लोक सभा चुनाव: किसका होगा 2019?

Update:2018-12-23 22:13 IST
लोक सभा चुनाव: किसका होगा 2019?

शिखर सिंह

लखनऊ: लोक सभा चुनाव में अब बस कुछ ही समय रह गया है और सरकार के बीते पांच वर्षों के कामकाज का आंकलन शुरू हो गया है| बीजेपी जिन मुद्दों पर सरकार में आयी थी, आज वही वादे खंगाले जा रहे हैं|

मुख्य हैं - काला धन कितना आया, नोट बन्दी से क्या हासिल हुआ?, जी स टी कितना कारगर है?, कश्मीर मुद्दा, महंगाई पर लगाम कितना? और रोजगार वृद्धि| इन सब का हिसाब देश आज मांग रहा है|

2014 में 2 करोड़ युवाओं को हर साल रोजगार देने के वादे के अनुसार सरकार और ख़ास तौर पर हमारे प्रधान सेवक बिल्कुल गलत साबित हुए | 2GB प्रतिदिन डाटा दिया ये सही है, लेकिन जिस देश में 125करोड़ से ज्यादा की आबादी है, वहां डाटा का उपयोग नही किन्तु नौकरी का ज़रूर है ।

काला धन का मुद्दा भी महज जुमला सा लगा क्यूंकि सारा का सारा काला धन सफेद हो गया। नोटबंदी से हासिल क्या हुआ इस पर भी प्रधानसेवक चुप है। नोटबन्दी से काला धन तो नहीं आया अलबत्ता बड़े पैमाने पर नौकरियां जरूर चली गयी, करीब 150 लोगो की कतार मे मौत हो गयी।

भारतीय रिज़र्व बैंक की रेपोर्ट के अनुसार 99% 500 एवं 1000 के नोट सिस्टम मे लौट आए हैं | ऐसे में अगर काला धन था तो सिस्टम के बाहर जाने चाहिये थे।

जी स टी कितना कारगर सिद्ध हुआ ? पूरे देश के व्यापार मे बदलाव लाने के लिए जी स टी को लाया गया जिसका उद्देश्य था की एक कर लगाया जाए ताकी व्यापारीयों की दिक़्क़ते कम हो |

सहमत होना चाहूँगा की कदम अच्छा था सरकार का किन्तु निष्पादन अच्छा नही रहा जिसके कारण आए दिन पुनर्विलोकं जारी रहा और आजतक झंझट बनकर सता रहा है।

जहाँ तक विकास का सवाल है विद्यालय एवं अस्पताल के निर्माण का सरकार द्वारा ना के बराबर ध्यान आकर्षित हुआ है। कोई क्रीड स्थल भी नही ध्यान मे रखा, मानता हूँ सरदार पटेल की विशाल मूर्ती बनाई जिसमे 3000 करोड़ जनता का पैसा लगा दिया, सरदार पटेल के नाम पर अस्पताल, विश्वविद्यालय बनवाना बेहतर कदम होता।

मेहगाई पर भी कोई नियंत्रण नही है | नोटबन्दी करके सरकार ने मेह्गाई को लगभग काबू से बाहर कर दिया, देश के इतिहास मे डॉलर 70 के पार कभी नही गया था जो की इस बार गया।

कश्मीर मुद्दा भी हल नही हुआ, सरहद के पार हमारे सेना के जवान काफी शहीद हुए। इतनी बहुमत मे सरकार थी यदि चाहती तो मुद्दा हल हो जाता।

हाल का सीबीआई बनाम सीबीआई मामला सर्वोच्च न्यायालय मे सुशशं की स्थिथी बेहतर दर्शाता है।

जैसा की व्याख्या की गयी है, 2019 मे इस सरकार का रहना देश हित मे है या नहीं, यह तो अब जनता को तये करना है | हाल ही में तीन राज्य छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुई कांग्रेस की जीत भी भारतीय जनता पार्टी के लिए गहरा झटका था |

लेखक हाई कोर्ट (लखनऊ पीठ) के अधिवक्ता हैं और यह विचार उनके निजी हैं |

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