प्रबंधन: एक बेहतर भविष्य

Update:1997-03-10 19:04 IST
पैसा और प्रभुत्व इन दोनों को डिग्री के  साथ पा लेना सहज संभव नहीं है। इतना ही नहीं, कोई पढ़ाई पूरी करके  बिना किसी प्रतियोगिता के  नौकरी पाने के  दिन भी लद गये। ऐसी समाज में धारणा घर कर गयी है। यह धारणा गलत भी नहीं है। परंतु अभी भी तमाम ऐसे पाठ्यक्रम हैं, जिनके  पूरा कर लेने से एक ही नहीं कई नौकरियों के  प्रस्ताव अभ्यर्थी के  पास होते हैं। सपना नहीं सच है। सच यह है कि यह प्रस्ताव भी छोटे-मोटे नहीं दो-ढाई लाख वार्षिक से लेकर छह लाख वार्षिक तक के  हो सकते हैं। वैसे इतने पैसे पगार के  रूप में चाहें न भी मिलें तो भी नौकरी पा जाना लगभग निश्चित हो जाता है। ऐसे पाठ्यक्रमों में आजकल युवाओं के  बीच खासे आकर्षण का के न्द्र हैं-एमबीए (मास्टर आॅफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन) का पाठ्यक्रम, एमबीए की डिग्री तो देश के  लगभग सभी विश्वविद्यालय देते ही हैं साथ ही साथ तमाम निजी संस्थान भी प्रबंधन के  क्षेत्र में उपाधियां प्रदान करते हैं।
प्रबंधन के  क्षेत्र में भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) की उपाधि का खासा आकर्षण है। देश के  व्यावसायिक गतिविधियों में विस्तार के  साथ-साथ प्रबंधन के  क्षेत्र में रोजगार के  कई अवसर खुले हैं। एमबीए की डिग्री लेकर प्रबंधन के  क्षेत्र में कैरियर की आकर्षक शुरूआत की जा सकती है। इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेन्ट (आईआईएम) के  चारो प्रमुख के न्द्रों-अहमदाबाद, कलकत्ता, बंगलौर एवं लखनऊ से प्रबंधन की उपाधि प्राप्त करना तो परियों के  देश के  सपनों का सच पा जाना है। अभी हाल में भारतीय प्रबंधन संस्थान, लखनऊ का दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ है। वैसे तो दीक्षांत समारोह का होना एक परम्परा है। परंतु आईआईएम का दीक्षांत समारोह अध्ययन, अध्यापन एवं मीडिया से जुड़े सभी लोगों के  लिए खासा आकर्षण का के न्द्र रहा।
इस दीक्षांत समारोह में 116 छात्रों को उपाधियां दी गयीं। आश्चर्यजनक यह रहा कि उपाधियां पाने से पहले ही छात्रों के  पास ख्याति प्राप्त राष्ट्रीय एवं बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के  नौकरी के  प्रस्ताव पड़े थे। उपाधि पाए बिना नौकरी के  भारी भरकम और कई प्रस्ताव पाने का अवसर महज आईआईएम के  छात्रों को ही मिल सकता है। इससे यह अर्थ कदापि नहीं निकलता कि आईआईएम के  अलावा अन्य संस्थानों से दी जाने वाली प्रबंधन की उपाधियां उपयोगी नहीं हैं।
आईआईएम के  छात्रों के  पास जहां चार-चार पांच-पांच कम्पनियों के  प्रस्ताव थे वहीं कम से कम ढाई लाख रूपए वार्षिक और अधिक से अधिक छह लाख रूपए वार्षिक के  प्रस्तावों को मेधावी छात्रों ने स्वीकार किया। आईआईएम के  सर्वोच्च अंक पाए छात्र को छह लाख वार्षिक का प्रस्ताव भेजकर अमरीका की माइके न्सी कंसल्टेंसी ने अपने यहां काम करने को राजी किया है। माइके न्सी कंसल्टेंसी के  अलावा भारतीय कम्पनी एबीसीएल अमरीकी कम्पनी डिलाइट एण्ड टच, एसीएल कम्पनी और रेमेका सिस्टम कम्पनियों के  प्रस्ताव भी छात्रों के  पास थे। बेरोजगारी के  इस गंभीर दौर में भी आईआईएम के  छात्रों के  पास कई-कई नौकरियों के  प्रस्ताव और पाॅवर मून एवं मनी मून वाले अवसर देखकर भारतीय प्रबंधन संस्थान के  व्यावसायिक प्रबंधन के  स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के  प्रति सहज आकर्षण होना स्वाभाविक है।
एमबीए में रुचि रखने वाले छात्रांे को जान यह पहले लेना चाहिए कि ये संस्थान पहले दो वर्ष का पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा तथा तीन वर्षीय फेलो पाठ्यक्रम की सुविधा प्रदान करते हैं। इसके  लिए दिसम्बर में काॅमन एडमिशन टेस्ट (कैट) होता है। देश के  अन्य तमाम विश्वविद्यालय भी एमबीए की डिग्री देते हैं। एमबीए/एमएमएस के  प्रवेश के  लिए शिक्षण संस्थाएं लिखित परीक्षा/साक्षात्कार/ गु्रप डिस्कशन आयोजित करते हैं। एमबीए, एमएमएस की प्रवेश परीक्षा में उम्मीदवार की सोचने की समझने की और भाषा संबंधी योग्यताओं की जांच परख होती है। दिल्ली विश्वविद्यालय के  प्रबंध विभाग के  प्रोफेसर एएस नारंग के  अनुसार हमें ऐसे विद्यार्थियों की तलाश रहती है, जिन्हें अंग्रेजी भाषा का अच्छा ज्ञान हो। साथ ही गणित पर भी समान अधिकार हो। अंग्रेजी भाषा का ज्ञान प्रबंधन क्षेत्र में नौकरी शुरू करने में बेहतर सहायक होता है। प्रवेश में अंग्रेजी का ज्ञान गणित की समझ जानने का प्रयास किया जाता है। लिखित परीक्षा में रीडिंग, एप्रिहेन्सन, वोके बलरी, इंग्लिश ग्रामर, मैथमेटिक्स, प्राब्लम साल्विंग, डाटा इन्टरप्रेटेशन एवं एनालिसिस डाटा एफिसिएंशी, लाॅजिकल एण्ड एनालिटिकल रीजनिंग आदि से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं। बहु वैकल्पिक प्रश्नों की इस परीक्षा में निगेटिव मार्किंग भी होती है। लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण छात्रों का ग्रुप डिस्कशन होता है। इसमें यह जांचा एवं परखा जाता है कि विद्यार्थी कितने सहजता एवं आत्म विश्वास के  साथ अपने अन्य सहयोगियों के  साथ तालमेल बैठाने का गुण रखता है। इसके  लिए भाषा पर नियंत्रण एवं तथ्यों व तर्कों की सही जानकारी आवश्यक मानी जाती है।
ग्रुप डिस्कशन मंे पास होने वाले विद्यार्थियों का साक्षात्कार होता है। साक्षात्कार के  समय छात्रों को नर्वस नहीं होना चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि तमाम प्रश्नों का उत्तर अभ्यर्थी को नहीं आता है। इसके  लिए अभ्यर्थी को साफ-साफ अनभिज्ञता प्रकट कर देना चाहिए। साक्षात्कार में अभ्यर्थी के  ज्ञान की कम उसके  प्रति उत्पन्न मति एवं आत्म विश्वास की अधिक परख होती है। वैसे तो जीमैट एवं जीआरई की तर्ज पर भी एमबीए एवं प्रबंधन के  पाठ्यक्रमों में प्रवेश की तैयारी की जाती है। परंतु यह विश्वासपूर्वक नहीं कहा जा सकता कि इस तैयारी के  आधार पर पूरी तौर पर कोई सफलता हासिल की जा सकती है।
इस परीक्षा में समय कम होता है एवं प्रश्नों की संख्या अधिक होती है। इसलिए सबसे पहले आसान एवं उन सवालों को हल करना चाहिए जिनके  बारे में आप पूरी तरह आश्वस्त हों। भारी भरकम सवाल बाद में हल करना चाहिए। इससे जहां एक ओर समय बचाया जा सकता है वहीं निगेटिव मार्किंग से भी बचा जा सकता है। प्रश्नों के  बारे में अनुमान नहीं लगाना चाहिए। सीमित समय के  मनोवैज्ञानिक दबाव से अभ्यर्थी को प्रभावी नहीं होना चाहिए। अभ्यर्थी को प्रश्न पत्र के  शुरू में दिये गये निर्देशों को बहुत ठीक से पढ़ना चाहिए। बहु वैकल्पिक प्रश्नों को हल करने के  लिए सही उत्तर समझ न आने पर दिये गये विकल्पों में से सबसे गलत उत्तर को अलग करने की विधि का सहारा लेकर भी सबसे अंत में बचे विकल्प को सही विकल्प के  रूप में पहचानने की प्रक्रिया उपयोगी है। परंतु इसमें गलत विकल्पों के  बारे में पूर्णतया निश्चित होना जरूरी है। अंक गणितीय प्रश्न हल करने के  लिए लाभ हानि, समय दूरी एवं प्रतिशत से संबंधित फार्मूले की जानकारी वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को हल करने में बेहद उपयोगी होती है। फार्मूले की मदद से प्रश्नों को हल करने से समय बचता है।
रीजनिंग के  लिए विद्यार्थी को काफी अभ्यास की जरूरत पड़ती है। इन प्रश्नों को अभ्यास के  बाद कम समय में सही-सही हल किया जा सकता है। अंग्रेजी वाले खण्ड के  लिए अभ्यर्थी को लगभग 500 से 600 शब्दों का शब्दकोष होना चाहिए। यदि किसी उत्तर को बदलना हो तो पहले लगाये गये निशान को पूरी तरह मिटा दें वर्ना संगणक की थोड़ी भी संवेदनशीलता आपको निगेटिव मार्क दे सकती है।
अंग्रेजी का खण्ड सामान्यतः उन प्रतियोगिताओं को जो या तो अंग्रेजी माध्यम से नहीं पढ़े हैं या अंग्रेजी का जिन्हें अच्छा ज्ञान नहीं है, थोड़ा कठिन अवश्य लगता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि अन्य छात्र इस प्रतियोगिता में सफल नहीं होते हैं या अंग्रेजी के  खण्ड को नहीं कर पाते हैं। इस खण्ड में प्रश्न सामान्यतः सम्भाव (सिनोनियम) प्रतिलोम शब्द, वाक्य विन्यास और वाक्य निर्माण, एक अनुच्छेद को पढ़कर उसके  नीचे दिये प्रश्नों के  उत्तर देने होते हैं। सम्भाव व प्रतिलोम शब्दों के  लिए लगातार अंग्रेजी पुस्तकों, समाचार पत्रों और साथ ही इस प्रयोजन के  लिए विशेष प्रकाशित पुस्तकों से तैयारी की जा सकती है। इसके  अलावा वाक्य का सही निर्माण मुख्य रूप से अंग्रेजी व्याकरण की परीक्षा है। इसके  लिए व्याकरण जानना आवश्यक है।
परीक्षा का एक अन्य खण्ड होता है-सामान्य ज्ञान और विश्व व देश के  ताजा घटनाओं की जानकारी। सामान्य ज्ञान में प्रश्न भारत के  इतिहास, भूगोल, अर्थव्यवस्था, बजट, आर्थिक नीति, कृषि एवं औद्योगिक नीति, स्वतंत्रता संग्राम आदि से सम्बन्धित प्रश्न पूछे जा सकते हैं। इन सभी विषयों की तैयारी के  लिए अगर अपने बोर्ड की बारहवीं कक्षा के  स्तर की पुस्तकों का अध्ययन करें तो बेहद उपयोगी होगा।

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