पानी ही विष हो गया तो किसकी कौन बिसात
उथले तंत्र को क्या कहें किससे दर्द की बात
किससे दर्द की बात निजात समस्या से हो
जान न जाने पाए व्यवस्था ऐसी भी हो
देश का पानी औ हवा कैसे बनेंगे शुद्ध
नहीं ये संभव तब तलब, जब तक प्रकृति है क्रुद्ध।
पानी ही विष हो गया तो किसकी कौन बिसात
उथले तंत्र को क्या कहें किससे दर्द की बात
किससे दर्द की बात निजात समस्या से हो
जान न जाने पाए व्यवस्था ऐसी भी हो
देश का पानी औ हवा कैसे बनेंगे शुद्ध
नहीं ये संभव तब तलब, जब तक प्रकृति है क्रुद्ध।