पर्यावरण सुरक्षा को राजनीतिक दल अपने घोषणा पत्र में शामिल करें

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मंगलवार को “पर्यावरण पर जन घोषणा पत्र” सौ प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान एवं क्लाइमेट एजेंडा द्वारा जारी किया गया है। इस घोषणा पत्र के माध्यम से सभी राजनीतिक दलों से मांग की गई है कि वह आम जनता के बीच से सीधी आने वाली पर्यावरण संबंधी इन मांगों को अपने राजनीतिक घोषणा पत्रों में शामिल कर चुनाव बाद उन वादों को पूरा भी करेंगे।

Update: 2019-03-26 13:18 GMT

लखनऊ: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मंगलवार को “पर्यावरण पर जन घोषणा पत्र” जारी किया गया है। इसे सौ प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान एवं क्लाइमेट एजेंडा द्वारा जारी किया गया है। इस घोषणा पत्र के माध्यम से सभी राजनीतिक दलों से मांग की गई है। जिसमें दलों से कहा गया है कि वह आम जनता के बीच से सीधी आने वाली पर्यावरण संबंधी इन मांगों को अपने राजनीतिक घोषणा पत्रों में शामिल कर चुनाव बाद उन वादों को पूरा भी करें।

सौ प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान

सौ प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान की मुख्य अभियानकर्ता एकता शेखर और सामाजिक कार्यकर्ता ताहिरा हसन ने मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि प्रादेशिक स्तर पर अभियान से जुड़े 350 से अधिक जन संगठनों के साथ व्यापक संवाद के आधार पर उत्तर प्रदेश अभियान एवं क्लाइमेट एजेंडा ने यह घोषणा पत्र बनाया है।

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम को देश भर के तमाम शहरों में लागू किया जाना, बिजली आधारित सार्वजनिक परिवहन, औद्योगिक इकाइयों में उत्सर्जन मानकों का सख्ती से अनुपालन, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण आदि महत्व के सवालों को इसमें शामिल किया गया है।

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डीजल प्रदूषण का बड़ा कारण

ताहिरा हसन ने कहा कि डीजल आधारित परिवहन देश में प्रदूषण का एक बड़ा कारण है। अंतिम व्यक्ति तक संपर्क के लिए सौर ऊर्जा आधारित बिजली चलित वाहनों के उपयोग से प्रदूषण भी कम होगा, साथ ही लाखों जाने बचेंगी।

अब तक चुनिन्दा जगहों पर ही वायु गुणवत्ता की निगरानी की जाती है। इसका दायरा बढ़ा कर देश के सभी क्षेत्रों में इसे लागू किये जाने और हर नागरिक तक स्वास्थ्य सलाह पहुंचाने की मांग भी शामिल की गई है।

ईंट भट्ठों से हो रहा नुकसान

ताहिरा हसन ने कहा कि ईंट-भट्ठों के कारण ग्रामीण इलाकों में पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य का निरंतर नुकसान हो रहा है।

ताहिरा हसन ने बताया कि महिलाएं और बच्चे वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। लकड़ी, कोयले आदि का घरेलू ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाना इसका एक प्रमुख कारण है।

जन घोषणा पत्र में यह भी मांग रखी गयी है कि देश भर में तरल पेट्रोलियम गैस के दाम को इतना किफायती रखा जाए कि सौ प्रतिशत घरों में धुंआ रहित चूल्हा जल सके, और महिलाओं, बच्चों के साथ-साथ पर्यावरण की सेहत का बचाव भी संभव हो सके।

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