Election 2019: चुनावी समर से बाहर है यूपी-भाजपा के ये दिग्गज
मौजूदा लोकसभा चुनाव में वह बिहार के राज्यपाल है लेकिन फिर भी उनका लखनऊ मोह अभी भी नहीं छूटता है। वह अक्सर लखनऊ पहुंच जाते है और अपने मिलनेवालों के साथ राजनीतिक माहौल की चर्चा करते है। बीती छह मई को वह अपना वोट डालने लखनऊ पहुंचे थे।
मनीष श्रीवास्तव
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मौसम के साथ-साथ लोकसभा चुनाव का माहौल भी पूरी तरह से गर्म है। धीरे-धीरे अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गये चुनाव में यूपी में भाजपा के तीन ऐसे दिग्गज है, जो संवैधानिक मर्यादाओं में ऐसे बंधे है कि चुनावी समर से पूरी तरह से बाहर है। जबकि इसके पूर्व के चुनावों में भाजपा का पूरा चुनाव अभियान ही इन दिग्गजों के इर्द-गिर्द घूमता था।
भाजपा के उत्तर प्रदेश में तीन ऐसे दिग्गज नेता है, जिनके भरोसे पार्टी अवध क्षेत्र, बृृृृज क्षेत्र और काशी क्षेत्र में चुनाव लड़ती थी। इसमे अवध क्षेत्र की राजनीति की धुरी लालजी टंडन माने जाते थे तो बृज क्षेत्र में कल्याण सिंह, जबकि काशी क्षेत्र में केशरी नाथ त्रिपाठी। भाजपा ने इन तीनों दिग्गजों को विभिन्न प्रदेशो का राज्यपाल नियुक्त करके संवैधानिक बेड़ियों में ऐसा जकड़ा है कि चुनाव के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में सियासी भाषणबाजी करने वाले, अब केवल अपने राजभवनों के आलीशान ड्राइंगरूम में बैठकर राजनीतिक जुगाली कर रहे है।
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पहले बात कल्याण सिंह की। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह के कद के आगे भाजपा में कोई भी नेता नहीं माना जाता था। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को पिछड़ों का बड़ा नेता माना जाता था। पिछड़ों में यादवों के अलावा अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों को भाजपा से जोड़ने में कल्याण सिंह का बड़ा योगदान है। सख्त प्रशासक की छवि रखने वाले कल्याण सिंह मौजूदा समय में राजस्थान के राज्यपाल है।
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इसी तरह इलाहाबाद अब प्रयागराज के केशरीनाथ त्रिपाठी, जो पेशे से वकील रहे है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष केशरी नाथ त्रिपाठी को यूपी भाजपा के नवरत्नों में से एक माना जाता रहा है। इलाहाबाद से लेकर काशी और बुंदेलखंड के कुछ क्षेत्रों में केशरीनाथ को काफी प्रभावी माना जाता था। इसके अलावा इनकी एक और भूमिका पार्टी के संकटमोचक की भी थी। केशरी नाथ ने अपने कानूनी ज्ञान के बल पर कई बार भाजपा पर आये हुये संकटों को टाला है। फिलहाल वह ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल में राज्यपाल है।
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लखनऊ में भाजपा के नाम के साथ लालजी टंडन का नाम भी जुड़ा हुआ है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बहुत खास माने जाने वाले लालजी टंडन का प्रभाव केवल लखनऊ तक ही नहीं सीमित था। टंडन पूरे अवध क्षेत्र में अपना दखल रखते थे। भाजपा में लखनऊ की राजनीति में प्रत्याशी चयन से लेकर पदाधिकारियों तक का फैसला बिना उनकी सहमति के नहीं होता था। मौजूदा लोकसभा चुनाव में वह बिहार के राज्यपाल है लेकिन फिर भी उनका लखनऊ मोह अभी भी नहीं छूटता है। वह अक्सर लखनऊ पहुंच जाते है और अपने मिलनेवालों के साथ राजनीतिक माहौल की चर्चा करते है। बीती छह मई को वह अपना वोट डालने लखनऊ पहुंचे थे।