दिनाँक: 15._x007f_5.200_x007f__x007f_7
मायावती के कबीना से साफ संदेश और संकेत निकलता है कि उनकी बहुजन से सर्वजन की यात्रा सिर्फ ब्राम्हणों तक ठहरने वाली नहीं है। उन्होंने दलित समुदाय के 11 मंत्रियों से 4 अधिक 15 मंत्री सवर्ण समाज के बनाए हैं। 8 ब्राम्हण, 5 मुस्लिम और 7 ठाकुर मंत्री हैं। दो महिलाओं- श्रीमती ओमवती व विद्या चौधरी को जगह मिली है लेकिन फिलहाल कबीना दर्जा किसी के पास नहीं है। मायावती के 49 मंत्रियों में से 19 कैबिनेट, 2० राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और 9 राज्यमंत्री हैं। 12 के पास पुराना अनुभव है। सदन में नेता रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ ही साथ अनंत कुमार मिश्र पराजय के बाद भी लालब_x009e_ाीधारी हो गये। यानि आगामी विधान परिषद चुनाव की दो सीटें इन ‘माननीयों’ के लिए अभी से आरक्षित हैं। सतीश मिश्र की कृपा के चलते ही पहली बार जीते नकुल दुबे और अनंत कुमार मिश्र मंत्री बने हैं। ददुआ के खिलाफ फरमान के बाद भी बुंदेलखंड की 21 में से 15 सीटों पर बसपाई परचम फहराने का इनाम बादशाह सिंह को लालबतती के रूप में हासिल हुआ। इनके अलावा 21 और लोग भी कबीना में बाहुबली छवि वाले हैं। आनंद सेन तो जेल में रहने की वजह से शपथ में नहीं आ सके। दूसरे नंबर पर नसीमुद्ïदीन सिद्ïदीकी को रखकर मायावती ने इस बिरादरी के मतदाताओं को भी सहेजने की पहल की है। पूर्वांचल के ब्राम्हण शिरोमणि कहे जाने वाले हरिशंकर तिवारी को करारी शिकस्त देकर विधानसभा में पहुंचे राजेश त्रिपाठी को भी मायावती ने लाल ब_x009e_ाी का सुख देकर पूर्वांचल के ब्राम्हणों में जो संदेश दिया है उसकी ध्वनि दूर तक सुनी जा रही है। दस्यु सम्राट ददुआ के खिलाफ अलख जगाने वाले दद्ïदन प्रसाद को मंत्री बना कर बताया है कि लोकतंत्र की गाड़ी हाँकने का काम पाठा के बीहड़ों से नहीं होगा। छात्र राजनीति से निकले राकेशधर त्रिपाठी के मंत्री होने से साफ है- युवाओं की सियासत में भी बसपा की रूचि बढऩे ही वाली है।---- ब्राम्हणों में रामवीर उपाध्याय, राकेशधर त्रिपाठी, नकुल दुबे, रंगनाथ मिश्र, अनंत कुमार, राजेश तिवारी, दद्ïदन मिश्र, हरिओम उपाध्याय का नाम है। अपने पुराने और भरोसेमंद बाबू सिंह कुशवाहा, इंद्रजीत सरोज, सुधीर गोयल, जगदीश नारायण राय, ठाकुर जयवीर सिंह, लालजी वर्मा, सुखदेव राजभर को भी कबीना मंत्री का ओहदा दिया है।---( चाहें तो इसे हटा दें) फागू चौहान और रामप्रसाद चौधरी का मंत्री होना बताता है कि परहेज नहीं है।। 11 जगहें खाली रखकर वह अपने नेताओं को संदेश दिया है कि कान के भी नंबर हैं। मायावती की ओर से दी गई हिदायतें गवाही देती हैं कि बदले हुए निजाम की फिजां का एहसास साफ-साफ अर्श से फर्श तक करा देना चाहती हैं।
-योगेश मिश्र
मायावती के कबीना से साफ संदेश और संकेत निकलता है कि उनकी बहुजन से सर्वजन की यात्रा सिर्फ ब्राम्हणों तक ठहरने वाली नहीं है। उन्होंने दलित समुदाय के 11 मंत्रियों से 4 अधिक 15 मंत्री सवर्ण समाज के बनाए हैं। 8 ब्राम्हण, 5 मुस्लिम और 7 ठाकुर मंत्री हैं। दो महिलाओं- श्रीमती ओमवती व विद्या चौधरी को जगह मिली है लेकिन फिलहाल कबीना दर्जा किसी के पास नहीं है। मायावती के 49 मंत्रियों में से 19 कैबिनेट, 2० राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और 9 राज्यमंत्री हैं। 12 के पास पुराना अनुभव है। सदन में नेता रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ ही साथ अनंत कुमार मिश्र पराजय के बाद भी लालब_x009e_ाीधारी हो गये। यानि आगामी विधान परिषद चुनाव की दो सीटें इन ‘माननीयों’ के लिए अभी से आरक्षित हैं। सतीश मिश्र की कृपा के चलते ही पहली बार जीते नकुल दुबे और अनंत कुमार मिश्र मंत्री बने हैं। ददुआ के खिलाफ फरमान के बाद भी बुंदेलखंड की 21 में से 15 सीटों पर बसपाई परचम फहराने का इनाम बादशाह सिंह को लालबतती के रूप में हासिल हुआ। इनके अलावा 21 और लोग भी कबीना में बाहुबली छवि वाले हैं। आनंद सेन तो जेल में रहने की वजह से शपथ में नहीं आ सके। दूसरे नंबर पर नसीमुद्ïदीन सिद्ïदीकी को रखकर मायावती ने इस बिरादरी के मतदाताओं को भी सहेजने की पहल की है। पूर्वांचल के ब्राम्हण शिरोमणि कहे जाने वाले हरिशंकर तिवारी को करारी शिकस्त देकर विधानसभा में पहुंचे राजेश त्रिपाठी को भी मायावती ने लाल ब_x009e_ाी का सुख देकर पूर्वांचल के ब्राम्हणों में जो संदेश दिया है उसकी ध्वनि दूर तक सुनी जा रही है। दस्यु सम्राट ददुआ के खिलाफ अलख जगाने वाले दद्ïदन प्रसाद को मंत्री बना कर बताया है कि लोकतंत्र की गाड़ी हाँकने का काम पाठा के बीहड़ों से नहीं होगा। छात्र राजनीति से निकले राकेशधर त्रिपाठी के मंत्री होने से साफ है- युवाओं की सियासत में भी बसपा की रूचि बढऩे ही वाली है।---- ब्राम्हणों में रामवीर उपाध्याय, राकेशधर त्रिपाठी, नकुल दुबे, रंगनाथ मिश्र, अनंत कुमार, राजेश तिवारी, दद्ïदन मिश्र, हरिओम उपाध्याय का नाम है। अपने पुराने और भरोसेमंद बाबू सिंह कुशवाहा, इंद्रजीत सरोज, सुधीर गोयल, जगदीश नारायण राय, ठाकुर जयवीर सिंह, लालजी वर्मा, सुखदेव राजभर को भी कबीना मंत्री का ओहदा दिया है।---( चाहें तो इसे हटा दें) फागू चौहान और रामप्रसाद चौधरी का मंत्री होना बताता है कि परहेज नहीं है।। 11 जगहें खाली रखकर वह अपने नेताओं को संदेश दिया है कि कान के भी नंबर हैं। मायावती की ओर से दी गई हिदायतें गवाही देती हैं कि बदले हुए निजाम की फिजां का एहसास साफ-साफ अर्श से फर्श तक करा देना चाहती हैं।
-योगेश मिश्र