सांसद अब बिक रहे उनके भाव अमोल,
भगवन एक बार तुम संसद के दो पट खोल,
संसद के दो पट खोल किसी तरह प्रवेश हो जायंे,
पार्टी टूटे कई बार दल बदल का लाभ उठायें,
वैसे तो बिकते हैं हम रोज ढाक के तीन,
संसद में बिककर होंगे हम सब सत्तासीन।
भगवन एक बार तुम संसद के दो पट खोल,
संसद के दो पट खोल किसी तरह प्रवेश हो जायंे,
पार्टी टूटे कई बार दल बदल का लाभ उठायें,
वैसे तो बिकते हैं हम रोज ढाक के तीन,
संसद में बिककर होंगे हम सब सत्तासीन।