जाने कैसे निरहुआ को आजमगढ़ में मुलायम से ज्यादा मिले वोट

सपा के वोट बैंक में भी बढ़ोत्तरी नहीं हुई। ऐसे में गठबंधन भी जल्द ही टूट सकता है। ऐसी स्थिति में अगर पांच साल तक निरहुआ क्षेत्र में बने रहे तो उनकी राजनीतिक जमीन तैयार हो सकती है।

Update: 2019-05-27 14:52 GMT

धनंजय सिंह

लखनऊ: पूर्वांचल की लोकसभा सीट आजमगढ़ में भाजपा के उम्मीदवार निरहुआ ने हारकर भी अपनी जमीन तैयार कर ली है। इसका कारण है कि हार के बावजूद उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव में विजयी रहे मुलायम सिंह यादव से ज्यादा वोट मिले हैं।

यदि अमेठी में स्मृति ईरानी की तरह दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ आजमगढ़ में पांच साल तक अपनी सक्रियता बनाये रहे तो फिर वह आगे के चुनाव में आजमगढ़ ही नहीं आस-पास के सीटों पर भी मतदाताओं को प्रभावित करने में सफल होंगे।

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इस बार अखिलेश यादव को 621578 मत मिले हैं, जबकि दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को मत 361704 मत मिले हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर जीतने वाले मुलायम सिंह यादव को 3,40,306 मत मिले थे। उस समय भाजपा उम्मीदवार रमाकांत यादव के पक्ष में 277,102 वोट आए थे।

बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली 266,528 मत हासिल कर तीसरे स्थान पर और कांग्रेस के अरविंद कुमार जायसवाल 17,950 वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे थे। इस बार मुलायम सिंह यादव की अपेक्षा हारने के बावजूद भोजपुरी फिल्मों के स्टार निरहुआ को 21398 मत ज्यादा मिले हैं। यदि मतों को प्रतिशत में देखें तो मुलायम सिंह यादव को 35.43 प्रतिशत मत मिले थे, जबकि निरहुआ को भी 35.15 प्रतिशत मत मिले हैं। ऐसे में यदि सपा-बसपा के बीच गठबंधन नहीं होता तो फिर अखिलेश यादव के लिए जीत की राह कठिन हो सकती थी।

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निरहुआ को पूर्वांचल में चुनाव के समय एक खास वर्ग के मतदाता सपा के लिए खलनायक के रूप में देख रहे थे लेकिन चुनाव बाद बसपा को खलनायक मानने लगे हैं। इसका कारण है कि बसपा सपा को सीढ़ी बनाकर खुद तो ऊपर बढ़ गयी लेकिन सपा को अपनी किस्मत के सहारे ही छोड़ दिया। सपा के वोट बैंक में भी बढ़ोत्तरी नहीं हुई। ऐसे में गठबंधन भी जल्द ही टूट सकता है। ऐसी स्थिति में अगर पांच साल तक निरहुआ क्षेत्र में बने रहे तो उनकी राजनीतिक जमीन तैयार हो सकती है।

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