प्रधानमंत्री पद की पेशबंदी तो नहीं है मोदी पर माया के हमले
बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमों मायावती ने स्वयं को प्रधानमंत्री पद का दावेदार साबित करने की पेशबंदी शुरू कर दी है। हालांकि अभी लोकसभा चुनाव में अंतिम चरण का मतदान बाकी है और नतीजे भी 23 मई को आयेंगे लेकिन पांचवे चरण के चुनाव से बसपा सुप्रीमों मायावती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार निशाने पर लिए हुए हैं।;
मनीष श्रीवास्तव
लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमों मायावती ने स्वयं को प्रधानमंत्री पद का दावेदार साबित करने की पेशबंदी शुरू कर दी है। हालांकि अभी लोकसभा चुनाव में अंतिम चरण का मतदान बाकी है और नतीजे भी 23 मई को आयेंगे लेकिन पांचवे चरण के चुनाव से बसपा सुप्रीमों मायावती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार निशाने पर लिए हुए हैं।
मायावती लगातार अपने भाषणों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला कर रही हैं। जनसभा हो या प्रेसवार्ता मायावती मोदी पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। कभी वह कहती है कि नमो नमो जाने वाले हैं और जय भीम वाले आने वाले हैं और कभी कहती है कि मोदी कागजी और नकली पिछड़े है। छठे चरण के मतदान के बाद मायावती ने कहा कि उन्हे पता चला है कि भाजपा में खासकर विवाहित महिलाएं अपने पतियों को मोदी के करीब जाता देखा घबरा जाती हैं। वह सोचती हैं कि कहीं मोदी अपनी औरत की तरह ही हमको भी हमारे पतियों से अलग न करवा दे।
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उन्होंने कहा कि राजनीतिक स्वार्थ के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी पत्नी को भी छोड़ दिया। मोदी अगर राजनीतिक लाभ के लिए अपनी पत्नी को छोड़ सकते हैं तो फिर देश की मां-बहनों को वह कैसे न्याय दे सकते हैं. वह इनको कैसे सम्मान देंगे।
बसपा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यूपी में गठबंधन कर चुनाव लड़ रही सपा-बसपा व रालोद ने आगामी 21 मई को दिल्ली में प्रस्तावित विपक्षी दलों की संयुक्त बैठक में शामिल होने से भी इंकार कर दिया है। बताया जा रहा है कि टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू की पहल पर हो रही इस बैठक में शामिल न होने की मंशा बसपा सुप्रीमों की ही है। मायावती को लगता है कि अगर केंद्र में गठबंधन सरकार बनने की स्थिति बनी तो चंद्रबाबू नायडू की पहली पसंद पश्चिम बगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी होंगी, जो लगातार भाजपा और मोदी से मोर्चा ले रही हैं।
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वैसे तो मायावती ने प्रधानमंत्री बनने का दावा नहीं किया है, लेकिन उन्होंने अम्बेडकरनगर की जनसभा में अपने समर्थकों को यह कहकर संकेत दे दिया कि अगर चुनाव के बाद पीएम या अन्य कोई बड़ी जिम्मेदारी संभालने के लिए चुनाव लड़ना हुआ तो वे अम्बेडकर नगर से ही चुनाव लड़ेंगी।
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दरअसल बसपा सुप्रीमों मायावती को मालूम है कि अगर यूपी में गठबंधन का दांव सटीक बैठा तो वह प्रधानमंत्री पद की सशक्त दांवेदार होंगी। दलित वर्ग से आने वाली महिला प्रत्याशी को समर्थन देने में कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल भी हिचक नहीं दिखायेंगे।