लोस चुनाव: यूपी की इन सीटों पर दबाव में है बीजेपी, आसान नहीं होगी दिल्ली की राह
लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। देश भर में चुनावी माहौल अपने चरम पर है। यूपी सभी दलों की निगाहों में बसा है। हो भी क्यों न दिल्ली जाना है तो यूपी से ही जाना होगा। ऐसे में केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी अपनी ताकत यूपी में झोकने को तैयार है।
लखनऊ : लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। देश भर में चुनावी माहौल अपने चरम पर है। यूपी सभी दलों की निगाहों में बसा है। हो भी क्यों न दिल्ली जाना है तो यूपी से ही जाना होगा। ऐसे में केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी अपनी ताकत यूपी में झोकने को तैयार है। लेकिन प्रदेश में एसपी-बीएसपी-आरएलडी का गठबंधन और कांग्रेस के मजबूत होने से बीजेपी थोड़ी दबाव में है। एनडीए ने पिछले लोकसभा चुनाव में 80 में से 73 सीटें जीती थी और वो अपना प्रदर्शन दोहराने के दबाव में है। लेकिन फिलवक्त ये टेढ़ी खीर नजर आ रहा है।
सत्ता विरोधी लहर और दो बड़े क्षत्रपों के एक साथ आने के बाद से बीजेपी अपने कुछ सांसदों के टिकट काटने वाली है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी जिन सांसदों का टिकट काटेगी उन्हें सत्ता में वापसी के बाद समायोजित करेगी। ऐसा उन नेताओं को बता दिया गया है जिनके टिकट काटने हैं। लेकिन ये नेता इन वादों पर यकीन नहीं कर रहे ऐसे में ये बागी होने का मन बना रहे हैं।
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इन सीटों पर बदल सकते हैं चेहरे
एसपी-बीएसपी और आरएलडी गटबंधन के बाद बागपत सीट पर बीजेपी कमजोर नजर आ रही है। इस सीट से रालोद नेता जयंत चौधरी मैदान में आ सकते। सत्यपाल सिंह संसद सदस्य हैं।
इलाहाबाद सीट पर भी सपा-बसपा गठबंधन इस समय मजबूत नजर आ रहा है। सपा के कद्दावर नेता रेवती रमन सिंह 2014 में चुनाव हार गए थे। लेकिन इसबार वो मजबूत नजर आ रहे हैं। श्यामा चरण गुप्ता सांसद हैं।
बहराइच सीट पर कुर्मी वोटर निर्णायक तादात में हैं। बीजेपी की सांसद पाला बदल कर कांग्रेस में जा चुकी हैं। कुर्मियों के बड़े नेता बेनी प्रसाद वर्मा सावित्री फुले के समर्थन में नजर आ रहे हैं।
बाराबंकी सपा-बसपा का गढ़ माना जाता है। कांग्रेस यहां दोस्ताना फाईट के मूड में है। कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद पी एल पुनिया यहाँ से अपने बेटे तनुज के लिए टिकट चाहते हैं। प्रियंका रावत यहां से सांसद हैं।
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कैराना बीजेपी का गढ़ रहा है। लेकिन उप चुनाव में हार और एसपी-बीएसपी-आरएलडी के गठबंधन के बाद किला दरकता नजर आ रहा है।
फूलपुर सीट से सांसद रहे उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने जब सीट छोड़ी तो सीट बीजेपी से छिटक गई।
ऐसा कहा जा रहा है कि मौजूदा सांसद मुरली मनोहर जोशी चुनाव लड़ने से इनकार कर सकते हैं। ऐसे में बीजेपी यहां से विनय कटियार को टिकट दे सकती है।
इनके साथ ही पीलीभीत, अकबरपुर, अंबेडकरनगर, बलिया, भदोही, चंदौली, फतेहपुर और देवरिया के साथ ही मथुरा व सुल्तानपुर सीट भी बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बन सकती हैं।