परम पूज्य बापू, सादर प्रणाम।

Update:1990-09-30 16:22 IST
परम पूज्य बापू, सादर प्रणाम। आशा करता हूं कि तुम वहां राजी-खुशी होगे। काफी दिन हुए तुम्हारा कोई समाचार नहीं मिला। हालांकि इधर से समय-समय पर लोग जाते रहे हैं और उन्होंने यहां का समाचार अपने-अपने ढंग से बताया जरूर होगा।
बापू, तुम असमय ही हमें छोड़कर चले गये। लेकिन हम बराबर तुम्हारे बताये रास्ते पर चल रहे हैं। लोगों की याददाश्त कम होती देखकर हमने लगभग हर शहर में एक गांधी मार्ग बनवा दिया। इससे फायदा यह होता है कि जब उन सड़कों पर राहजनी होती है, छेड़खानी होती है या ट्रक-टेम्पो टकराते हैं। तमाम लोग तुम्हारी शक्ल देखना चाहते थे, आवाज सुनना चाहते थे। ऐसा तभी हो सकता था कि जब तुम पर एक फिल्म बनती। बेचारे हमारे फिल्मकारों को चम्बल के  डाकुओं को ही फिल्माने से फुर्सत नहीं मिलती, इसलिए तुम्हारी ओर के से ध्यान देते? भला हो ब्रिटिश फिल्मकार एटनबरो का जो उन्होंने यह काम कर दिया। बेशक इस फिल्म से लेकिन दर्शकों को नये सिरे से गांधीवाद देखने-सुनने का मौका तो मिला। शायद तुम न समझते होगे कि यहां आजकल कितने किस्म का गांधीवाद चल रहा है। मैंने इस पर गम्भीरता से चिन्तन किया है और पाया कि जिस तरह आम विभिन्न स्वादों वाला होता है, उसी तरह गांधीवाद भी विभिन्न तरीकों का है।
तुमने देशी चीजों के  इस्तेमाल पर बल दिया था। तुम्हें खुशी होगी कि अब गांव-गांव में उत्तम किस्म की देशी चीजें बन रही हैं, लोग उन्हें ग्रहण कर रहे हैं और गम गलत कर रहे हैं। हमारी आगे की योजना है कि आगे चलकर नागरिकों को गेहूं, चावल, चीनी की भांति ही कुछ देशी माल भी राशन कार्ड पर दिया जाया करे। देशी माल के  निर्माण का सुफल यह है कि जहां लाखों लोग कुछ घंटों के  लिए दुःख दर्द भूलते हैं, वहीं यदा-कदा सैकड़ों की तादाद में लोग सदा-सदा के  लिए दुःख दर्द भूल जाते हैं। देशी हथियार रखते हैं। चूंकि उन्हें तुम्हारी बताई अहिंसा में आस्था है, लिहाजा पहले तो अहिंसक मुद्रा में कहते हैं-‘ताला चाभी मेरे हवाले कर दो।’ लेकिन जब वह नहीं मानता तो भी विदेशी को हाथ न लगाकर देशी हथियार को ही काम में लाते हैं। वे सारी अनावश्यक चीजें उससे छीन लेते हैं लेकिन लंगोटी उसके  बदन पर रहने देते हैं।
तुम रामराज लाने के  लिए चिंतित थे। अब तुम्हें यह जानकर खुशी होगी कि रामराज आ गया है। बाबू अपना काम नहीं करता, अफसर अपना काम नहीं करता, किसी को किसी का डर नहीं है, लोग दूसरों के  बीवी-बच्चों के  साथ अपने बीवी-बच्चों जैसा व्यवहार करते हैं, जो जैसा चाहता है वैसा करता है। सरकारें जनता की भलाई के  लिए प्रतिदिन हजारों की तादाद में फैसले करती हैं। इतने फैसले तो रामराज में भी नहीं होते थे। उनका कार्यान्वयन कराया जाता है। जांच समिति बनायी जाती है फिर जांच रिपोर्ट दबाई जाती है। लोग जनता की सेवा करने का अवसर पाने के  लिए निरंतर तप करते हैं और सेवा का अवसर मिलने पर त्यागवीर बन जाते हैं। लोकलाज, शर्म, ह्या सब कुछ त्याग देते हैं। राम तो बिना सोचे समझे राज छोड़ गये थे और प्रजा अनाथ हो गयी थी, लेकिन तुम्हारे चेले प्रजा को अनाथ नहीं होने देना चाहते। प्रजा की सेवा के  लिए वे सब कुछ करने के  लिए तैयार हैं-बूथों पर कब्जा करने के  लिए भी, दल-बदल करने के  लिए भी, घोटाले करने के  लिए भी।

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