भगवान बुद्घ ने एक बार एक भिखारी को शिक्षा देने में असफल रहे शिष्य को समझाते हुए कहा था कि पहले उस भूखे को भोजन कराओ, तब शिक्षा दो। शिष्य ने तो बुद्घ की बाते मान ली पर कुशीनगर में दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा निर्माण की परियोजना पर काम कर रही मैत्रेय संस्था व प्रदेश सरकार गरीब किसानों की आवाज सुनने को तैयार नहीं हैँ। नतीजतन किसान आन्दोलन की राह पर हैं, और सरकारें बुद्घ के नाम पर सियासत करने में मशगूल हैं।
मैत्रेय परियोजना के तहत कुशीनगर में भगवान बुद्घ की 5०० फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित करने की योजना है। बौद्ध कलाकार डेनिस ग्रिफिन और पिटर ग्रिफिन की तैयार की गई मूर्ति पर 19.5 करोड़ डालर की लागत आएगी। हांगकांग स्थित लनताऊ बुद्घ प्रतिमा (9० फुट) व टोक्यो स्थित उशिकू की प्रतिमा (३९४ फुट) से यह कहीं अधिक ऊंची है। बामियान में तालिबान ने जब बुद्घ की विशाल प्रतिमा को तोड़ दिया था तक सूबे के ‘घोषणा मुख्यमंत्री’ कहे जाने वाले राजनाथ सिंह ने कुशीनगर में दुनिया में सबसे ऊंची बुद्घ प्रतिमा की स्थापना का ऐलान किया था। ऐलान के साथ ही बुद्घ प्रतिमा को संरक्षित किये जाने के ‘बिभीषक उपायों’ को लेकर विरोध शुरू हो गया। परियोजना में स्पष्टï था कि एक हजार करोड़ की लागत से बनने वाली परियोजना स्थल के सौ किलोमीटर की परिधि में अगले १००० वर्ष तक कोई बड़ा उद्योग नहीं लग सकेगा। यह तो भविष्य की बात थी पर उपजाऊ जमीन के अधिग्रहण को लेकर विरोध की बुनियाद तुरन्त पड़ गयी। चार चरणों में इस परियोजना के तहत १२२ गांवों की ६५० एकड़ जमीन अधिग्रहीत होनी थी प्रारम्भ में २५० एकड़ भूमि की आवश्यकता बताई गई थी, जो बाद में बढ़ते-बढ़ते ६५० एकड़ हो गयी। अधिग्रहण के पहले चरण में ही विरोध के स्वर उठने लगे। जिन किसानों की जमीन का अधिग्रहण होना था, उसमें अधिकांश उपजाऊ थी। आज १४०० किसान परिवार पिछले पांच सालों से धरना, आन्दोलन और आमरण अनशन जैसे उपायों जमीन बचाने की जददोजहद कर रहे हैं। मुलायम सरकार में चर्चित जिलाधिकारी आशीष गोयल ने अपनी रिपोर्ट में जमीन को पथरीली, कंकरीली और बंजर करार दे किसानों के अरमानों पर कुठाराघात किया था। हालांकि पिछले दिनों कुशीनगर से हटायी गयीं डीएम अमृता सोनी ने जाते-जाते किसानों के हक में सरकार को रिपोर्ट भेजी, ‘‘अधिग्रहीत होने वाली अधिकांश जमीन उपजाऊ और कृषि योग्य है।’’ अधिग्रहण के विरोध में भूमि बचाओं संघर्ष समिति १० अगस्त २००६ से अनिश्चित कालीन धरने पर है। समिति के नेता गोवर्धन प्रसाद गौड़ कहते हैं, ‘‘सरकार किसानों की उपजाऊ जमीन को विश्व की फर्जी घोषित हो चुकी संस्था को दान में देने पर उतारू है। इस जमीन हम तीन-तीन फसले उगाते हैं।’’ आन्दोलन को सामाजिक कार्यकर्ताओं-मेधा पाटेकर, संदीप पाण्डेय व अरूंधती राय के समर्थन से बल मिला है। ये किसानों के हक हकूृक की आवाज बुलंद करने कुशीनगर आ चुके हैं। मेधा पाटेकर का कहना है, ‘‘योजना में १ रूपये प्रति एकड़ देने का करार किया गया है। शान्ती के दूत के नाम पर खूनी खेल हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम बौद्घ प्रतिमा के विरोधी नहीं हैं, परन्तु उसकी आंड़ में विदेशी ऐशगाह बनाने की साजिश हम सफल नहीं होने देंगे।’’ भूमि अधिग्रहण का सर्वाधिक विरोध सिसवा महंथ गांव में हो रहा है, जहॉ तकरीबन २२१ एकड़ जमीन अधिग्रहीत की गयी है। गांव के ४७ वर्षीय कुसुमी मुक्का तान कर बोलती है, ‘‘पूरा परिवार खेती पर निर्भर है। सरकार हमारी जमीन जापानियों को दे रही है। कत्ल, फांसी कुछ भी हो जाये, जमीन हम नहीं देंगे।’’ गांव की लक्ष्मी बताती है, ‘‘जियरा पागल हो गइल बा, ये सरकार आप बताई इ लडक़वा का खाइ।’’
वैसे यह परियोजना पहले बिहार के बोध गया में स्थापित होनी थी। जहां परिजोयना के संचालकों ने 4० एकड़ जमीन की मांग की। यह बाद में 2०० एकड़ तक पहुंच गई। इनका कहना था कि सरकार मुफ्त में जमीन उपल_x008e_ध कराए पर बिहार सरकार ने 75 लाख रूपये मांगे। नतीजतन परियोजना के लोग बैंरग लौट आए। यहां तत्कालीन मुखिया राजनाथ सिंह ने इनकी बात मान ली। बाद में मुलायम ने इसे अमलीजामा पहनाने की खूब पहल की। उनके मंत्री रहे ब्रह्मïाशंकर त्रिपाठी व पूर्व भाजपा सांसद श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने खूब बयानबाजी की। अंबेडकर उद्यान को नया स्वरूप देने के बाद माया सरकार कुशीनगर में भगवान बुद्ध की सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित करने में जुटी है। इसी मंशा को देखते हुए संस्था के सदस्य अतुलवीर चोपड़ा नें मुख्य सचिव के साथ बैंठक में कहा,‘‘ संस्था परियोजना की स्थापना में 1००० करोड़ रूपये खर्च करेगी। इसमें एक मेडिटेशन पार्क, पांच सितारा होटल, अंतरर्राष्ट्रीय स्तर का चेरेटेबुल अस्पलाल शामिल होगा। लिहाजा संस्था को टैक्स में रियायत दी जाए।’’ पर एक तरफ माया सरकार इसे अमली जामा पहनाने की कवायद में जुटी है तो दूसरी तरफ उन्हीं के सरकार के मंत्री तथा पडऱौना संसदीय क्षेत्र से बसपा के लोकसभा उम्मीदवार स्वामी प्रसाद मौर्या आश्वासन देने में जुटे हैं,‘‘हम अन्याय नहीं होने देंगे।’’ जबकि भाजपा के नेता और पूर्व मंत्री सूर्य प्रताप शाही कह रहे हैं,‘‘ मैत्रेयी फ्राड संस्था है। हमारी आप_x009e_िा परियोजना को लेकर नहीं बल्कि तौर तरीकों को लेकर है।’’ हालांकि अब यह सहमति बनी है कि अविवादित 15० एकड़ जमीन पर स्कूल और अस्पताल बनाया जाए ताकि योजना से लोगों का जुड़ाव बने। गोरखपुर के मंडलायुक्त पीके मोहंती का कहना है,‘‘ परयिोजना से क्षेत्र का चहुंमुखी विकास होगा। अधिग्रहण की कार्यवाही जनसहयोग के आधार पर उचित मुआवजा देकर की जाएगी।’’ कुल मिलाकर कुशीनगर में विश्व के महान आश्चर्य श्रेणी की बुद्ध की प्रतिमा स्थापित होने की सूचना से जो उत्साह जागा था, जमीन अधिग्रहण को लेकर उठे विवाद के बाद ठंडा पड़ता जनर आ रहा है।
-योगेश मिश्र
(साथ में कुशीनगर से पूर्णिमा)
मैत्रेय परियोजना के तहत कुशीनगर में भगवान बुद्घ की 5०० फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित करने की योजना है। बौद्ध कलाकार डेनिस ग्रिफिन और पिटर ग्रिफिन की तैयार की गई मूर्ति पर 19.5 करोड़ डालर की लागत आएगी। हांगकांग स्थित लनताऊ बुद्घ प्रतिमा (9० फुट) व टोक्यो स्थित उशिकू की प्रतिमा (३९४ फुट) से यह कहीं अधिक ऊंची है। बामियान में तालिबान ने जब बुद्घ की विशाल प्रतिमा को तोड़ दिया था तक सूबे के ‘घोषणा मुख्यमंत्री’ कहे जाने वाले राजनाथ सिंह ने कुशीनगर में दुनिया में सबसे ऊंची बुद्घ प्रतिमा की स्थापना का ऐलान किया था। ऐलान के साथ ही बुद्घ प्रतिमा को संरक्षित किये जाने के ‘बिभीषक उपायों’ को लेकर विरोध शुरू हो गया। परियोजना में स्पष्टï था कि एक हजार करोड़ की लागत से बनने वाली परियोजना स्थल के सौ किलोमीटर की परिधि में अगले १००० वर्ष तक कोई बड़ा उद्योग नहीं लग सकेगा। यह तो भविष्य की बात थी पर उपजाऊ जमीन के अधिग्रहण को लेकर विरोध की बुनियाद तुरन्त पड़ गयी। चार चरणों में इस परियोजना के तहत १२२ गांवों की ६५० एकड़ जमीन अधिग्रहीत होनी थी प्रारम्भ में २५० एकड़ भूमि की आवश्यकता बताई गई थी, जो बाद में बढ़ते-बढ़ते ६५० एकड़ हो गयी। अधिग्रहण के पहले चरण में ही विरोध के स्वर उठने लगे। जिन किसानों की जमीन का अधिग्रहण होना था, उसमें अधिकांश उपजाऊ थी। आज १४०० किसान परिवार पिछले पांच सालों से धरना, आन्दोलन और आमरण अनशन जैसे उपायों जमीन बचाने की जददोजहद कर रहे हैं। मुलायम सरकार में चर्चित जिलाधिकारी आशीष गोयल ने अपनी रिपोर्ट में जमीन को पथरीली, कंकरीली और बंजर करार दे किसानों के अरमानों पर कुठाराघात किया था। हालांकि पिछले दिनों कुशीनगर से हटायी गयीं डीएम अमृता सोनी ने जाते-जाते किसानों के हक में सरकार को रिपोर्ट भेजी, ‘‘अधिग्रहीत होने वाली अधिकांश जमीन उपजाऊ और कृषि योग्य है।’’ अधिग्रहण के विरोध में भूमि बचाओं संघर्ष समिति १० अगस्त २००६ से अनिश्चित कालीन धरने पर है। समिति के नेता गोवर्धन प्रसाद गौड़ कहते हैं, ‘‘सरकार किसानों की उपजाऊ जमीन को विश्व की फर्जी घोषित हो चुकी संस्था को दान में देने पर उतारू है। इस जमीन हम तीन-तीन फसले उगाते हैं।’’ आन्दोलन को सामाजिक कार्यकर्ताओं-मेधा पाटेकर, संदीप पाण्डेय व अरूंधती राय के समर्थन से बल मिला है। ये किसानों के हक हकूृक की आवाज बुलंद करने कुशीनगर आ चुके हैं। मेधा पाटेकर का कहना है, ‘‘योजना में १ रूपये प्रति एकड़ देने का करार किया गया है। शान्ती के दूत के नाम पर खूनी खेल हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम बौद्घ प्रतिमा के विरोधी नहीं हैं, परन्तु उसकी आंड़ में विदेशी ऐशगाह बनाने की साजिश हम सफल नहीं होने देंगे।’’ भूमि अधिग्रहण का सर्वाधिक विरोध सिसवा महंथ गांव में हो रहा है, जहॉ तकरीबन २२१ एकड़ जमीन अधिग्रहीत की गयी है। गांव के ४७ वर्षीय कुसुमी मुक्का तान कर बोलती है, ‘‘पूरा परिवार खेती पर निर्भर है। सरकार हमारी जमीन जापानियों को दे रही है। कत्ल, फांसी कुछ भी हो जाये, जमीन हम नहीं देंगे।’’ गांव की लक्ष्मी बताती है, ‘‘जियरा पागल हो गइल बा, ये सरकार आप बताई इ लडक़वा का खाइ।’’
वैसे यह परियोजना पहले बिहार के बोध गया में स्थापित होनी थी। जहां परिजोयना के संचालकों ने 4० एकड़ जमीन की मांग की। यह बाद में 2०० एकड़ तक पहुंच गई। इनका कहना था कि सरकार मुफ्त में जमीन उपल_x008e_ध कराए पर बिहार सरकार ने 75 लाख रूपये मांगे। नतीजतन परियोजना के लोग बैंरग लौट आए। यहां तत्कालीन मुखिया राजनाथ सिंह ने इनकी बात मान ली। बाद में मुलायम ने इसे अमलीजामा पहनाने की खूब पहल की। उनके मंत्री रहे ब्रह्मïाशंकर त्रिपाठी व पूर्व भाजपा सांसद श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने खूब बयानबाजी की। अंबेडकर उद्यान को नया स्वरूप देने के बाद माया सरकार कुशीनगर में भगवान बुद्ध की सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित करने में जुटी है। इसी मंशा को देखते हुए संस्था के सदस्य अतुलवीर चोपड़ा नें मुख्य सचिव के साथ बैंठक में कहा,‘‘ संस्था परियोजना की स्थापना में 1००० करोड़ रूपये खर्च करेगी। इसमें एक मेडिटेशन पार्क, पांच सितारा होटल, अंतरर्राष्ट्रीय स्तर का चेरेटेबुल अस्पलाल शामिल होगा। लिहाजा संस्था को टैक्स में रियायत दी जाए।’’ पर एक तरफ माया सरकार इसे अमली जामा पहनाने की कवायद में जुटी है तो दूसरी तरफ उन्हीं के सरकार के मंत्री तथा पडऱौना संसदीय क्षेत्र से बसपा के लोकसभा उम्मीदवार स्वामी प्रसाद मौर्या आश्वासन देने में जुटे हैं,‘‘हम अन्याय नहीं होने देंगे।’’ जबकि भाजपा के नेता और पूर्व मंत्री सूर्य प्रताप शाही कह रहे हैं,‘‘ मैत्रेयी फ्राड संस्था है। हमारी आप_x009e_िा परियोजना को लेकर नहीं बल्कि तौर तरीकों को लेकर है।’’ हालांकि अब यह सहमति बनी है कि अविवादित 15० एकड़ जमीन पर स्कूल और अस्पताल बनाया जाए ताकि योजना से लोगों का जुड़ाव बने। गोरखपुर के मंडलायुक्त पीके मोहंती का कहना है,‘‘ परयिोजना से क्षेत्र का चहुंमुखी विकास होगा। अधिग्रहण की कार्यवाही जनसहयोग के आधार पर उचित मुआवजा देकर की जाएगी।’’ कुल मिलाकर कुशीनगर में विश्व के महान आश्चर्य श्रेणी की बुद्ध की प्रतिमा स्थापित होने की सूचना से जो उत्साह जागा था, जमीन अधिग्रहण को लेकर उठे विवाद के बाद ठंडा पड़ता जनर आ रहा है।
-योगेश मिश्र
(साथ में कुशीनगर से पूर्णिमा)