दिनांक: ०4.०2.2००8
पिछले विधानसभा चुनाव में विवाद का मुद्दा बनी भाजपा की प्रचार सीडी की जांच सीबीआई को सौंपकर मुख्यमंत्री मायावती ने एक साथ कई निशाने साधे हैं। एक तरफ उन्होंने राष्टï्रीय कार्यसमिति में नरेंद्र मोदी माडल अपनाये जाने की पैरोकार भाजपा को गाय, गंगा और मंदिर सरीखे अपने पुराने मुद्दों पर कदमताल करने के लिए फिर मजबूर किया है। तो दूसरी ओर पहले से सीबीआई की जद में रहे मुलायम सिंह यादव और भाजपा के राष्टï्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह को भी अपने समानांतर खड़ा कर लिया। राजनाथ बसपा-भाजपा गठबंधन के मुखर विरोधियों में रहे हैं। मायावती ने अब उन्हें निपटाने की नई चाल निकाली है। यही नहीं, इसी तीर से मायावती ने कांग्रेस के सामने सांप्रदायिक भाजपा को इस तरह खड़ा किया है कि या तो कांग्रेस अपने नरम रुख के चलते भाजपा के खिलाफ नूरा-कुश्ती की मुद्रा में होगी अन्यथा उसके निशाने पर बसपा की जगह भाजपा होगी। मायावती के संदेशों में अल्पसंख्यक मतदाताओं के लिए सबसे प्रबल पैरोकार के रूप में उभरने का संदेश भी उनकी तरकश का नया तीर है।
पिछले विधानसभा चुनाव में विवाद का मुद्दा बनी भाजपा की -‘भारत की पुकार’ और ‘मां तुझे सलाम’ सीडी के तमाम अंश वैमनस्यता फैलाने और एक संप्रदाय विशेष के खिलाफ के जहर उगलने के आरोप के चलते चुनाव आयोग के निशाने पर इस कदर आए थे कि भाजपा नेताओं को रक्षात्मक होना पड़ा। 3० जनवरी को जांच सीबीआई के सुपुर्द करते हुए पत्रकारों से मुखातिब होकर मायावती ने कहा, ‘‘इसमें भाजपा के अनेक बड़े नेताओं की भूमिका संभव है। हम राजनीतिक द्वेषवश किसी पर प्रहार नही करना चाहते लेकिन यह जरूर है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो ताकि बसपा सरकार पर उंगली न उठ सके।’’ मायावती के बाद विशेष सचिव गृह ज्ञान सिंह ने भी कहा, ‘‘सीडी प्रकरण की सीबीआई से जांच कराने के लिए राज्य ने केंद्र सरकार को अनुरोध पत्र भेज दिया है। केंद्रीय गृह एवं कार्मिक एवं लोक शिकायत मंत्रालय को भेजे गये पत्र के साथ इस प्रकरण में अब तक हुई जांच का _x008e_यौरा भी नत्थी है।’’
लेकिन सवाल यह उठता है कि 29.11.2००7 को तैयार किये गये आरोप-पत्र संख्या-०5/०7, जिसकी प्रति ‘आउटलुक’ के पास है, के मार्फत राष्टï्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह, विधायक लालजी टंडन, चौधरी वीरेंद्र सिंह पवार, श्रीमती अल्पना तलवार, प्रवेश गुर्जर, लाल बहादुर माहेश्वरी, उदित लोकेश, श्रीमती सुनीता, केसी अस्थाना और कुतुब शेर को मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुज बिश्नोई द्वारा 1० महीने पहले लिखाए गए मुकदमें की चार्जशीट तैयार कर सीडी प्रकरण से जुड़े दस लोगों के खिलाफ आरोप पत्र तय करने की इजाजत मांगी गयी है। तब सीबीआई से नयी जांच कराने की जरूरत क्या है? कांग्रेस के राष्टï्रीय महासचिव व प्रदेश में पार्टी मामलों के प्रभारी दिग्विजय सिंह कहते हैं, ‘‘सीडी मामले में जब पुलिस जांच पूरी हो चुकी है, तो दोषियों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल करके मुकदमा चलाना चाहिए।’’ लेकिन पुलिसिया बयान के विरोधाभास देखना भी कम जरूरी नहीं हैं। पुलिस कप्तान अखिल कुमार के मुताबिक, ‘‘आरोप पत्र तैयार है पर अभी न्यायालय नहीं भेजा गया।’’ जबकि क्षेत्राधिकारी बीपी अशोक कहते रहे, ‘‘आरोप पत्र पुलिस अधीक्षक पूर्वी को भेज दिया गया है।’’ पुलिस अधीक्षक पूर्वी हरीश कुमार की मानें तो, ‘‘आरोप पत्र तैयार तो हुआ था लेकिन इसे वापस मंगा लिया गया है।’’ अपर पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था बृजलाल जता रहे थे, ‘‘आरोप पत्र रोक लिया गया है क्योंकि विवेचना पूरी नहीं हुई थी।’’ जबकि सच यह है कि चार्जशीट 29 नवंबर 2००7 को ही तैयार थी। आरोप पत्र में यह भी साफ तौर पर लिखा है,‘‘बरामदशुदा सीडी को माननीय न्यायालय के आदेश पर वरिष्ठï पुलिस अधीक्षक व विवेचक द्वारा कम्प्यूटर पर देखा गया। बरामदशुदा सीडी व अन्य के आधार पर अभियुक्तगण के विरूद्घ आरोप बखूबी प्रमाणित है।’’
प्रदेश भाजपा सांस्कृतिक प्रकोष्ठï द्वारा जारी की गई इस सीडी की शुरूआत भारतमाता के साथ वाजपेयी के चित्र से होती है और अंत में जिन शिखर भाजपा नेताओं के प्रति आभार जताया गया है उनमें पहला नाम अटल बिहारी वाजपेयी का ही है। भारतमाता के चित्र के इर्द-गिर्द लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, कलराज मिश्र, केशरीनाथ त्रिपाठी, विनय कटियार, लालजी टंडन, ओमप्रकाश सिंह के चित्रों के साथ गीत ‘भारतमाता के चरणों में हम अपना शीश नवाते हैं’ चलता है। गीत के बाद पात्र हत्या, बलात्कार, आतंकवाद पर चिंता प्रकट करते हैं। मुसलमानों द्वारा गोहत्या, हिंदू लड़कियों को धोखे से फंसाकर उन्हें मुसलमान बनाने की घटनाओं का भडक़ाऊ चित्रण है। मंच से एक भगवा साध्वी अपने भडक़ाऊ भाषण में मुसलमानों की बढ़ती आबादी के प्रति चेतावनी देती हैं। सीडी में अटल, आडवाणी, राजनाथ, कल्याण, केशरीनाथ के भाषणों के अंश भी हैं। सीडी में एक टीवी चैनल की खबर से लिए गए गोवध के वीभत्स दृश्यों का भी इस्तेमाल किया गया है।
विधानसभा चुनाव के दौरान जब सीडी प्रकरण उजागर हुआ, तब लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और राजनाथ सिंह गिरफ्तारी देने लखनऊ आ धमके थे। हालांकि उस समय के पुलिस कप्तान ने इनके गिरफ्तारी अभियान की यह कहकर हवा निकाल दी थी, ‘‘अभी जांच जारी है। गिरफ्तारी का कोई औचित्य नहीं है।’’ पर अब इस मुद्दे पर भाजपा अपने राष्टï्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह के धर्म निरपेक्ष चेहरे को बचाती हुई नजर आ रही है। प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी बातचीत में कहते हैं, ‘‘इस प्रकरण में राजनाथ सिंह का नाम घसीटना गलत है। इसे कुछ कार्यकर्ताओं ने तैयार कराया था लेकिन यह हमारे प्रचार सामग्री का हिस्सा नहीं थी। प्रचार का हिस्सा बनने से पहले इसे संपादित होना था और देखा जाना था। सीडी बनाने में अहम भूमिका निभाने वाली अल्पना तलवार को पार्टी से अलग कर दिया गया है।’’ लेकिन अल्पना बीते 3 फरवरी को सहारनपुर में भाजपा के प्रबुद्घ प्रकोष्ठï की एक बैठक में शरीक हुई थीं। वह ‘आउटलुक’ साप्ताहिक से कहती हैं, ‘‘मैं अभी भी पार्टी में हूं।’’ यही नहीं, सहारनपुर में ललित कला संस्थान चलाने वाली पार्टी की सांस्कृतिक प्रकोष्ठï की अध्यक्ष अल्पना तलवार की इस सीडी के बावत निर्माता और निर्देशक फकीरा फिल्म्स के निर्देशक चौधरी वीरेंद्र सिंह पंवार और प्रवेश गुर्जर ने भी कहा, ‘‘सीडी की स्क्रिप्ट और कंटेंट भाजपा नेत्री अल्पना तलवार ने उन्हें उपल_x008e_ध करायी। मैं जेल जाने को तैयार हूँ। सीडी का कंटेंट और स्क्रिप्ट सत्य घटनाओं पर आधारित है।’’ इस पूरे प्रकरण में सीडी जारी करने के वक्त राष्टï्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह की जगह पार्टी के सांसद रहे राजनाथ सिंह सूर्य उपस्थित थे। पर जांच अधिकारियों और प्राथमिकी दर्ज कराने वालों द्वारा इन दोनों में भेद कर पाना संभव नहीं हुआ। क्योंकि सीडी के लिए राष्टï्रीय अध्यक्ष जिम्मेदार थे तो तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष केशरीनाथ त्रिपाठी को कैसे मुक्ति मिल सकती थी। वह भी तब, जब इस बात के कई प्रमाण हैं कि राज्य इकाई ने छह लाख रूपये इस सीडी को बनवाने के लिए अपने इलेक्ट्रानिक प्रकोष्ठï को दिये थे। इतना ही नहीं, खुद को सीडी से अलग करने वाली भाजपा ने जिस तरह उप्र के आतंकवादी निशाने पर आए रामपुर, बनारस, फैजाबाद, गोरखपुर और लखनऊ में लालकृष्ण आडवाणी और मुखर हिंदुत्व के पैरोकार नरेंद्र मोदी के साथ रैली करने का फैसला किया है। साथ ही बीते 2 फरवरी को मायावती के इस फैसले के खिलाफ राज्य व्यापी विरोध के स्वर मुखर हुये हैं जिसमें भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने अपने अध्यक्ष दयाशंकर के नेतृत्व में कई जगह रेल रोको और तोडफ़ोड़ के कारनामों को अंजाम दिया। उससे साफ है कि पार्टी कानून के पचड़े में भले न फंसना चाहती हो पर हिंदुओं का रुख मोडऩे की कोशिश की रणनीति उसकी रुकने वाली नहीं है। तभी तो प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी कहते हैं, ‘‘यह कैसी चार्जशीट है जिसमें आरोपियों से पूछताछ तक नहीं की गयी। चुनाव आयोग पहले ही इस मामले को रफा-दफा कर चुका है। हम चाहते हैं सीबीआई जांच हो। हमारे खिलाफ कार्रवाई हो। पर कोई आधार तो होना चाहिये। इसीलिए हमने किसी भी अनुरोध का कोई ज्ञापन विरोध दिवस के दिन नहीं दिया।’’ वरिष्ठï भाजपा नेता मायावती की रणनीति को वूमरेंग करने का अंदेशा जताते हुए कहते हैं, ‘‘9 दिसंबर, 2००2 को गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान गुजरात में भाजपा नेताओं के साथ हुई मायावती की साझा रैली की फुटेज और अटल बिहारी वाजपेयी तथा अन्य भाजपा नेताओं के साथ मायावती का नरेंद्र मोदी सरकार के लिए वोट मांगते हुए दिखती हैं। इस सत्य को अल्पसंख्यकों से कैसे छुपायेंगी?’’
-योगेश मिश्र
पिछले विधानसभा चुनाव में विवाद का मुद्दा बनी भाजपा की प्रचार सीडी की जांच सीबीआई को सौंपकर मुख्यमंत्री मायावती ने एक साथ कई निशाने साधे हैं। एक तरफ उन्होंने राष्टï्रीय कार्यसमिति में नरेंद्र मोदी माडल अपनाये जाने की पैरोकार भाजपा को गाय, गंगा और मंदिर सरीखे अपने पुराने मुद्दों पर कदमताल करने के लिए फिर मजबूर किया है। तो दूसरी ओर पहले से सीबीआई की जद में रहे मुलायम सिंह यादव और भाजपा के राष्टï्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह को भी अपने समानांतर खड़ा कर लिया। राजनाथ बसपा-भाजपा गठबंधन के मुखर विरोधियों में रहे हैं। मायावती ने अब उन्हें निपटाने की नई चाल निकाली है। यही नहीं, इसी तीर से मायावती ने कांग्रेस के सामने सांप्रदायिक भाजपा को इस तरह खड़ा किया है कि या तो कांग्रेस अपने नरम रुख के चलते भाजपा के खिलाफ नूरा-कुश्ती की मुद्रा में होगी अन्यथा उसके निशाने पर बसपा की जगह भाजपा होगी। मायावती के संदेशों में अल्पसंख्यक मतदाताओं के लिए सबसे प्रबल पैरोकार के रूप में उभरने का संदेश भी उनकी तरकश का नया तीर है।
पिछले विधानसभा चुनाव में विवाद का मुद्दा बनी भाजपा की -‘भारत की पुकार’ और ‘मां तुझे सलाम’ सीडी के तमाम अंश वैमनस्यता फैलाने और एक संप्रदाय विशेष के खिलाफ के जहर उगलने के आरोप के चलते चुनाव आयोग के निशाने पर इस कदर आए थे कि भाजपा नेताओं को रक्षात्मक होना पड़ा। 3० जनवरी को जांच सीबीआई के सुपुर्द करते हुए पत्रकारों से मुखातिब होकर मायावती ने कहा, ‘‘इसमें भाजपा के अनेक बड़े नेताओं की भूमिका संभव है। हम राजनीतिक द्वेषवश किसी पर प्रहार नही करना चाहते लेकिन यह जरूर है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो ताकि बसपा सरकार पर उंगली न उठ सके।’’ मायावती के बाद विशेष सचिव गृह ज्ञान सिंह ने भी कहा, ‘‘सीडी प्रकरण की सीबीआई से जांच कराने के लिए राज्य ने केंद्र सरकार को अनुरोध पत्र भेज दिया है। केंद्रीय गृह एवं कार्मिक एवं लोक शिकायत मंत्रालय को भेजे गये पत्र के साथ इस प्रकरण में अब तक हुई जांच का _x008e_यौरा भी नत्थी है।’’
लेकिन सवाल यह उठता है कि 29.11.2००7 को तैयार किये गये आरोप-पत्र संख्या-०5/०7, जिसकी प्रति ‘आउटलुक’ के पास है, के मार्फत राष्टï्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह, विधायक लालजी टंडन, चौधरी वीरेंद्र सिंह पवार, श्रीमती अल्पना तलवार, प्रवेश गुर्जर, लाल बहादुर माहेश्वरी, उदित लोकेश, श्रीमती सुनीता, केसी अस्थाना और कुतुब शेर को मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुज बिश्नोई द्वारा 1० महीने पहले लिखाए गए मुकदमें की चार्जशीट तैयार कर सीडी प्रकरण से जुड़े दस लोगों के खिलाफ आरोप पत्र तय करने की इजाजत मांगी गयी है। तब सीबीआई से नयी जांच कराने की जरूरत क्या है? कांग्रेस के राष्टï्रीय महासचिव व प्रदेश में पार्टी मामलों के प्रभारी दिग्विजय सिंह कहते हैं, ‘‘सीडी मामले में जब पुलिस जांच पूरी हो चुकी है, तो दोषियों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल करके मुकदमा चलाना चाहिए।’’ लेकिन पुलिसिया बयान के विरोधाभास देखना भी कम जरूरी नहीं हैं। पुलिस कप्तान अखिल कुमार के मुताबिक, ‘‘आरोप पत्र तैयार है पर अभी न्यायालय नहीं भेजा गया।’’ जबकि क्षेत्राधिकारी बीपी अशोक कहते रहे, ‘‘आरोप पत्र पुलिस अधीक्षक पूर्वी को भेज दिया गया है।’’ पुलिस अधीक्षक पूर्वी हरीश कुमार की मानें तो, ‘‘आरोप पत्र तैयार तो हुआ था लेकिन इसे वापस मंगा लिया गया है।’’ अपर पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था बृजलाल जता रहे थे, ‘‘आरोप पत्र रोक लिया गया है क्योंकि विवेचना पूरी नहीं हुई थी।’’ जबकि सच यह है कि चार्जशीट 29 नवंबर 2००7 को ही तैयार थी। आरोप पत्र में यह भी साफ तौर पर लिखा है,‘‘बरामदशुदा सीडी को माननीय न्यायालय के आदेश पर वरिष्ठï पुलिस अधीक्षक व विवेचक द्वारा कम्प्यूटर पर देखा गया। बरामदशुदा सीडी व अन्य के आधार पर अभियुक्तगण के विरूद्घ आरोप बखूबी प्रमाणित है।’’
प्रदेश भाजपा सांस्कृतिक प्रकोष्ठï द्वारा जारी की गई इस सीडी की शुरूआत भारतमाता के साथ वाजपेयी के चित्र से होती है और अंत में जिन शिखर भाजपा नेताओं के प्रति आभार जताया गया है उनमें पहला नाम अटल बिहारी वाजपेयी का ही है। भारतमाता के चित्र के इर्द-गिर्द लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, कलराज मिश्र, केशरीनाथ त्रिपाठी, विनय कटियार, लालजी टंडन, ओमप्रकाश सिंह के चित्रों के साथ गीत ‘भारतमाता के चरणों में हम अपना शीश नवाते हैं’ चलता है। गीत के बाद पात्र हत्या, बलात्कार, आतंकवाद पर चिंता प्रकट करते हैं। मुसलमानों द्वारा गोहत्या, हिंदू लड़कियों को धोखे से फंसाकर उन्हें मुसलमान बनाने की घटनाओं का भडक़ाऊ चित्रण है। मंच से एक भगवा साध्वी अपने भडक़ाऊ भाषण में मुसलमानों की बढ़ती आबादी के प्रति चेतावनी देती हैं। सीडी में अटल, आडवाणी, राजनाथ, कल्याण, केशरीनाथ के भाषणों के अंश भी हैं। सीडी में एक टीवी चैनल की खबर से लिए गए गोवध के वीभत्स दृश्यों का भी इस्तेमाल किया गया है।
विधानसभा चुनाव के दौरान जब सीडी प्रकरण उजागर हुआ, तब लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और राजनाथ सिंह गिरफ्तारी देने लखनऊ आ धमके थे। हालांकि उस समय के पुलिस कप्तान ने इनके गिरफ्तारी अभियान की यह कहकर हवा निकाल दी थी, ‘‘अभी जांच जारी है। गिरफ्तारी का कोई औचित्य नहीं है।’’ पर अब इस मुद्दे पर भाजपा अपने राष्टï्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह के धर्म निरपेक्ष चेहरे को बचाती हुई नजर आ रही है। प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी बातचीत में कहते हैं, ‘‘इस प्रकरण में राजनाथ सिंह का नाम घसीटना गलत है। इसे कुछ कार्यकर्ताओं ने तैयार कराया था लेकिन यह हमारे प्रचार सामग्री का हिस्सा नहीं थी। प्रचार का हिस्सा बनने से पहले इसे संपादित होना था और देखा जाना था। सीडी बनाने में अहम भूमिका निभाने वाली अल्पना तलवार को पार्टी से अलग कर दिया गया है।’’ लेकिन अल्पना बीते 3 फरवरी को सहारनपुर में भाजपा के प्रबुद्घ प्रकोष्ठï की एक बैठक में शरीक हुई थीं। वह ‘आउटलुक’ साप्ताहिक से कहती हैं, ‘‘मैं अभी भी पार्टी में हूं।’’ यही नहीं, सहारनपुर में ललित कला संस्थान चलाने वाली पार्टी की सांस्कृतिक प्रकोष्ठï की अध्यक्ष अल्पना तलवार की इस सीडी के बावत निर्माता और निर्देशक फकीरा फिल्म्स के निर्देशक चौधरी वीरेंद्र सिंह पंवार और प्रवेश गुर्जर ने भी कहा, ‘‘सीडी की स्क्रिप्ट और कंटेंट भाजपा नेत्री अल्पना तलवार ने उन्हें उपल_x008e_ध करायी। मैं जेल जाने को तैयार हूँ। सीडी का कंटेंट और स्क्रिप्ट सत्य घटनाओं पर आधारित है।’’ इस पूरे प्रकरण में सीडी जारी करने के वक्त राष्टï्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह की जगह पार्टी के सांसद रहे राजनाथ सिंह सूर्य उपस्थित थे। पर जांच अधिकारियों और प्राथमिकी दर्ज कराने वालों द्वारा इन दोनों में भेद कर पाना संभव नहीं हुआ। क्योंकि सीडी के लिए राष्टï्रीय अध्यक्ष जिम्मेदार थे तो तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष केशरीनाथ त्रिपाठी को कैसे मुक्ति मिल सकती थी। वह भी तब, जब इस बात के कई प्रमाण हैं कि राज्य इकाई ने छह लाख रूपये इस सीडी को बनवाने के लिए अपने इलेक्ट्रानिक प्रकोष्ठï को दिये थे। इतना ही नहीं, खुद को सीडी से अलग करने वाली भाजपा ने जिस तरह उप्र के आतंकवादी निशाने पर आए रामपुर, बनारस, फैजाबाद, गोरखपुर और लखनऊ में लालकृष्ण आडवाणी और मुखर हिंदुत्व के पैरोकार नरेंद्र मोदी के साथ रैली करने का फैसला किया है। साथ ही बीते 2 फरवरी को मायावती के इस फैसले के खिलाफ राज्य व्यापी विरोध के स्वर मुखर हुये हैं जिसमें भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने अपने अध्यक्ष दयाशंकर के नेतृत्व में कई जगह रेल रोको और तोडफ़ोड़ के कारनामों को अंजाम दिया। उससे साफ है कि पार्टी कानून के पचड़े में भले न फंसना चाहती हो पर हिंदुओं का रुख मोडऩे की कोशिश की रणनीति उसकी रुकने वाली नहीं है। तभी तो प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी कहते हैं, ‘‘यह कैसी चार्जशीट है जिसमें आरोपियों से पूछताछ तक नहीं की गयी। चुनाव आयोग पहले ही इस मामले को रफा-दफा कर चुका है। हम चाहते हैं सीबीआई जांच हो। हमारे खिलाफ कार्रवाई हो। पर कोई आधार तो होना चाहिये। इसीलिए हमने किसी भी अनुरोध का कोई ज्ञापन विरोध दिवस के दिन नहीं दिया।’’ वरिष्ठï भाजपा नेता मायावती की रणनीति को वूमरेंग करने का अंदेशा जताते हुए कहते हैं, ‘‘9 दिसंबर, 2००2 को गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान गुजरात में भाजपा नेताओं के साथ हुई मायावती की साझा रैली की फुटेज और अटल बिहारी वाजपेयी तथा अन्य भाजपा नेताओं के साथ मायावती का नरेंद्र मोदी सरकार के लिए वोट मांगते हुए दिखती हैं। इस सत्य को अल्पसंख्यकों से कैसे छुपायेंगी?’’
-योगेश मिश्र