जनता का हक मार कर करें करोड़ो खर्च

Update:1993-05-24 22:05 IST

जनता का हक मार कर करें करोड़ो खर्च



पानी जैसा धन बहे नहीं है कोई फर्क



नहीं है कोई फर्क कर्ज बाहर से आया



भूखों जनता मरे यही पंचों की माया



बैठें ए.सी. हाल में सुनें विदेशी साज



इसी तरह इस देश में हो पंचायत राज।

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