राजनाथ सिंह से नहीं थे अच्छे रिश्ते, अब बोला कि अमित शाह प्रधानमंत्री हैं
नरेश अग्रवाल ने एक बार फिर सियासी भूचाल खड़ा कर दिया है दरअसल एक विडियो हर जगह वायरल हो रहा है, जिसमें अभी भाजपा में जल्द ही शामिल हुए यह नेता कहते हुए नज़र आ रहे हैं कि अमित शाह हमारे प्रधानमंत्री हैं।;
हरदोई: नरेश अग्रवाल ने एक बार फिर सियासी भूचाल खड़ा कर दिया है दरअसल एक विडियो हर जगह वायरल हो रहा है, जिसमें अभी भाजपा में जल्द ही शामिल हुए यह नेता कहते हुए नज़र आ रहे हैं कि अमित शाह हमारे प्रधानमंत्री हैं। नरेश अग्रवाल का यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।
दरअसल यह घटना हरदोई की है जहां पर नरेश अग्रवाल भाजपा के उम्मीदवार जय प्रकाश के लिए वोट मांगने गए थे और वहाँ पर उनकी जुबान अपनी ही पार्टी के लिए गलत निकल गयी।
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सपा छोड़कर भाजपा में आए नरेश अग्रवाल ने कहा कि मैं मायावती और अखिलेश से पूछ रहा हूं, 38 सीट पर मायावती चुनाव लड़ रही हैं और 37 सीट पर अखिलेश चुनाव लड़ रहे हैं। लोकसभा 543 सीटों की है। 38-37 सीट पर लड़ने वाले कौन से मास्टर से यह ट्रेनिंग ले आए हैं कि वह प्रधानमंत्री बन जाएंगे।
उन्होंने आगे कहा कि हम तो विश्वास इस मारे भी कर रहे हैं कि देश में जुगाड़ भी है लोग आते हैं। भैया जुगाड़ से नौकरी लगवा दो, जुगाड़ से ही काम करा दो, जुगाड़ से दरोगा से बचा दो हो सकता है इन्होंने जुगाड़ ढूंढ लिया हो कोई जुगाड़। अरे यह तो घोषित कर दो कि तुम्हारा प्रधानमंत्री कौन होगा? हम लोगों के प्रधानमंत्री तो अमित शाह जी हैं। प्रधानमंत्री कौन होगा कहते हैं चुनाव के बाद हम तय कर लेंगे।
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ऊर्जा मंत्री रहते हुए उठाए थे राजनाथ पर सवाल
नरेश अग्रवाल 2001 में उस समय राजनाथ सिंह की सरकार में ऊर्जा मंत्री थे और लोकतांत्रिक कांग्रेस पार्टी के संस्थापक नेता भी थे उस वक़्त एक तरफ जहां राजनाथ की सरकार अपना वजूद बचाए रखने के लिए अग्रवाल की पार्टी के समर्थन पर निर्भर कर रही थी जिस वजह से वह अग्रवाल के कई बयानों को नज़रअंदाज़ कर रही थी।
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इससे पहले नरेश अग्रवाल ने कांग्रेस को तोड़ा था और अपने साथ ले गए 22 विधायकों से लोकतांत्रिक कांग्रेस पार्टी बनाई थी इस पार्टी ने उत्तर प्रदेश में कई बार भाजपा सरकार का साथ दिया जिसमें सबसे पहले कल्याण सिंह, फिर राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह की सरकार को संभालने में अहम भूमिका अदा की।
लेकिन राजनाथ से उनके रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे और एक समय था जब अग्रवाल ने बिजली समस्या के लिए अपने ही मुख्यमंत्री पर सवाल उठा दिए थे और फिर वो पल आया जब राजनाथ ने अग्रवाल को मंत्री पद से हटा दिया और अपनी कूटनीति के सहारे अग्रवाल की पार्टी के ज़्यादातर विधायकों का समर्थन भी बनाए रखने में कामयाब रहे। आगे चलकर लोकतांत्रिक कांग्रेस पार्टी ने अग्रवाल को ही बाहर निकाल दिया और आज 18 साल बाद भी ये दोनों इस वाकया को नहीं भूले होंगे।