सुरसा मुख सा बढ़ रहा विस्फोटों का जाल
भारत में विध्वंस की चली किसी ने चाल
चली किसी ने चाल नहीं कोई कुछ जाने
साजिश की सीमाओं को कैसे पहचाने
ऐसे ही गर देश में बना रहा संजाल
आहत होगी संस्कृति, घायल होगा भाल।
भारत में विध्वंस की चली किसी ने चाल
चली किसी ने चाल नहीं कोई कुछ जाने
साजिश की सीमाओं को कैसे पहचाने
ऐसे ही गर देश में बना रहा संजाल
आहत होगी संस्कृति, घायल होगा भाल।