सोती जो सरकार है, रोता उसका देश
सुलग रही चिंगारियां, विलख रहा परिवेश
विलख रहा परिवेश हालत बहुत बुरी है
हर सांसों की नाड़ी पर अब तेज छुरी है
शहरों में हड़कम्प मचा पर गांव जले हैं
हाय विधाता किसने ये विध्वंस रचे हैं।
सुलग रही चिंगारियां, विलख रहा परिवेश
विलख रहा परिवेश हालत बहुत बुरी है
हर सांसों की नाड़ी पर अब तेज छुरी है
शहरों में हड़कम्प मचा पर गांव जले हैं
हाय विधाता किसने ये विध्वंस रचे हैं।