भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी की हार की आशंका से मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने मुझे निलम्बित कर दिया है। यह आरोप लगाते हुए वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी आरके सिंह ने अपने निलम्बन के विरूद्ध ‘कैट’ में एक याचिका दायर की है। याचिका में श्री सिंह ने मुख्यमंत्री को प्रतिवादी बनाते हुए कहा है कि उनका निलम्बन राजनीतिक विद्वेष का परिणाम है।
श्री सिंह के निलमब्न के बारे में बताया जाता है कि उन्होंने गत 21 जनवरी को मुजफ्फरनगर जाने के लिए दो दिन का आकस्मिक अवकाश प्राप्त किया था। श्री सिंह पर आरोप है कि बिना मुख्य सचिव की अनुमति प्राप्त किये अपनी पत्नी ओमवती देवी के पक्ष में चुनाव प्रचार करने बिजनौर संसदीय क्षेत्र गये थे। उनकी पत्नी इस क्षेत्र से समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी हैं।
सोमवार को दायर अपनी याचिका में आरके सिंह ने लिखा है कि बिजनौर संसदीय सीट से भाजपा प्रत्याशी और निवर्तमान सांसद मंगलराम प्रेमी की पराजय की आशंका से क्षुब्ध कल्याण सिंह ने मुझे निलम्बित कर दिया है। उनका कहना है कि मेरा निलम्बन भाजपा प्रत्याशी के कहने पर हुआ है। भाजपा प्रत्याशी ओमवती देवी के चुनाव जीतने की सम्भावना से निराश हैं। ओमवती देवी बिजनौर सुरक्षित संसदीय क्षेत्र के एक विधानसभा सीट नगीना से समाजवादी पार्टी की विधायक भी हैं। श्री सिंह ने कहा है कि जिलाधिकारी एवं चुनाव पर्यवेक्षक से जबरन मेरे विरूद्ध रिपोर्ट मांगी गयी। याचिका में उन्होंने लिखा है कि मैं 22 व 23 जनवरी का आकस्मिक अवकाश लेकर मुजफ्फरनगर गया था वहां स्वास्थ्य खराब हो जाने से मैं बिजनौर जिले में अपने गांव आ गया। मेरा गांव बिजनोर जिले में पड़ता है। वहां इलाज कराता रहा और फिर 29 तारीख को अपने मेडिकल चेकअप के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली चला गया। तीन की शाम को दिल्ली से वापस आया तो मेरा निलम्बन कर दिया गया, उन्होंने याचिका में यह भी कहा कि मैंने अपनी अस्वस्थता की सूचना भेज दी थी और 22 व 23 का आकस्मिक अवकाश लिया था और बाद में मेडिकल लीव के लिए भी मैंने उचित माध्यम द्वारा सूचित कर दिया था।
उल्लेखनीय है कि बिजनौर और मुजफ्फरनगर जनपद अगल-बगल हैं और 28 तारीख तक आरके सिंह अपने गृह जनपद बिजनौर में कथित अस्वस्थता की स्थिति में रहे, 29 को दिल्ली गये जबकि 28 तारीख को ही उनकी पत्नी ने नामांकन भी किया है। 1973 बैच के आईएएस अधिकारी आरके सिंह अम्बेडकर ग्राम्य विकास विभाग के सचिव हैं।
उनके बिजनौर प्रवास की सूचना चुनाव आयोग को चुनाव पर्यवेक्षकों के माध्यम से मिली। सूचना मिलने के बाद चुनाव आयोग ने बिजनौर के जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी। जिलाधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में श्री सिंह के बिजनौर आने की पुष्टि की तब चुनाव आयोग ने राज्य सरकार को श्री सिंह के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने और उन्हें लोकसभा चुनाव होने तक लखनऊ में ही रहने का निर्देश देने को कहा। चुनाव आयोग के निर्देश पर मुख्यमंत्री ने श्री सिंह के विरूद्ध निलम्बन की कार्रवाई की।
श्री सिंह के खिलाफ अपनी रिपोर्ट में चुनाव पर्यवेक्षक के सी शर्मा ने साफ तौर पर इस बात का उल्लेख किया है कि 93 के चुनाव में भी इन्होंने अपनी पत्नी के पक्ष में प्रचार किया था जिस पर राज्य सरकार ने इन्हें वार्निंग भी दी थी। बिजनौर में इनके विरूद्ध 93 के चुनाव के समय के दो एफआईआर भी दर्ज हैं।
अपनी याचिका में आरके सिंह ने भारत सरकार, राज्य सरकार एवं कल्याण सिंह को प्रतिवादी बनाया है। अभी तक प्रतिवादी नम्बर तीन कल्याण सिंह को नोटिस जारी नहीं हो पायी है। राज्य सरकार की ओर से स्थायी अधिवक्ता असित कुमार चतुर्वेदी हैं, जबकि आरके सिंह ने एपी सिंह को अपना अधिवक्ता बनाया है। कल दायर इस याचिका पर आज सुनवाई होनी थी परन्तु वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राजाराम के मुकदमें में बहस के कारण बृहस्पतिवार को इस पर सुनवाई होगी।
श्री सिंह के निलमब्न के बारे में बताया जाता है कि उन्होंने गत 21 जनवरी को मुजफ्फरनगर जाने के लिए दो दिन का आकस्मिक अवकाश प्राप्त किया था। श्री सिंह पर आरोप है कि बिना मुख्य सचिव की अनुमति प्राप्त किये अपनी पत्नी ओमवती देवी के पक्ष में चुनाव प्रचार करने बिजनौर संसदीय क्षेत्र गये थे। उनकी पत्नी इस क्षेत्र से समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी हैं।
सोमवार को दायर अपनी याचिका में आरके सिंह ने लिखा है कि बिजनौर संसदीय सीट से भाजपा प्रत्याशी और निवर्तमान सांसद मंगलराम प्रेमी की पराजय की आशंका से क्षुब्ध कल्याण सिंह ने मुझे निलम्बित कर दिया है। उनका कहना है कि मेरा निलम्बन भाजपा प्रत्याशी के कहने पर हुआ है। भाजपा प्रत्याशी ओमवती देवी के चुनाव जीतने की सम्भावना से निराश हैं। ओमवती देवी बिजनौर सुरक्षित संसदीय क्षेत्र के एक विधानसभा सीट नगीना से समाजवादी पार्टी की विधायक भी हैं। श्री सिंह ने कहा है कि जिलाधिकारी एवं चुनाव पर्यवेक्षक से जबरन मेरे विरूद्ध रिपोर्ट मांगी गयी। याचिका में उन्होंने लिखा है कि मैं 22 व 23 जनवरी का आकस्मिक अवकाश लेकर मुजफ्फरनगर गया था वहां स्वास्थ्य खराब हो जाने से मैं बिजनौर जिले में अपने गांव आ गया। मेरा गांव बिजनोर जिले में पड़ता है। वहां इलाज कराता रहा और फिर 29 तारीख को अपने मेडिकल चेकअप के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली चला गया। तीन की शाम को दिल्ली से वापस आया तो मेरा निलम्बन कर दिया गया, उन्होंने याचिका में यह भी कहा कि मैंने अपनी अस्वस्थता की सूचना भेज दी थी और 22 व 23 का आकस्मिक अवकाश लिया था और बाद में मेडिकल लीव के लिए भी मैंने उचित माध्यम द्वारा सूचित कर दिया था।
उल्लेखनीय है कि बिजनौर और मुजफ्फरनगर जनपद अगल-बगल हैं और 28 तारीख तक आरके सिंह अपने गृह जनपद बिजनौर में कथित अस्वस्थता की स्थिति में रहे, 29 को दिल्ली गये जबकि 28 तारीख को ही उनकी पत्नी ने नामांकन भी किया है। 1973 बैच के आईएएस अधिकारी आरके सिंह अम्बेडकर ग्राम्य विकास विभाग के सचिव हैं।
उनके बिजनौर प्रवास की सूचना चुनाव आयोग को चुनाव पर्यवेक्षकों के माध्यम से मिली। सूचना मिलने के बाद चुनाव आयोग ने बिजनौर के जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी। जिलाधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में श्री सिंह के बिजनौर आने की पुष्टि की तब चुनाव आयोग ने राज्य सरकार को श्री सिंह के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने और उन्हें लोकसभा चुनाव होने तक लखनऊ में ही रहने का निर्देश देने को कहा। चुनाव आयोग के निर्देश पर मुख्यमंत्री ने श्री सिंह के विरूद्ध निलम्बन की कार्रवाई की।
श्री सिंह के खिलाफ अपनी रिपोर्ट में चुनाव पर्यवेक्षक के सी शर्मा ने साफ तौर पर इस बात का उल्लेख किया है कि 93 के चुनाव में भी इन्होंने अपनी पत्नी के पक्ष में प्रचार किया था जिस पर राज्य सरकार ने इन्हें वार्निंग भी दी थी। बिजनौर में इनके विरूद्ध 93 के चुनाव के समय के दो एफआईआर भी दर्ज हैं।
अपनी याचिका में आरके सिंह ने भारत सरकार, राज्य सरकार एवं कल्याण सिंह को प्रतिवादी बनाया है। अभी तक प्रतिवादी नम्बर तीन कल्याण सिंह को नोटिस जारी नहीं हो पायी है। राज्य सरकार की ओर से स्थायी अधिवक्ता असित कुमार चतुर्वेदी हैं, जबकि आरके सिंह ने एपी सिंह को अपना अधिवक्ता बनाया है। कल दायर इस याचिका पर आज सुनवाई होनी थी परन्तु वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राजाराम के मुकदमें में बहस के कारण बृहस्पतिवार को इस पर सुनवाई होगी।