शिक्षा आत्मविश्वास का एक माध्यम है। शिक्षा से मानसिक अनुशासन प्राप्त होता है। शिक्षा का मुख्य कार्य व्यक्ति को उसके अंदर के छिपे ‘पोटेन्शियल’ को उजागर कर रास्ता दिखाना है। शिक्षा से बुद्धि का विकास, संस्कृति का ज्ञान, व्यवहार की समझ एवं विशेष योग्याताओं का विकास होता है। शिक्षा के क्षेत्र में हमारे विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों (राजकीय एवं निजी महाविद्यालयों) में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए लंबे समय तक स्थापित भिन्न भिन्न मापदंडों को दूर करने की दिशा में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सार्थक पहल की। पिछले कई वर्षों से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालय/महाविद्यालय में प्रवक्ता बनाने के लिए ‘नेट’ (नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट) में उत्तीर्ण होना अनिवार्य कर दिया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने यह तय किया है कि अगर किसी भी उम्मीदवार के पास ‘नेट’ उत्तीर्ण करने का प्रमाणपत्र नहीं होगा तो उसे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अध्यापन के अवसर से तो वंचित तो होना ही पड़ेगा। साथ ही शोध करने के लिए छात्रवृत्ति के अवसर भी उसे प्राप्त नहीं होंगे। वैसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने इसे लागू करने के लिए उन अभ्यर्थियों को छूट प्रदान की है जिन्होंने एक निश्चित तिथि तक एम.फिल, पीएच.डी./डी.फिल की उपाधि प्राप्त कर ली है। इन उपाधि धारकों के लिए उच्च शिक्षा में अध्यापन के अवसर का लाभ उठाने के लिए ‘नेट’ परीक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य नहीं है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यह परीक्षा वर्ष में दो बार जून और दिसम्बर में आयोजित करता है। इस परीक्षा में अभ्यर्थी को जूनियर रिसर्च फेलोशिप (कनिष्ठ शोध छात्रवृत्ति) एवं अध्यापक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने का प्रमाण पत्र विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रदान किया जाता है। 28 वर्ष से कम उम्र वाले अभ्यर्थी अगर ‘नेट’ की परीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं तो उन्हें शोध करने के लिए कनिष्ठ शोध छात्रवृत्ति (जे.आर.एफ.) प्रदान की जाती है। 28 वर्ष से अधिक उम्र के जो भी अभ्यर्थी ‘नेट’ की परीक्षा पास करते हैं उन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग मात्र अध्यापक पात्रता प्रमाण पत्र प्रदान करता है। इस प्रमाण पत्र के मिलने का यह कतई मतलब नहीं लगाया जाना चाहिए कि किसी भी छात्र को उच्च शिक्षा में अध्यापक होने की गारंटी हो गयी। परंतु इस परीक्षा को पास किये बिना कोई भी छात्र किसी भी विश्वविद्यालय या महाविद्यालय में अध्यापक होने के लिए साक्षात्कार देने का पात्र भी नहीं माना जा सकता है।
‘नेट’ परीक्षा में बैठने वाले अभ्यर्थियों के पास सम्बन्धित परास्नातक विषय में 55 प्रतिशत अंकों का होना अनिवार्य है। उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम-1973 के अनुसार के वल वही व्यक्ति महाविद्यालय में प्रवक्ता पद हेतु आवेदन के लिए अर्ह है जिसने सम्बन्धित विषय में 55 प्रतिशत अंकों के साथ परास्नातक डिग्री हासिल हो। यूजीसी की ‘नेट’ परीक्षा उत्तीर्ण की हो। लेकिन शिक्षा संकाय यानी बी.एड. में प्रवक्ता बनने के लिए अभ्यर्थी के पास बी.एड. में कम से कम 55 प्रतिशत अंक और स्नातक परीक्षा में द्वितीय श्रेणी की डिग्री होना अनिवार्य है। इसके अलावा वे अभ्यर्थी भी आवेदन कर सकते हैं जिन्होंने स्नातक एवं बी.एड. परीक्षाओं में अलग-अलग 50 प्रतिशत अंक हासिल किये हों।
विधि संकाय में प्रवक्ता बनने के लिए भी यह अनिवार्य है कि आवेदक को एलएल.बी. की परीक्षा में 55 प्रतिशत अंक और स्नातक स्तर तक द्वितीय श्रेणी की डिग्री हो या अभ्यर्थी ने विधि एवं स्नातक दोनों परीक्षाओं में अलग-अलग 50 प्रतिशत अंक हासिल किये हों। कला, चित्रकला, संगीत, वाणिज्य एवं विज्ञान संकाय में लेक्चरर बनने के लिए स्नातक स्तर पर 55 प्रतिशत अंक और इंटरमीडिएट द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण होना आवश्यक है। इसके अलावा अध्यापक पात्रता के लिए वे अभ्यर्थी भी आवेदन कर सकते हैं जो दोनों परीक्षाओं में अलग-अलग 50 प्रतिशत अंक प्राप्त किये हों। सामान्य तौर पर छात्रों में यह धारणा फैलायी गयी है कि ‘नेट’ देने वाले अभ्यर्थी के लिए मास्टर डिग्री में 55 प्रतिशत अंक अनिवार्य योग्यता है परन्तु यदि कोई अभ्यर्थी नेट परीक्षा के माध्यम से मात्र कनिष्ठ शोध छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करता रहा है तो उसके लिए परास्नातक में 55 प्रतिशत अंकों के साथ-साथ सनतक स्तर पर 55 प्रतिशत एवं इण्टरमीडिएट में भी द्वितीय श्रेणी उत्तीर्ण होना आवश्यक है। अतः परीक्षार्थियों को यह सलाह दी जाती है कि यदि उनकी मास्टर डिग्री से नीचे की परीक्षाओं में राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम द्वारा निर्धारित प्राप्तांक प्रतिशत से कम है तो उन्हें प्रवक्ता पात्रता परीक्षा हेतु ‘नेट’ में ही बैठना चाहिए। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को भी चाहिए कि ‘नेट’ उत्तीर्ण करने के लिए के वल सम्बन्धित विषयों में 55 प्रतिशत प्राप्तांक का निर्धारण पूरे स्पष्ट तौर पर करें तथा अध्यापक पात्रता परीक्षा के लिए राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम को भी इंगित करें।
‘नेट’ परीक्षा के माध्यम से प्रवक्ता पात्रता परीक्षा एवं फेलोशिप के लिए उत्तीर्ण प्रमाण पत्र प्रदान किये जाते हैं। ‘नेट’ के लिए आवेदन करते समय परीक्षार्थी से यह विकल्प मांगा जाता है कि वह प्रवक्ता पात्रता परीक्षा हेतु मात्र आवेदन कर रहा है अथवा प्रवक्ता पात्रता व फेलोशिप दोनों के लिए। प्रवक्ता पात्रता एवं कनिष्ठ शोध छात्रवृत्ति इन दोनों परीक्षाओं को पाठ्यक्रम एक जैसा ही होता है और इनके प्रश्नपत्र भी एक ही होते हैं। महज मेरिट अलग से तैयार की जाती है।
नेट एक राष्ट्रव्यापी परीक्षा है। इसमें तीन तरह के प्रश्नपत्र होते हैं। यह तीनों प्रश्नपत्र एक ही दिन में देने होते हैं। प्रथम प्रश्नपत्र 1 घण्टा 15 मिनट का होता है। इसका पूर्णांक 100 होता है जिसमें वस्तुनिष्ठ प्रकार के 50 प्रश्न पूछे जाते हैं। इसे अनिवार्य प्रश्नपत्र भी कह सकते हैं। यह सभी विषयों के उम्मीदवारों के लिए एक ही होता है। इस प्रश्नपत्र के माध्यम से अभ्यर्थी की शिक्षण एवं शोध अभियोग्यता का पता लगाया जाता है। इसमें अर्थग्रहण, विश्लेषण, मूल्यांकन, आगम-निगम, तर्क के अंतर की पहचान, तर्क संरचना को समझने की परीख, आगमन एवं तुलनात्मक अध्ययन, वर्गीकरण एवं परिभाषाओं के मूल्यांकन, भाषाजन्य स्पष्टता से जुड़े हुए सवाल होते हैं।
दूसरा प्रश्नपत्र भी 100 अंकों का होता है जो परीक्षार्थी द्वारा परास्नातक स्तर पर उत्तीर्ण विषय से सम्बन्धित होता है। यह प्रश्नपत्र भी वस्तुनिष्ठ प्रकार का होता है। इसमें कुल 50 प्रश्न होते हैं जिनको हल करने की अवधि 1 घण्टा 15 मिनट होती है। प्रथम प्रश्नपत्र समाप्त होने के लगभग 15 मिनट बाद द्वितीय प्रश्न पत्र अभ्यर्थियों को प्रदान किया जाता है। इस प्रश्नपत्र से सम्बन्धित पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अपने विज्ञापनों में प्रकाशित करता है। तीसरा प्रश्नपत्र भी अभ्यर्थी के परास्नातक पर लिये गये विषय से सीधे तौर से सम्बन्धित होता है। लेकिन इसका स्वरूप द्वितीय प्रश्नपत्र की तरह वस्तुनिष्ठ प्रकार का न होकर वर्णनात्मक प्रकार का होता है। इसका पूर्णांक 200 अंकों का होता है और इसे हल करने के लिए अभ्यर्थियों को 2.30 घण्टे का समय मिलता है।
‘नेट’ परीक्षा में वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्नों को बहुत सावधानी से हल करना चाहिए क्योंकि काॅपी जांचते समय ‘निगेटिव मार्किंग’ की प्रक्रिया अपनायी जाती है। प्रायः यह देखा गया है कि अभ्यर्थी सभी प्रश्नों को हल करने की औपचारिकता पूरी करने में जुट जाते हैं परन्तु जिन प्रश्नों के बारे में अभ्यर्थी को ठीक-ठाक पता न हो उन्हें हल करना उचित नहीं होता है। के वल उन्हीं अभ्यर्थियों के तृतीय प्रश्न पत्र का मूल्यांकन होता है जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा ली जाने वाले नेट परीक्षा के प्रथम एवं द्वितीय प्रश्नपत्र में यूजीसी द्वारा निर्धारित न्यूनतम अंक प्राप्त करते हैं।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा आयोजित नेट परीक्षा का तीसरा प्रश्नपत्र निबन्धात्मक/ वर्णनात्मक होता है। उत्तर को आयोग द्वारा निर्धारित शब्दों में लिखना होता है। अधिक शब्दों में उत्तर लिखना भी सकारात्मक नहीं माना जाता है। इससे अभ्यर्थी की विशेष योग्यता पर सवाल खड़ा हो सकता है। नेट परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए अभ्यर्थियों को जहां आसपास के सामान्य ज्ञान के प्रति सचेत रहना चाहिए वहीं स्नातकोत्तर स्तर पर लिये गये विषय का भी खासा ज्ञान जरूरी होता है। इस परीक्षा को उत्तीर्ण करके अभ्यर्थी जहां उच्च शिक्षा में अध्यापन करने के लिए साक्षात्कार देने के पात्र हो जाते हैं वहीं कनिष्ठ शोध छात्रवृत्ति के माध्यम से उन्हें शोध करने के लिए भी अच्छे अवसर उपलब्ध होते हैं। यद्यपि परास्नातक स्तर पर 55 प्रतिशत अंक प्राप्त करने के साथ ही स्नातकोत्तर से पूर्व की परीक्षाओं में भी राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुसार उत्तीर्ण होना जरूरी होता है परन्तु जो अभ्यर्थी महज परास्नातक स्तर के मानदंड को पूरा करते हैं उन्हें निराश नहीं होना चाहिए। इस परीक्षा को उत्तीर्ण करके वे शोध के क्षेत्र में कार्य करते हुए औद्योगिक घरानों के रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट विंग में तो काम पा ही सकते हैं साथ ही साथ एनसीईआरटी सहित प्रदेश और के न्द्र सरकार के तमाम संस्थाओं में नौकरी पाने के लिए अवसर खुले रहते हैं। कुछ लोगों में यह गलत धारणा है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ‘नेट’ उत्तीर्ण व्यक्तियों को नौकरी दिलाता है परन्तु सच यह है कि यह आयोग प्राध्यापक पद हेतु व्यक्ति की पात्रता घोषित करता है, नौकरी की गारण्टी नहीं लेता। हां, उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शोध करने के इच्छुक अभ्यर्थियों को आर्थिक सहायता प्रदान कर उन्हें शोध के क्षेत्र में काम करने के अवसर उपलब्ध जरूर कराता है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यह परीक्षा वर्ष में दो बार जून और दिसम्बर में आयोजित करता है। इस परीक्षा में अभ्यर्थी को जूनियर रिसर्च फेलोशिप (कनिष्ठ शोध छात्रवृत्ति) एवं अध्यापक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने का प्रमाण पत्र विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रदान किया जाता है। 28 वर्ष से कम उम्र वाले अभ्यर्थी अगर ‘नेट’ की परीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं तो उन्हें शोध करने के लिए कनिष्ठ शोध छात्रवृत्ति (जे.आर.एफ.) प्रदान की जाती है। 28 वर्ष से अधिक उम्र के जो भी अभ्यर्थी ‘नेट’ की परीक्षा पास करते हैं उन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग मात्र अध्यापक पात्रता प्रमाण पत्र प्रदान करता है। इस प्रमाण पत्र के मिलने का यह कतई मतलब नहीं लगाया जाना चाहिए कि किसी भी छात्र को उच्च शिक्षा में अध्यापक होने की गारंटी हो गयी। परंतु इस परीक्षा को पास किये बिना कोई भी छात्र किसी भी विश्वविद्यालय या महाविद्यालय में अध्यापक होने के लिए साक्षात्कार देने का पात्र भी नहीं माना जा सकता है।
‘नेट’ परीक्षा में बैठने वाले अभ्यर्थियों के पास सम्बन्धित परास्नातक विषय में 55 प्रतिशत अंकों का होना अनिवार्य है। उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम-1973 के अनुसार के वल वही व्यक्ति महाविद्यालय में प्रवक्ता पद हेतु आवेदन के लिए अर्ह है जिसने सम्बन्धित विषय में 55 प्रतिशत अंकों के साथ परास्नातक डिग्री हासिल हो। यूजीसी की ‘नेट’ परीक्षा उत्तीर्ण की हो। लेकिन शिक्षा संकाय यानी बी.एड. में प्रवक्ता बनने के लिए अभ्यर्थी के पास बी.एड. में कम से कम 55 प्रतिशत अंक और स्नातक परीक्षा में द्वितीय श्रेणी की डिग्री होना अनिवार्य है। इसके अलावा वे अभ्यर्थी भी आवेदन कर सकते हैं जिन्होंने स्नातक एवं बी.एड. परीक्षाओं में अलग-अलग 50 प्रतिशत अंक हासिल किये हों।
विधि संकाय में प्रवक्ता बनने के लिए भी यह अनिवार्य है कि आवेदक को एलएल.बी. की परीक्षा में 55 प्रतिशत अंक और स्नातक स्तर तक द्वितीय श्रेणी की डिग्री हो या अभ्यर्थी ने विधि एवं स्नातक दोनों परीक्षाओं में अलग-अलग 50 प्रतिशत अंक हासिल किये हों। कला, चित्रकला, संगीत, वाणिज्य एवं विज्ञान संकाय में लेक्चरर बनने के लिए स्नातक स्तर पर 55 प्रतिशत अंक और इंटरमीडिएट द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण होना आवश्यक है। इसके अलावा अध्यापक पात्रता के लिए वे अभ्यर्थी भी आवेदन कर सकते हैं जो दोनों परीक्षाओं में अलग-अलग 50 प्रतिशत अंक प्राप्त किये हों। सामान्य तौर पर छात्रों में यह धारणा फैलायी गयी है कि ‘नेट’ देने वाले अभ्यर्थी के लिए मास्टर डिग्री में 55 प्रतिशत अंक अनिवार्य योग्यता है परन्तु यदि कोई अभ्यर्थी नेट परीक्षा के माध्यम से मात्र कनिष्ठ शोध छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करता रहा है तो उसके लिए परास्नातक में 55 प्रतिशत अंकों के साथ-साथ सनतक स्तर पर 55 प्रतिशत एवं इण्टरमीडिएट में भी द्वितीय श्रेणी उत्तीर्ण होना आवश्यक है। अतः परीक्षार्थियों को यह सलाह दी जाती है कि यदि उनकी मास्टर डिग्री से नीचे की परीक्षाओं में राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम द्वारा निर्धारित प्राप्तांक प्रतिशत से कम है तो उन्हें प्रवक्ता पात्रता परीक्षा हेतु ‘नेट’ में ही बैठना चाहिए। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को भी चाहिए कि ‘नेट’ उत्तीर्ण करने के लिए के वल सम्बन्धित विषयों में 55 प्रतिशत प्राप्तांक का निर्धारण पूरे स्पष्ट तौर पर करें तथा अध्यापक पात्रता परीक्षा के लिए राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम को भी इंगित करें।
‘नेट’ परीक्षा के माध्यम से प्रवक्ता पात्रता परीक्षा एवं फेलोशिप के लिए उत्तीर्ण प्रमाण पत्र प्रदान किये जाते हैं। ‘नेट’ के लिए आवेदन करते समय परीक्षार्थी से यह विकल्प मांगा जाता है कि वह प्रवक्ता पात्रता परीक्षा हेतु मात्र आवेदन कर रहा है अथवा प्रवक्ता पात्रता व फेलोशिप दोनों के लिए। प्रवक्ता पात्रता एवं कनिष्ठ शोध छात्रवृत्ति इन दोनों परीक्षाओं को पाठ्यक्रम एक जैसा ही होता है और इनके प्रश्नपत्र भी एक ही होते हैं। महज मेरिट अलग से तैयार की जाती है।
नेट एक राष्ट्रव्यापी परीक्षा है। इसमें तीन तरह के प्रश्नपत्र होते हैं। यह तीनों प्रश्नपत्र एक ही दिन में देने होते हैं। प्रथम प्रश्नपत्र 1 घण्टा 15 मिनट का होता है। इसका पूर्णांक 100 होता है जिसमें वस्तुनिष्ठ प्रकार के 50 प्रश्न पूछे जाते हैं। इसे अनिवार्य प्रश्नपत्र भी कह सकते हैं। यह सभी विषयों के उम्मीदवारों के लिए एक ही होता है। इस प्रश्नपत्र के माध्यम से अभ्यर्थी की शिक्षण एवं शोध अभियोग्यता का पता लगाया जाता है। इसमें अर्थग्रहण, विश्लेषण, मूल्यांकन, आगम-निगम, तर्क के अंतर की पहचान, तर्क संरचना को समझने की परीख, आगमन एवं तुलनात्मक अध्ययन, वर्गीकरण एवं परिभाषाओं के मूल्यांकन, भाषाजन्य स्पष्टता से जुड़े हुए सवाल होते हैं।
दूसरा प्रश्नपत्र भी 100 अंकों का होता है जो परीक्षार्थी द्वारा परास्नातक स्तर पर उत्तीर्ण विषय से सम्बन्धित होता है। यह प्रश्नपत्र भी वस्तुनिष्ठ प्रकार का होता है। इसमें कुल 50 प्रश्न होते हैं जिनको हल करने की अवधि 1 घण्टा 15 मिनट होती है। प्रथम प्रश्नपत्र समाप्त होने के लगभग 15 मिनट बाद द्वितीय प्रश्न पत्र अभ्यर्थियों को प्रदान किया जाता है। इस प्रश्नपत्र से सम्बन्धित पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अपने विज्ञापनों में प्रकाशित करता है। तीसरा प्रश्नपत्र भी अभ्यर्थी के परास्नातक पर लिये गये विषय से सीधे तौर से सम्बन्धित होता है। लेकिन इसका स्वरूप द्वितीय प्रश्नपत्र की तरह वस्तुनिष्ठ प्रकार का न होकर वर्णनात्मक प्रकार का होता है। इसका पूर्णांक 200 अंकों का होता है और इसे हल करने के लिए अभ्यर्थियों को 2.30 घण्टे का समय मिलता है।
‘नेट’ परीक्षा में वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्नों को बहुत सावधानी से हल करना चाहिए क्योंकि काॅपी जांचते समय ‘निगेटिव मार्किंग’ की प्रक्रिया अपनायी जाती है। प्रायः यह देखा गया है कि अभ्यर्थी सभी प्रश्नों को हल करने की औपचारिकता पूरी करने में जुट जाते हैं परन्तु जिन प्रश्नों के बारे में अभ्यर्थी को ठीक-ठाक पता न हो उन्हें हल करना उचित नहीं होता है। के वल उन्हीं अभ्यर्थियों के तृतीय प्रश्न पत्र का मूल्यांकन होता है जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा ली जाने वाले नेट परीक्षा के प्रथम एवं द्वितीय प्रश्नपत्र में यूजीसी द्वारा निर्धारित न्यूनतम अंक प्राप्त करते हैं।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा आयोजित नेट परीक्षा का तीसरा प्रश्नपत्र निबन्धात्मक/ वर्णनात्मक होता है। उत्तर को आयोग द्वारा निर्धारित शब्दों में लिखना होता है। अधिक शब्दों में उत्तर लिखना भी सकारात्मक नहीं माना जाता है। इससे अभ्यर्थी की विशेष योग्यता पर सवाल खड़ा हो सकता है। नेट परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए अभ्यर्थियों को जहां आसपास के सामान्य ज्ञान के प्रति सचेत रहना चाहिए वहीं स्नातकोत्तर स्तर पर लिये गये विषय का भी खासा ज्ञान जरूरी होता है। इस परीक्षा को उत्तीर्ण करके अभ्यर्थी जहां उच्च शिक्षा में अध्यापन करने के लिए साक्षात्कार देने के पात्र हो जाते हैं वहीं कनिष्ठ शोध छात्रवृत्ति के माध्यम से उन्हें शोध करने के लिए भी अच्छे अवसर उपलब्ध होते हैं। यद्यपि परास्नातक स्तर पर 55 प्रतिशत अंक प्राप्त करने के साथ ही स्नातकोत्तर से पूर्व की परीक्षाओं में भी राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुसार उत्तीर्ण होना जरूरी होता है परन्तु जो अभ्यर्थी महज परास्नातक स्तर के मानदंड को पूरा करते हैं उन्हें निराश नहीं होना चाहिए। इस परीक्षा को उत्तीर्ण करके वे शोध के क्षेत्र में कार्य करते हुए औद्योगिक घरानों के रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट विंग में तो काम पा ही सकते हैं साथ ही साथ एनसीईआरटी सहित प्रदेश और के न्द्र सरकार के तमाम संस्थाओं में नौकरी पाने के लिए अवसर खुले रहते हैं। कुछ लोगों में यह गलत धारणा है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ‘नेट’ उत्तीर्ण व्यक्तियों को नौकरी दिलाता है परन्तु सच यह है कि यह आयोग प्राध्यापक पद हेतु व्यक्ति की पात्रता घोषित करता है, नौकरी की गारण्टी नहीं लेता। हां, उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शोध करने के इच्छुक अभ्यर्थियों को आर्थिक सहायता प्रदान कर उन्हें शोध के क्षेत्र में काम करने के अवसर उपलब्ध जरूर कराता है।