धूल भरी आंधी चली हुआ तुषारापात

Update:1993-05-28 22:09 IST

धूल भरी आंधी चली हुआ तुषारापात



रद कठौरा में हुई अधिवेशन की बात



अधिवेशन की बात घात थी नेताओं की



धनगत नहीं विलाप, हानि है आशाओं की



कुपित, प्रकृति ने है किया कितना कठिन प्रहार



जिसकी जैसी भावना, वैसा ही उपहार।

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