..तो इसलिए खारिज हो सकता है तेज बहादुर का नामांकन, कल तक देना होगा जवाब

बता दें कि तेज बहादुर ने वाराणसी सीट से पहले निर्दलीय प्रत्‍याशी के तौर पर नामांकन भरा था, लेकिन बाद में समाजवादी पार्टी ने उन्‍हें टिकट दे दिया।

Update: 2019-04-30 14:01 GMT

वाराणसी: काशी की चुनावी लड़ाई दिलचस्प मोड़ पहुंचे लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ताल ठोकने वाले बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव की उम्मीदवारी खतरे में पड़ गई है।

चुनाव आयोग ने तेज बहादुर के हलफनामे में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए नोटिस जारी किया है। रिटर्निंग ऑफिसर ने 1 मई को दोपहर 11 बजे तक तेज बहादुर यादव से जवाब मांगा है। अगर तेज बहादुर जवाब नहीं दे पाते हैं तो उनकी उम्मीदवारी खरते में पढ़ सकती है।

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क्या है पूरा मामला ?

तेज बहादुर यादव ने 23 अप्रैल को नामांकन दाखिल किया था। इसके बाद सोमवार को फिर से सपा के टिकट पर नामांकन किया। बताया जा रहा है कि दाखिल किए गए एक नामांकन पत्र की जांच करते हुए निर्वाचन आयोग के पर्यवेक्षक ने नोटिस जारी करते हुए तेज बहादुर से एक अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा है। आयोग की ओर से जारी किए गए नोटिस में तेज बहादुर को निर्देश दिए गए हैं कि वह बीएसएफ से एक अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर आएं, जिसमें यह स्पष्ट हो कि उन्हें नौकरी से किस वजह से बर्खास्त किया गया। EC ने इस प्रमाण पत्र को जमा करने के लिए बुधवार दोपहर 11 बजे तक का समय दिया गया है।अगर तेज बहादुर इस अनापत्ति प्रमाण पत्र को समय रहते जमा नहीं करते हैं तो उनका नामांकन खारिज हो सकता है।

बीजेपी के इशारे पर फंसाया पेंच

एसपी के प्रदेश प्रवक्ता मनोज राय धूपचंडी ने इसे बीजेपी की साजिश करार देते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी नहीं चाहती कि तेज बहादुर यादव चुनाव मैदान में उतरें। बीजेपी के इशारे पर पर्यवेक्षक ने 24 घंटे के भीतर बीएसएफ में भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्तगी को लेकर अनापत्ति प्रमाणपत्र मांगा है और राजनीतिक साजिश के कारण ही ऐसा जानबूझकर किया गया है। हालांकि अब तक जिला प्रशासन की ओर से इसे लेकर कोई बयान नहीं दिया गया है।

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बता दें कि तेज बहादुर ने वाराणसी सीट से पहले निर्दलीय प्रत्‍याशी के तौर पर नामांकन भरा था, लेकिन बाद में समाजवादी पार्टी ने उन्‍हें टिकट दे दिया।

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