अब रिश्ते विकराल हैं कल जो थे संक्षिप्त

Update:1993-04-19 15:57 IST

अब रिश्ते विकराल हैं कल जो थे संक्षिप्त



नायक खलनायक दिखे देशद्रोह में लिप्त



देशद्रोह में लिप्त करें करतूत घिनौनी



छवि थी जिनकी भेदभाव से मुक्त दिख रही बौनी



माया नगरी बन गयी अपराधों की खान



तस्कर, गुंडे छा गये, घटी देश की शान।

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