बिहार सरकार उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग के रवैये से बेहद क्षुब्ध है। प्रदेश के सिंचाई विभाग द्वारा 20 एवं 21 जुलाई को जारी एक अपील पर बिहार सरकार को खासी नाराजगी है। बिहार सरकार अपनी नाराजगी से के न्द्रीय जल संसाधन मंत्री एवं गंगा फ्लड कंट्रोल कमीशन को शीघ्र ही पत्र लिखकर अवगत करायेगी। उल्लेखनीय है कि यह अपील प्रदेश के सभी महत्वपूर्ण समाचार पत्रों में गण्डक सिंचाई कार्य प्रथम मण्डल के अधीक्षण अभियंता के हवाले से प्रकाशित करायी गयी थी।
बिहार सरकार के सिंचाई विभाग के मुख्य अभियन्ता प्रेम चन्द्र ने बताया कि सिंचाई मंत्री के दौरे के मद्देनजर यह अपील आनन-फानन में बिना सोचे-समझे अपने बचाव में प्रकाशित की गयी। प्रेमचनद्र ने बताया कि अपील में यह कहा जाना कि बिहार एवं नेपाल के मध्य विवाद पैदा हो गया है। गलत एवं बेबुनियाद है। श्री प्रेमचन्द्र का कहना है कि 1959 को हुए अनुबंध का नेपाल सरकार खुला उल्लंघन कर रही है। उसने जबरिया मुख्य पश्चिमी गण्डक नहर को पांच स्थानों पर काटा। प्रेमचन्द्र ने बातचीत में जोर देकर कहा कि इस बांध को नेपाल स्थित महलबारी गांव के पास गत 14 जुलाई को नेपाल के मुख्य जिलाधिकारी, आरक्षी अधीक्षक, नवलपरासी, लाइजन अधिकारी की उपस्थिति में काटा गया।
बिहार के सिंचाई सूत्रों का कहना है कि नेपाल स्थित नहरों के रख-रखाव पर आने वाले रिकरिंग/खर्चों की व्यय पूर्ति के न्द्र सरकार से प्राप्त होती है। पिछले वर्ष यह धनराशि हमें नहीं मिली फिर भी हमने कार्य जारी रखा है जबकि ए-गैप, बी-गैप, लिंक बांध, नेपाल बांध के रखरखाव पर आने वाले व्यय की व्ययपूर्ति के न्द्र सरकार ने कर दिया है। नेपाल स्थित इन बांधों के रखरखाव की जिम्मेदारी सिंचाई खण्ड-2 महराजगंज के जिम्मे है। नेपाल स्थित बड़ी गण्डक परियोजना की मुख्य गण्डक नहर के पटरी, लाइनिंग एवं साइफन को ठीक करने के लिए 9 करोड़ की धनराशि केंद्र सरकार से कई वर्ष पहले मांगी गई थी परन्तु अभी तक इस दिशा में हमें कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुए। उन्होंने यह भी बताया कि नहर गत शुक्रवार से खुल गयी है। प्रतिदिन एक हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है।
प्रदेश सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता पीराम से जब इस बावत बातचीत की गयी तो उन्होंने नेपाल में हुए विवाद के लिए बिहार सरकार को दोषी ठहराया और कहा कि रखरखाव का काम बिहार सरकार ठीक से नहीं करती है। नेपाल स्थित इस परियोजना में लगे तीन साइफन पूरी तरह चोक हो गये थे जिसमें आसपास का पानी नहर में नहीं आ पा रहा था। जलभराव की स्थिति को देखते हुए नेपाल के नागरिकों ने नहर को पांच जगहों से काट दिया था, जिसके लिए हमें अपील जारी करके अपने किसानों को चेताना पड़ा। ई. पी.राम ने तो यहां तक कहा कि गत वर्ष कुशीनगर, देवरिया जनपद में आयी भीषण बाढ़ का कारण भी बिहार स्थित पिपरासी बांध का उचित रखरखाव न होना ही था।
बिहार सरकार के सिंचाई विभाग के मुख्य अभियन्ता प्रेम चन्द्र ने बताया कि सिंचाई मंत्री के दौरे के मद्देनजर यह अपील आनन-फानन में बिना सोचे-समझे अपने बचाव में प्रकाशित की गयी। प्रेमचनद्र ने बताया कि अपील में यह कहा जाना कि बिहार एवं नेपाल के मध्य विवाद पैदा हो गया है। गलत एवं बेबुनियाद है। श्री प्रेमचन्द्र का कहना है कि 1959 को हुए अनुबंध का नेपाल सरकार खुला उल्लंघन कर रही है। उसने जबरिया मुख्य पश्चिमी गण्डक नहर को पांच स्थानों पर काटा। प्रेमचन्द्र ने बातचीत में जोर देकर कहा कि इस बांध को नेपाल स्थित महलबारी गांव के पास गत 14 जुलाई को नेपाल के मुख्य जिलाधिकारी, आरक्षी अधीक्षक, नवलपरासी, लाइजन अधिकारी की उपस्थिति में काटा गया।
बिहार के सिंचाई सूत्रों का कहना है कि नेपाल स्थित नहरों के रख-रखाव पर आने वाले रिकरिंग/खर्चों की व्यय पूर्ति के न्द्र सरकार से प्राप्त होती है। पिछले वर्ष यह धनराशि हमें नहीं मिली फिर भी हमने कार्य जारी रखा है जबकि ए-गैप, बी-गैप, लिंक बांध, नेपाल बांध के रखरखाव पर आने वाले व्यय की व्ययपूर्ति के न्द्र सरकार ने कर दिया है। नेपाल स्थित इन बांधों के रखरखाव की जिम्मेदारी सिंचाई खण्ड-2 महराजगंज के जिम्मे है। नेपाल स्थित बड़ी गण्डक परियोजना की मुख्य गण्डक नहर के पटरी, लाइनिंग एवं साइफन को ठीक करने के लिए 9 करोड़ की धनराशि केंद्र सरकार से कई वर्ष पहले मांगी गई थी परन्तु अभी तक इस दिशा में हमें कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुए। उन्होंने यह भी बताया कि नहर गत शुक्रवार से खुल गयी है। प्रतिदिन एक हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है।
प्रदेश सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता पीराम से जब इस बावत बातचीत की गयी तो उन्होंने नेपाल में हुए विवाद के लिए बिहार सरकार को दोषी ठहराया और कहा कि रखरखाव का काम बिहार सरकार ठीक से नहीं करती है। नेपाल स्थित इस परियोजना में लगे तीन साइफन पूरी तरह चोक हो गये थे जिसमें आसपास का पानी नहर में नहीं आ पा रहा था। जलभराव की स्थिति को देखते हुए नेपाल के नागरिकों ने नहर को पांच जगहों से काट दिया था, जिसके लिए हमें अपील जारी करके अपने किसानों को चेताना पड़ा। ई. पी.राम ने तो यहां तक कहा कि गत वर्ष कुशीनगर, देवरिया जनपद में आयी भीषण बाढ़ का कारण भी बिहार स्थित पिपरासी बांध का उचित रखरखाव न होना ही था।