VVPAT पर सुप्रीम कोर्टः किसी भी संस्था को खुद को सुधार से अलग नहीं रखना चाहिए

उच्चतम न्यायालय ने लोक सभा चुनाव में वीवीपैट पर्चियों के अचानक सत्यापन की प्रक्रिया बढ़ाने पर जोर देते हुये सोमवार को निर्वायन आयोग से कहा, ‘‘न्यायपालिका सहित किसी भी संस्थान को स्वंय को सुधार से अलग नहीं रखना चाहिए।

Update:2019-03-25 19:38 IST

नयी दिल्ली: VVPAT पर्चियों के अचानक सत्यापन की प्रक्रिया बढ़ाने पर जोर देते हुये सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से कहा, ‘‘न्यायपालिका सहित किसी भी संस्थान को स्वंय को सुधार से अलग नहीं रखना चाहिए।’’

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने मामले की सुनवाई की।

पीठ ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू के नेतृत्व में 21 विपक्षी दलों के नेताओं की याचिका पर निर्वाचन आयोग को यह बताने का निर्देश दिया कि क्या प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र में वीवीपैट के एक एक नमूना सर्वेक्षण की जगह यह संख्या बढ़ाई जा सकती है।

यह भी पढ़ें.....भाजपा ने असम में चार मौजूदा सांसदों की जगह नए चेहरों को उतारा

आयोग को 28 मार्च तक देना है जवाब

पीठ ने कहा कि यह ‘आक्षेप लगाने’ का सवाल नहीं है बल्कि यह मतदाताओं की ‘संतुष्टि’ का मामला है। पीठ ने निर्वाचन आयोग से इस बारे में जवाब मांगा है कि क्या आगामी आम चुनाव और विधान सभा चुनावों में प्रत्येक विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से वीवीपैट का एक एक नमूना सर्वेक्षण करने की बजाय क्या इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है। आयोग को 28 मार्च को शाम चार बजे तक अपना जवाब देना है।

विपक्षी दलों के नेताओं की इस याचिका पर अब एक अप्रैल को आगे सुनवाई की जायेगी।इस याचिका में इन दलों के नेताओं ने न्यायालय से लोक सभा चुनाव में प्रत्येक विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम 50 फीसदी वीवीपैट मशीनों की अचानक जांच का निर्देश देने का अनुरोध किया है।

यह भी पढ़ें.....लोकसभा चुनाव 2019: मुस्लिमों को लुभाने में नाकाम साबित हो रही है बीजेपी

पीठ ने निर्वाचन आयोग को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है कि अपनी इस संतुष्टि की वजहों का जिक्र करें कि चुनावों में पवित्रता बनाये रखे जा सकती है और बनाये रखी जा रही है।

पीठ का निर्वाचन उपायुक्त से सवाल

इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने निर्वाचन उपायुक्त सुदीप जैन से सवाल किया कि क्या आयोग प्रति विधान सभा क्षेत्र में एक मतदान केन्द्र पर वीवीपैट की पर्चियों के अचानक सत्यापन की संख्या बढ़ा सकता है।

इस पर जैन ने कहा कि आयोग के पास यह विश्वास करने की पर्याप्त वजह हैं कि ईवीएम के साथ लगी वीवीपैट की पर्चियों के अचानक सत्यापन की वर्तमान व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता नहीं है।

यह भी पढ़ें....मतदाताओं की शीर्ष दस प्राथमिकताओं में सरकार का प्रदर्शन औसत से कम

पीठ ने इस पर जैन से कहा, ‘‘यह किसी तरह का आक्षेप लगाने का नहीं है बल्कि संतुष्टि का सवाल है। एक से भले दो हैं। आप हमें बतायें कि क्या आप इनकी संख्या बढ़ा सकते हैं। यदि आप ऐसा कर सकते हैं तो कीजिये अन्यथा हमें इसकी वजह बतायें।’’

आयोग सुझावों के लिए हमेशा तैयार

जैन ने पीठ से कहा कि प्रत्येक विधानसभा चुनावों में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में एक मतदान केन्द्र और लोकसभा चुनाव के लिये प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र के एक मतदान केन्द्र पर वीवीपैट की पर्चियों की गणना की व्यवस्था ठीक काम कर रही है परंतु आयोग सुझावों के लिये हमेशा ही तैयार है।

पीठ निर्वाचन आयोग के अधिकारी के इस जवाब से पूरी तरह संतुष्ट नहीं लग रही थी कि वर्तमान व्यवस्था ठीक से काम कर रही है और उसने इसी वजह से आयोग को अपनी संतुष्टि की वजहों को इंगित करते हुय हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

यह भी पढ़ें....SC- चुनाव के दौरान रोडशो और बाइक रैलियों पर पाबंदी लगाने की याचिका खारिज

पीठ ने विपक्षी नेताओं की याचिका पर 15 मार्च को निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया था और इस मामले में मदद करने के लिये किसी सक्षम अधिकारी को नियुक्त करने का निर्देश दिया था।

70 से 75 फीसद प्रतिनिधित्व का दावा

याचिका दायर करने वालों में छह राष्ट्रीय और 15 क्षेत्रीय दलों के नेताओं का दावा है कि वे देश की 70 से 75 फीसदी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते है। इन दलों में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, मार्क्सवादी पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल, लोकतांत्रिक जनता दल और द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम शामिल हैं।

याचिका में लोकसभा चुनाव के दौरान एक विधान सभा क्षेत्र में अचानक ही जांच करने का निर्वाचन आयोग का निर्देश निरस्त करने का अनुरोध किया गया है।

यह भी पढ़ें...वाणिज्य मंत्रालय:प्रतिबंधित सामान के लिए निर्यात लाइसेंस पाने की आनलाइन सुविधा शुरू

याचिका में पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के मामले में शीर्ष अदालत के 1975 के फैसले का हवाला दिया गया जिसमें कहा गया था कि स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई संविधान के बुनियादी ढांचे का हिस्सा है।

याचिका में स्वामी के मामले में फैसले का जिक्र

इसी तरह याचिका में भाजपा नेता सुब्रमणियन स्वामी के मामले में 2013 में शीर्ष अदालत के एक फैसले का भी जिक्र किया गया है जिसमें कहा गया था कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिये ईवीएम में वीवीपैट मशीनें जोड़ना एक ‘अनिवार्य आवश्यकता’ है।

इन दलों ने फरवरी में आयोग के साथ हुयी बैठक में भी ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर आशंकायें व्यक्त की थीं, हालांकि आयोग ने इन मशीनों के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ के आरोपों से इंकार किया था।

निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा करते हुये कहा था कि प्रत्येक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के एक विधान सभा क्षेत्र के आधार पर ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की जांच अनिवार्य रूप से की जायेगी।

(भाषा)

Tags: