दिनांक: 13._x007f_2.2_x007f__x007f_006
राजब_x008e_बर केे कहेे से वे खासे आहत हुुए हैैंं। इसीलिए औद्योगिक घरानों से बातचीत का दौर हो या फिर राज्य केे विकास से जुड़़ेे सवालात सब हल करते समय उनके लब पर राज के ‘कई श_x008e_द’ तिरते रहते हैैं। लेकिन फिर भी राजब_x008e_बर से जुड़़े सवालों को न केेवल टालते हैैं बल्कि उनका नाम लेने से भी बचते हैैं। इन दिनों बिजली को लेकर वे कई मोर्चों पर सक्र्रिय हैैं। केन्द्र सरकार के खिलाफ एक ओर जहां लामबन्दी मेंं जुटेे हैैं, वहींं जल्दी से जल्दी राज्य के विकास के पिटारे मेंं कुुछ और ऐसा जोड़़ लेना चाहते हैैंं जिसका प्रभाव दिखने लगे। हालांकि वह बताते हैैं कि यह प्रभाव चीनी उद्योग के क्षेत्र मेंं दिखने लगा हैै। पहली मर्तबा गन्ना किसानों को १४ दिन के अंदर भुगतान मिल रहा हैै। वे अपने विरोधियों के एहसानमंद हैैं। कहते हंै, ‘‘मैं अपने सभी विरोधियों के षडयन्त्रों का नमन करता हूूंं। उनका विरोध प्रतिफलित हो रहा हैै। फोन टेेपिंग मामले मेंं फंंसाने की कोशिश के चलते मुलायम सिंह यादव, शिवपाल, अखिलेश से मेरी दूरी को लेकर दुष्प्रचार कर रहे कांग्रेसी साथियों को जवाब मिल गया होगा।’’ केेन्द्र सरकार के खिलाफ खड़़े होने और लोगों को जोड़ऩे केे बीच पार्टी केे अन्दर सियासी समीकरणों को दुरूस्त करने में जुटेे अमरसिंह के साथ ‘आउटलुक’ साप्ताहिक के योगेश मिश्र से बातचीत के अंश:-
आपको पॉलिटिकल मैनेजमेन्ट का महारथी कहा जाता हैै। राजनीति में प्रबन्धन केे दखल को किस रूप में देखते हैैंं?
राजनीति में मैनेजमेन्ट नाम की चीज नहीं होती। राजनीति राजनीति होती हैै। अगर मुलायम सिंह यादव और मुझे चार सभाएं करनी हैैं तो हैैलीकाप्टर से चलना मजबूरी हैै। मैनेजमेन्ट नहीं। आखिर हमारेे विरोधी भी तो बापू की तरह दान्डी यात्रा नहीं कर रहेे हैैं। मायावती और सोनिया हैैलीकाप्टर से चलें तो जन आन्दोलन, मुलायम चलें तो समाजवाद से समझौता। यह विचित्र बात हैै।
आप पर कारपोरेेट समाजवाद का आरोप चस्पा होता हैै? आपकी क्या राय हैै?
समाजवाद कारपोरेेट नहीं होता। चीन के वामपंथ पर क्या बोलेंंगे, जहां श्ंाघाई हैै। क्या इसे पंूजीवाद कहेेंगे। बुद्घदेव भट्ï्ïटाचार्या उन्हीं अनिल अंबानी को बुला रहे हैैं, जिनका स्वागत हम उ.प्र. में कर रहेे हैैं। अनिल अंबानी को बुलाने से वामपंथ खत्म नहीं होता। लेकिन अमर सिंह मिलें तो समाजवाद खतरे में आ जाता हैै। मुकेश को कांग्रेस शासित राज्यों-आन्ध्र, महाराष्ट्र्र, हरियाणा में स्पेशल इकोनोमिक जोन के नाम पर लाखों एकड़़ जमीन कौडि़य़ों केे मोल दे दी जाती है तो घोटाला नहींं हैै। उ.प्र. मेंं निवेश होता हैै तो घोटाला हैै। कारपोरेेट समाजवाद हैै? समाजवाद का मतलब सबकी सम्पन्नता समता के साथ करना हैै। यह एक सपना हो सकता हैै। जिसे पूरा करने में वक्त लग सकता हैै। लेकिन अगर सम्पन्नता की बात नहीं करेेंगे तो समता की बात कैैसे होगी?
आखिर ऐसे आरोप आप पर क्यों लगाए जाते हैैं?
मैं क्या बताऊॅॅ। आरोप लगाने वालों से पूछिए। मेरेे ऊपर यह आरोप भी लगा कि मैं पांच करोड़ से नीचे नहीं लेता। आरोप लगाने वाले सज्जन से अनुरोध करूंंगा कि दाताओं की सूची और नाम जारी करेें। सुबूत लाएं। मैं भी कुुछ लोगों पर आरोप लगा सकता हूूंं कि कुुछ लोग मेरी हत्या की साजिश कर रहेे हैैं। प्रलोभन में गालियां दे रहे हैैं। बिना प्रमाण के ओछा और घटिया आरोप मैं किसी पर नहीं लगाना चाहता।
राजब_x008e_बर के खिलाफ कार्र्रवाई को किस रूप में देखते हैैं?
इस पर टिप्पणी नहीं करनी हैै। पार्टी का निर्णय सर्वोपरि होता है। जो पार्टी के हर नेता व सदस्य पर लागू हैै। चाहेें वह मंै ही क्यों न हंूू।
आपको लेकर समय-समय पर जो विरोध केे स्वर उठते रहेे हैैं। पिछले दिनोंं जो कुुछ राजब_x008e_बर ने किया उसे इसका सामूहिक प्रस्फुुटन मानते हैैं या किसी एक व्यक्ति का व्यक्तिगत विचार?
इस पर टिप्पणी नहीं करनी हैै। उन्हीं लोगों से पूछिए। मैंं तल्ख टिप्पणी का उ_x009e_ार तल्खियत से नहीं दूंगा। चुप सोना हैै और बोली भौंंकना। मैं भौंक का उ_x009e_ार बन्द बोली से दूंगा।
क्या आपको लगता हैै कि आपके मित्र-अमिताभ बच्चन, सुब्रत राय सहारा और मुलायम सिंह नाहक परेशान किये जा रहे हैैं?
बिल्कुल।
तो आखिर क्यों?
हमें लगता हैै कि उन्हेें इसलिए परेेशान किया जा रहा हैै ताकि वे हमसे दूर हो जाएं। मैं भी नहीं चाहता कि मेरी निकटता से उन्हीं परेेशानी हो। लेकिन मेरेे मित्र विलक्षण हैैंं। उन्हेें परेेशानी कुुबूल हैै पर हमेंं छोड़ऩा नहीं। मैं ईश्वर और मित्रों को धन्यवाद देता हूूं।
तीसरेे मोर्चे की सम्भावनाएं सपा तलाश रही हैै?
हम तीसरा मोर्चा नहींं। तीसरा विकल्प बनाने के लिए प्रतिबद्घ हैैंं। मोर्चा स_x009e_ाा के गठजोड़़ केे लिए होता हैै। विकल्प सिद्घान्तों के लिए होता हैै। हम गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई नेताओं को इसमें सम्मिलित करने का प्रयास करेेंंगे।
विकास परिषद को लेकर भी समय-समय पर कई तरह केे सवाल खड़़ेे हुए हैंं? आपकी क्या राय हैै?
कहने को कोई कुुछ कह ले। उ.प्र. में नई विद्युत नीति बनी। चीनी नीति का लाभ गन्ना किसान उठा रहेे हैैं। बिजली केे क्षेत्र में अंबानी समूह दादरी, टाटा बुलन्दशहर, और बिरला शाहजहांपुर के रोजा में काम शुरू करने जा रहेे हैैं। रोजा प्रोजेक्ट लगाने केे की बात कहने पर मजाक होने लगता था। लेकिन अब सरकार की तरफ से सारी कार्र्रवाई पूरी हो गई हैै। यह उद्योगपति पर हैै कि वह कब लगाना शुरू करता हैै। सहारा-अपोलो का ५०० करोड़़ का अस्पताल, अटल बिहारी बाजपेई के निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा सरकार के बावजूद अंजाम तक नहीं पहुुंंच पाया। हमारी सरकार ने काम शुरू करा दिया हैै। हाईटेेक हाउसिंग केविरूद्घ भी तमाम बातें लोगों ने कहींं। हम पर आरोप लगाए गए। लेकिन सर्वोच्च अदालत ने स्वीकृृति की मुहर लगा दी।
लेकिन अंबानी बन्धु की गैस आधारित बिजली संयत्र वाली दादरी परियोजना तो अभी तक कागजों पर ही हैै?
अभी तीन दिन पहले तो इसके असली मालिक को मालिकाना हक मिला है। अब देखिएगा काम का परिणाम।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा की जमीनों को लेकर भी आप पर उंंगली उठाई गई हैै?
हां, मुझ पर नोएडा बेचने का आरोप लगा हैै। नोएडा बेचने के लिए ही हैै। लेकिन प्राधिकरण बेंच रहा हैै। हमारी कोशिशों का ही नतीजा हैै कि विप्रो, एचसीएल, नेस्काम, एनआईआईटी सरीखी कम्पनियां नोएडा और ग्रेटर नोएडा में आई हैैं।
आपने पार्टी में बहुुतों की मदद की। लेकिन क्या कारण है कि पार्टी और घर में भी आपकी मुखालफत के स्वर सिर उठाने लगे हैैं?
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर को किसी ने बताया कि अमुक व्यक्ति उनकी आलोचना कर रहा था। विद्यासागर ठहरेे और कहा कि झूठ बोल रहेे हो। वह ऐसा नहीं कर सकता क्योंंकि मैने उसकी कोई मदद नहीं की हैै। मदद से अपेक्षा का जन्म होता हैै। निराशा कुुण्ठा की ओर ले जाती हैै। मेरी मजबूरी हैै कि मैं ज्यादा मदद कर देता हूंं। मुझे ना कहना नहीं आता। लेकिन हाल केे घटनाक्र्रमों से ना बोलने की कोशिश करने लगा हूंं। कभी ना-ना, हां-हां से अच्छा होता हैै।
नए विवाद के बाद अभी पिछले दिनों आपने कहा था कि मैं थक गया हूूंं। राजनीति से विश्राम चाहता हूूंं। यह तात्कालिक प्रतिक्र्रिया थी या मन में चल रहे किसी विचार का प्रस्फुटन?
मैं थका हंंूू। विवादों से नहीं। मैने शारीरिक थकान की बात कही थी। मानसिक थकान की नहींं। लेकिन छुुट्ï्ïटी देना ना देना पार्टी का काम हैै। कई लोगों को छुुट्ï्ïटी नहीं चाहिए। लेकिन पार्टी छुुट्ï्ïटी दे देती हैै। कई लोगों को मांगने पर भी छुुट्ï्ïटी नहीं मिलती हैै।
-योगेश मिश्र
राजब_x008e_बर केे कहेे से वे खासे आहत हुुए हैैंं। इसीलिए औद्योगिक घरानों से बातचीत का दौर हो या फिर राज्य केे विकास से जुड़़ेे सवालात सब हल करते समय उनके लब पर राज के ‘कई श_x008e_द’ तिरते रहते हैैं। लेकिन फिर भी राजब_x008e_बर से जुड़़े सवालों को न केेवल टालते हैैं बल्कि उनका नाम लेने से भी बचते हैैं। इन दिनों बिजली को लेकर वे कई मोर्चों पर सक्र्रिय हैैं। केन्द्र सरकार के खिलाफ एक ओर जहां लामबन्दी मेंं जुटेे हैैं, वहींं जल्दी से जल्दी राज्य के विकास के पिटारे मेंं कुुछ और ऐसा जोड़़ लेना चाहते हैैंं जिसका प्रभाव दिखने लगे। हालांकि वह बताते हैैं कि यह प्रभाव चीनी उद्योग के क्षेत्र मेंं दिखने लगा हैै। पहली मर्तबा गन्ना किसानों को १४ दिन के अंदर भुगतान मिल रहा हैै। वे अपने विरोधियों के एहसानमंद हैैं। कहते हंै, ‘‘मैं अपने सभी विरोधियों के षडयन्त्रों का नमन करता हूूंं। उनका विरोध प्रतिफलित हो रहा हैै। फोन टेेपिंग मामले मेंं फंंसाने की कोशिश के चलते मुलायम सिंह यादव, शिवपाल, अखिलेश से मेरी दूरी को लेकर दुष्प्रचार कर रहे कांग्रेसी साथियों को जवाब मिल गया होगा।’’ केेन्द्र सरकार के खिलाफ खड़़े होने और लोगों को जोड़ऩे केे बीच पार्टी केे अन्दर सियासी समीकरणों को दुरूस्त करने में जुटेे अमरसिंह के साथ ‘आउटलुक’ साप्ताहिक के योगेश मिश्र से बातचीत के अंश:-
आपको पॉलिटिकल मैनेजमेन्ट का महारथी कहा जाता हैै। राजनीति में प्रबन्धन केे दखल को किस रूप में देखते हैैंं?
राजनीति में मैनेजमेन्ट नाम की चीज नहीं होती। राजनीति राजनीति होती हैै। अगर मुलायम सिंह यादव और मुझे चार सभाएं करनी हैैं तो हैैलीकाप्टर से चलना मजबूरी हैै। मैनेजमेन्ट नहीं। आखिर हमारेे विरोधी भी तो बापू की तरह दान्डी यात्रा नहीं कर रहेे हैैं। मायावती और सोनिया हैैलीकाप्टर से चलें तो जन आन्दोलन, मुलायम चलें तो समाजवाद से समझौता। यह विचित्र बात हैै।
आप पर कारपोरेेट समाजवाद का आरोप चस्पा होता हैै? आपकी क्या राय हैै?
समाजवाद कारपोरेेट नहीं होता। चीन के वामपंथ पर क्या बोलेंंगे, जहां श्ंाघाई हैै। क्या इसे पंूजीवाद कहेेंगे। बुद्घदेव भट्ï्ïटाचार्या उन्हीं अनिल अंबानी को बुला रहे हैैं, जिनका स्वागत हम उ.प्र. में कर रहेे हैैं। अनिल अंबानी को बुलाने से वामपंथ खत्म नहीं होता। लेकिन अमर सिंह मिलें तो समाजवाद खतरे में आ जाता हैै। मुकेश को कांग्रेस शासित राज्यों-आन्ध्र, महाराष्ट्र्र, हरियाणा में स्पेशल इकोनोमिक जोन के नाम पर लाखों एकड़़ जमीन कौडि़य़ों केे मोल दे दी जाती है तो घोटाला नहींं हैै। उ.प्र. मेंं निवेश होता हैै तो घोटाला हैै। कारपोरेेट समाजवाद हैै? समाजवाद का मतलब सबकी सम्पन्नता समता के साथ करना हैै। यह एक सपना हो सकता हैै। जिसे पूरा करने में वक्त लग सकता हैै। लेकिन अगर सम्पन्नता की बात नहीं करेेंगे तो समता की बात कैैसे होगी?
आखिर ऐसे आरोप आप पर क्यों लगाए जाते हैैं?
मैं क्या बताऊॅॅ। आरोप लगाने वालों से पूछिए। मेरेे ऊपर यह आरोप भी लगा कि मैं पांच करोड़ से नीचे नहीं लेता। आरोप लगाने वाले सज्जन से अनुरोध करूंंगा कि दाताओं की सूची और नाम जारी करेें। सुबूत लाएं। मैं भी कुुछ लोगों पर आरोप लगा सकता हूूंं कि कुुछ लोग मेरी हत्या की साजिश कर रहेे हैैं। प्रलोभन में गालियां दे रहे हैैं। बिना प्रमाण के ओछा और घटिया आरोप मैं किसी पर नहीं लगाना चाहता।
राजब_x008e_बर के खिलाफ कार्र्रवाई को किस रूप में देखते हैैं?
इस पर टिप्पणी नहीं करनी हैै। पार्टी का निर्णय सर्वोपरि होता है। जो पार्टी के हर नेता व सदस्य पर लागू हैै। चाहेें वह मंै ही क्यों न हंूू।
आपको लेकर समय-समय पर जो विरोध केे स्वर उठते रहेे हैैं। पिछले दिनोंं जो कुुछ राजब_x008e_बर ने किया उसे इसका सामूहिक प्रस्फुुटन मानते हैैं या किसी एक व्यक्ति का व्यक्तिगत विचार?
इस पर टिप्पणी नहीं करनी हैै। उन्हीं लोगों से पूछिए। मैंं तल्ख टिप्पणी का उ_x009e_ार तल्खियत से नहीं दूंगा। चुप सोना हैै और बोली भौंंकना। मैं भौंक का उ_x009e_ार बन्द बोली से दूंगा।
क्या आपको लगता हैै कि आपके मित्र-अमिताभ बच्चन, सुब्रत राय सहारा और मुलायम सिंह नाहक परेशान किये जा रहे हैैं?
बिल्कुल।
तो आखिर क्यों?
हमें लगता हैै कि उन्हेें इसलिए परेेशान किया जा रहा हैै ताकि वे हमसे दूर हो जाएं। मैं भी नहीं चाहता कि मेरी निकटता से उन्हीं परेेशानी हो। लेकिन मेरेे मित्र विलक्षण हैैंं। उन्हेें परेेशानी कुुबूल हैै पर हमेंं छोड़ऩा नहीं। मैं ईश्वर और मित्रों को धन्यवाद देता हूूं।
तीसरेे मोर्चे की सम्भावनाएं सपा तलाश रही हैै?
हम तीसरा मोर्चा नहींं। तीसरा विकल्प बनाने के लिए प्रतिबद्घ हैैंं। मोर्चा स_x009e_ाा के गठजोड़़ केे लिए होता हैै। विकल्प सिद्घान्तों के लिए होता हैै। हम गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई नेताओं को इसमें सम्मिलित करने का प्रयास करेेंंगे।
विकास परिषद को लेकर भी समय-समय पर कई तरह केे सवाल खड़़ेे हुए हैंं? आपकी क्या राय हैै?
कहने को कोई कुुछ कह ले। उ.प्र. में नई विद्युत नीति बनी। चीनी नीति का लाभ गन्ना किसान उठा रहेे हैैं। बिजली केे क्षेत्र में अंबानी समूह दादरी, टाटा बुलन्दशहर, और बिरला शाहजहांपुर के रोजा में काम शुरू करने जा रहेे हैैं। रोजा प्रोजेक्ट लगाने केे की बात कहने पर मजाक होने लगता था। लेकिन अब सरकार की तरफ से सारी कार्र्रवाई पूरी हो गई हैै। यह उद्योगपति पर हैै कि वह कब लगाना शुरू करता हैै। सहारा-अपोलो का ५०० करोड़़ का अस्पताल, अटल बिहारी बाजपेई के निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा सरकार के बावजूद अंजाम तक नहीं पहुुंंच पाया। हमारी सरकार ने काम शुरू करा दिया हैै। हाईटेेक हाउसिंग केविरूद्घ भी तमाम बातें लोगों ने कहींं। हम पर आरोप लगाए गए। लेकिन सर्वोच्च अदालत ने स्वीकृृति की मुहर लगा दी।
लेकिन अंबानी बन्धु की गैस आधारित बिजली संयत्र वाली दादरी परियोजना तो अभी तक कागजों पर ही हैै?
अभी तीन दिन पहले तो इसके असली मालिक को मालिकाना हक मिला है। अब देखिएगा काम का परिणाम।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा की जमीनों को लेकर भी आप पर उंंगली उठाई गई हैै?
हां, मुझ पर नोएडा बेचने का आरोप लगा हैै। नोएडा बेचने के लिए ही हैै। लेकिन प्राधिकरण बेंच रहा हैै। हमारी कोशिशों का ही नतीजा हैै कि विप्रो, एचसीएल, नेस्काम, एनआईआईटी सरीखी कम्पनियां नोएडा और ग्रेटर नोएडा में आई हैैं।
आपने पार्टी में बहुुतों की मदद की। लेकिन क्या कारण है कि पार्टी और घर में भी आपकी मुखालफत के स्वर सिर उठाने लगे हैैं?
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर को किसी ने बताया कि अमुक व्यक्ति उनकी आलोचना कर रहा था। विद्यासागर ठहरेे और कहा कि झूठ बोल रहेे हो। वह ऐसा नहीं कर सकता क्योंंकि मैने उसकी कोई मदद नहीं की हैै। मदद से अपेक्षा का जन्म होता हैै। निराशा कुुण्ठा की ओर ले जाती हैै। मेरी मजबूरी हैै कि मैं ज्यादा मदद कर देता हूंं। मुझे ना कहना नहीं आता। लेकिन हाल केे घटनाक्र्रमों से ना बोलने की कोशिश करने लगा हूंं। कभी ना-ना, हां-हां से अच्छा होता हैै।
नए विवाद के बाद अभी पिछले दिनों आपने कहा था कि मैं थक गया हूूंं। राजनीति से विश्राम चाहता हूूंं। यह तात्कालिक प्रतिक्र्रिया थी या मन में चल रहे किसी विचार का प्रस्फुटन?
मैं थका हंंूू। विवादों से नहीं। मैने शारीरिक थकान की बात कही थी। मानसिक थकान की नहींं। लेकिन छुुट्ï्ïटी देना ना देना पार्टी का काम हैै। कई लोगों को छुुट्ï्ïटी नहीं चाहिए। लेकिन पार्टी छुुट्ï्ïटी दे देती हैै। कई लोगों को मांगने पर भी छुुट्ï्ïटी नहीं मिलती हैै।
-योगेश मिश्र