जानें उस VVPAT के बारे में जिस पर लोगों को है EVM से ज्यादा विश्वास!
अभी तक राजनीतिक दलों द्वारा सभी चुनाव के नतीजों के बाद ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए गए हैं। वहीं, वीवीपैट मशीनों को काफी सुरक्षित बताया जा रहा है। तो अइये जानें इसके बारे में-
लखनऊ: इलेक्शन कमीशन ने लोकसभा चुनाव के तारीखों का ऐलान कर दिया हैै। इस चुनाव में वीवीपैट (VVPAT) मशीनों का इस्तेमाल होगा। चुनाव आयोग ने इस बार साफ कर दिया है कि सभी बूथों पर वीवीपैट मशीनों का प्रयोग होगा। आज हम आपको इस मशीन के बारे में A टू Z सारी जानकारियां देने जा रहे हैं।
अभी तक राजनीतिक दलों द्वारा सभी चुनाव के नतीजों के बाद ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए गए हैं। वहीं, वीवीपैट मशीनों को काफी सुरक्षित बताया जा रहा है। तो अइये जानें इसके बारे में-
क्या होती है वीवीपैट मशीन?
वोटर वेरीफ़ाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी (VVPAT) एक तरह की मशीन होती है, जिसे ईवीएम के साथ जोड़ा जाता है। इसका फायदा यह होता है कि जब कोई भी शख्स ईवीएम का इस्तेमाल करते अपना वोट देता है, तो इस मशीन में वह उस प्रत्याशी का नाम भी देख सकता है, जिसे उसने वोट दिया है।
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भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने यह मशीन 2013 में डिजाइन की। सबसे पहले इसका इस्तेमाल नागालैंड के चुनाव में 2013 में हुआ। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट मशीन बनाने और इसके लिए पैसे मुहैया कराने के आदेश केंद्र सरकार को दिए।
चुनाव आयोग ने जून 2014 में तय किया किया था कि साल 2019 के चुनाव में सभी मतदान केंद्रों पर वीवीपैट का इस्तेमाल किया जाएगा। व्यवस्था के तहत वोटर डालने के तुरंत बाद काग़ज़ की एक पर्ची बनती है। इस पर जिस उम्मीदवार को वोट दिया गया है, उनका नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है। यह व्यवस्था इसलिए है कि किसी तरह का विवाद होने पर ईवीएम में पड़े वोट के साथ पर्ची का मिलान किया जा सके। ईवीएम में लगे शीशे के एक स्क्रीन पर यह पर्ची सात सेकंड तक दिखती है।
वोटर ऐसे कर सकता है शिकायत
अगर कोई व्यक्ति चुनाव के दौरान वीवीपैट की पर्ची में अलग व्यक्ति का नाम आने की बात करता है, तो चुनाव अधिकारी उस वोटर से पहले एक हलफनामा भरवाएंगे। वोटर को बताया जाएगा कि सूचना गलत होने उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही का प्रावधान है फिर चुनाव अधिकारी सभी पोलिंग एजेंटों के सामने एक रेंडम-टेस्ट वोट डालेंगे। जिसे बाद में मतगणना के वक्त घटा दिया जाएगा। इस वोट से वोटर के दावे की सच्चाई पता चल सकेगी।
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वीवीपैट में जो प्रिंटर इस्तेमाल होता है। वह काफी उम्दा क्वालिटी का है और उससे छपी पर्चियों पर स्याही कई साल तक नहीं मिटती। प्रिंटर में एक खास सेंसर भी है जो खराब क्वालिटी की पर्ची आने पर प्रिंटिंग नहीं करता।
किसी भी भाषा में देख सकते हैं वोट दिये गए प्रत्याशी का नाम
इस भाषा में दिखेगा नाम VVPAT मशीन के तहत वोटर विजुअली सात सेकेंड तक यह देख सकेगा कि उसने जो वोट किया है क्या वह मत उसके इच्छानुसार उसके प्रत्याशी को मिला है या नहीं। इस मशीन के जरिए मतदाता को प्रत्याशी का चुनाव चिन्ह और नाम उसकी ओर से चुनी गई भाषा में दिखाई देगा।
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सुप्रीम कोर्ट की भी अहम भूमिका
इस मामले में साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने भी चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि लोकसभा चुनाव 2014 में VVPAT का इस्तेमाल किया जाए। पिछले लोकसभा चुनाव 2014 के कुछ चरणों में VVPAT का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन इस बार चुनाव आयोग हर EVM के साथ का इस्तेमाल करेगा।
राजनीतिक दल ईवीएम को हटाने की मांग कर रहे हैं। तो कोई राजनीतिक दल वैलेट पेपर से चुनाव कराने तो कोई वीवीपैट से चुनाव कराने की बात करता है। इसके लिए राजनीतिक पार्टियां कई बार मंथन भी कर चुकी हैं। लेकिन आपको जानकारी के लिए बता दें कि जब से ईवीएम से चुनाव हो रहा है। तब से चुनाव में हिंसा का ग्राफ काफी हद तक नीचे गया है। लेकिन इस बार चुनाव में इलेक्शन कमीशन ने सभी बूथों पर वीवीपैट मशीनें लगाने का एलान कर दिया है।