान्य जाति के नेता ही सांसद बन रहे है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों बड़े राजनैतिक दल जनरल कैटेगरी के प्रत्याशियों को मैदान में उतार है। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के कैंडिडेट श्रीप्रकाश जायसवाल वैश्य समाज से आते है। वही बीजेपी के सत्यदेव पचौरी ब्राहमण है। लेकिन सपा ने इस चुनाव में ओबीसी कार्ड खेला है। दरअसल सपा बसपा गठबंधन होने के बाद कानपुर लोकसभा सीट सपा के खाते में गई थी।
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कांग्रेस पार्टी के श्रीप्रकाश जायसवाल 1999 से लेकर 2014 तक लगातार सांसद रह चुके है l 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के कद्दावर नेता डॉ मुरली मनोहर जोशी ने उनके विजय अभियान को रोकने का काम किया था। श्रीप्रकाश जायसवाल बीते 44 वर्षो से कांग्रेस पार्टी की सेवा कर रहे है। श्रीप्रकाश जायसवाल इंदिरा गाँधी से लेकर राजीव गाँधी,सोनिया गाँधी के साथ काम कर चुके हैं और अब राहुल गाँधी के साथ भी कंधे से कन्धा मिलाकर चल रहे है। दरसल श्रीप्रकाश जायसवाल राजीव गाँधी के बेहद करीबी माने जाते रहे है। इसी वजह से गाँधी परिवार को उन पर सबसे ज्यादा भरोसा है।
यूपीए सरकार में गृह राज्यमंत्री और केंद्रीय कोयला मंत्री भी रहे श्रीप्रकाश
श्रीप्रकाश जायसवाल अपने पिता के साथ कांग्रेस के केंद्रीय कार्यालय तिलक हाल जाया करते थे। उसी वक्त उनका कांग्रेस पार्टी से गहरा लगाव हो गया। 1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी अपनी सभी सीटे हार चुकी थी। कानपुर में भी पार्टी में बिखराव हो गया था और पार्टी टूटने की कगार पर थी। तब श्रीप्रकाश ने पार्टी को संभाला था और नगर कमिटी के अध्यक्ष बने थे। इसके बाद वो कानपुर शहर के मेयर भी रहे। बाद में लगातार तीन बार सांसद बने। यूपीए सरकार में वो गृह राज्यमंत्री रहे इसके बाद केंद्रीय कोयला मंत्री भी रहे।
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2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सत्यदेव पचौरी को कैंडिडेट बनाया है। सत्यदेव पचौरी संघ ने प्रत्याशी माने जा रहे है। जब डॉ मुरली मनोहर जोशी का टिकट कटा तो उन्होंने सत्यदेव पचौरी को कैंडिडेट घोषित करने की जिद कर दी। सत्यदेव पचौरी कानपुर की गोविन्द नगर विधानसभा से विधायक है और उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री है। सत्यदेव पचौरी सन 1972 में बीएसएसडी कॉलेज से छात्रसंघ अध्यक्ष विद्यार्थी परिषद् का चुनाव जीता था। इसके बाद वो जय प्रकाश के आंदोलन में कूद पड़े थे। सत्यदेव पचौरी 1980 में भाजपा यूपी कार्य समिति के सदस्य रहे l 1991 में बीजेपी ने आर्यनगर विधानसभा से पहली बार टिकट दिया था। सत्यदेव पचौरी ने धमाकेदार जीत दर्ज की थी। इसके बाद सत्यदेव पचौरी 1993 और 1996 में विधानसभा चुनाव हार गए थे।
सत्यदेव पचौरी और श्रीप्रकाश जायसवाल एक बार फिर से आमने सामने होंगे
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई ने उन्हें 2004 के लोकसभा चुनाव में कानपुर से कैंडिडेट बनाया था। लेकिन वो कांग्रेस श्रीप्रकाश जायसवाल से लगभग 5638 वोटों से हार गए थे। इसके बाद 2012 के विधानसभा चुनाव में गोविन्द नगर से विधायक बने और 2017 के विधासभा चुनाव में गोविन्द नगर विधानसभा से दोबारा विधायक बने और प्रदेश सरकार में मंत्री भी बने। सत्यदेव पचौरी और श्रीप्रकाश जायसवाल एक बार फिर से आमने सामने होंगे।
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एक तरफ कांग्रेस और बीजेपी ने जनरल कैटेगरी को प्रत्याशी बनाया है। वही सपा बसपा गठबंधन होने के बाद सपा ने रामकुमार निषाद को प्रत्याशी बनाया है। कानपुर में बड़ी संख्या में ओबीसी, अनुसूचित जाति और मुस्लिम वोटर है। सपा अब इन्ही वोटरों पर सेंध लगाना चाहती है। रामकुमार निषाद मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के ख़ास है। उन्नाव की सदर विधानसभा से विधायक रह चुके है। रामकुमार निषाद के पिता मनोहर लाल 1977 में कानपुर लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके है। आपातकाल के वक्त बंद हुए बंदियों की पैरवी कर चुके रामकुमार निषाद अधिवक्ता भी है।
कानपुर लोकसभा सीट में वोटरों की संख्या
कानपुर लोकसभा सीट में 15,97,591 वोटर है। जिसमे पुरुष वोटरों की संख्या 8,74,299 है,महिला वोटरों की संख्या 7,23,147 है वही थर्ड जेंडर की संख्या 145 है। कानपुर लोकसभा क्षेत्र ब्राह्मण बहुल क्षेत्र है इस सीट में शहरी क्षेत्र की कानपुर पांच विधानसभाएं आती हैं। जिसमे सामान्य जाति के वोटरों की संख्या 5,16,594,ओबीसी वोटरों की संख्या 2,90,721,अल्पसंख्यक 4,07,182 और अनुसूचित जाति 3,80,950। सबसे खास बात यह है कि मुस्लिम वोटर और अनुसूचित जाति का वोट जिसके खाते में गया उसकी जीत सुनिश्चित है।
नुकसान कांग्रेस और बीजेपी को ?
दरसल कांग्रेस बीते कई वर्षो से अल्पसंख्यक ,ओबीसी और सामान्य जाति का वोट हासिल करने में कामयाब हो रही थी। वहीं बीजेपी के खाते में भी सामान्य जाति और ओबीसी का वोट जाता था। वही अनुसूचित जाति का वोटर बसपा को सपोर्ट करता था। लेकिन सपा बसपा गठबंधन होने के बाद यह तश्वीर बदल गई है। कानपुर में बड़ी संख्या में मुस्लिम वोटर है जो सपा और कांग्रेस में बटा हुआ है। अनुसूचित जाति का वोटर भी सपा-बसपा गठबंधन के साथ खड़ा है। रामकुमार निषाद ओबीसी कैटेगरी से आते है इस लिए ओबीसी वोटर भी उनका सपोर्ट करेगा। इस स्थिति में सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस और बीजेपी को होने वाला है।
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सपा प्रत्याशी रामकुमार निषाद का कहना है कि हमारी लड़ाई जुमलेबाजो है। कांग्रेस के पास तो वोटर ही नहीं है। 2019 में कानपुर लोकसभा सीट का इतिहास बदलेगा। पहली बार कानपुर की सपा का सांसद चुनेगी। जिस प्रकार मेरे पिता ने कानपुर सीट जीती थी उसी प्रकार मै भी यह जीत जीतकर इतिहास बदल दूंगा। कानपुर जी जनता घोटालेबाजो और जुमलेबाजो से तंग आ चुकी है। कानपुर की पहचान कांग्रेस और बीजेपी तो दिला नही पाई लेकिन मेरा वादा है कि कानपुर कि पहचान मै वापस दिलाऊंगा।
2014 कानपुर लोकसभा सीट की तस्वीर
2014 के लोकसभा चुनाव में डॉ मुरली मनोहर जोशी ने तीन बार सांसद व पूर्व केंद्रीय कोयलामंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल को 2,22,946 वोटो से हराया था। डॉ मुरली मनोहर जोशी को 4,74,712 वोट मिले थे और पूर्व कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल को 2,51,766 वोट हासिल हुए थे। बीजेपी ने हाई कमान ने डॉ जोशी का टिकट काटते हुए सत्यदेव पचौरी को कैंडीडेट बनाया है।