चिंता में डूबे दिखें हलकू और करीम

Update:1993-04-07 15:45 IST

चिंता में डूबे दिखें हलकू और करीम



दर्द व्यवस्था किससे कहें दिखता नहीं हकीम



दिखता नहीं हकीम मर्ज है बढ़ता जाता



नंगा-भूखा पेट कर्ज है चढ़ता जाता



राजनीति के  जाल का है कुछ ऐसा हाल



मरते-करते काम वे, बैठा छाने माल।

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