लखनऊ: नारी तू नारायणी है।
माता-पिता का अभिमान, ससुराल की शान है।
भाई-बहन का प्यार, ननद-देवर की राजदार है।
पति का साथ और खुद का विश्वास है।
नारी हर कदम पर तुम रहना आगे।
नहीं झुकना किसी से तुम।
अब तक तुम थी नादान।
खुद बना रही पहचान।
सम्मान की हो तुम हकदार।
युग-दर -युग में मिलता रहा है अपमान।
त्रेतायुग में सीता ने खुद किया अपने गौरव की रक्षा।
बाद में गए थे राम।
द्रौपदी ने की खुद की लाज की रक्षा।
फिर आए थे भगवान ।
नारी तू नारायणी है।
मत भूल कि पूरा संसार है तुझमें।
तेरे कदमों में है दुनिया ।
इस सोच से बढ़ तो आगे।
पहचान अपने वजूद को।
नहीं तुझे सहारे की जरूरत।
तू तो खुद है सबका कंधा।
मदर,इंदिरा कल्पना साइना
ने दिखाया नारी की शक्ति को।
आज नहीं वो किसी परिचय की मोहताज।
नारी तू नारायणी है।
ये चंद लाइनें नारी की संपूर्णता को तो बयां कर देती हैं, लेकिन इससे नारी के पूरे अस्तित्व को नहीं आंका जा सकता है। किसी भी पुरुष की जिंदगी में पत्नी, बिटिया और मां से ज्यादा खूबसूरत और अहम महिला नहीं हो सकती, क्योंकि वो ना सिर्फ उसकी सारी जरूरतें पूरी करती हैं, बल्कि किसी भी हाल में उनका साथ नहीं छोड़ती। कहते भी है कि पुरुष की सफलता के पीछे कोई न कोई महिला जरुर होती है। इस दिन को पूरी दुनिया की महिलाएं सबकुछ भुलाकर एकसाथ मनाती हैं। औरत में शक्ति और क्षमता तो शुरू से थी । बस पहचानने की जरूरत थी ,आज वो बहुत हद तक अधिकारों के लिए लडऩा सीख गई है।