मायावती भले ही जनता से न मिलती हों। उनके अपने ही मंत्रियों को मिलने में महीनों लग जाते हैं। पर उनका ‘फीड बैक’ तंत्र बिल्कुल दुरूस्त कहा जा सकता है। क्योंकि उनके अपने मंत्रियों ने जहां भी और जिस तरह कोई भी खुराफात की तो मायावती ने बुलाकर उसकी क्लास लेने में कोई कोताही नहीं बरती। पिछले दिनों ही ग्यारह महीने के कामकाज की समीक्षा करते हुए एक-एक मंत्री से ग्यारह महीने के कामकाज का रिपोर्ट कार्ड पढक़र सुनायें। डांट खाने वालों में सबसे पहला नंबर लगा बरेली के वक्फ राज्यमंत्री सहजल इस्लाम अंसारी का जो पिछले दिनों ट्रेन में बगैर टिकट यात्रा करते हुए पकड़े गए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि, ‘‘उनके कारनामे से पूरी बसपा सरकार की छवि खराब हुई है।’’ उसके बाद विभागीय राजस्व वसूली में फिसड्ïडी रहे मंत्री नकुल दुबे का नंबर आया। कानपुर में पिछले दिनों गर्भवती महिला के साथ अस्पताल कर्मियों के व्यवहार से व्यथित मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य मंत्री, अन्तू मिश्रा से पूरे प्रदेश में अस्पतालों की खराब व्यवस्था पर अपनी नाराजगी जाहिर की। पश्चिम के एक मंत्री को मायावती ने इसलिए डांटा क्योंकि वह विभागीय सामान खरीदने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं न कि जनता को सुविधा मुहैया कराने में। पूरब के एक मंत्री को भी निजीकरण में देरी होने के लिए डांट लगाई गई। मुम्बई की बारबालाओं को अपने सार्वजनिक कार्यक्रमों में नचवाने के लिए भी वह कई मंत्रियों पर पहले भी बरस चुकी हैं। श्रममंत्री बादशाह सिंह और पर्यटन राज्यमंत्री विनोद कुमार सिंह का नाम इस सूची में आता है। अम्बेडकर नगर में आयोजित मुख्यमंत्री के जन्म दिवस समारोह में पेश किये गये एक कार्यक्रम को भी लेकर मायावती अपने मंत्री लालजी वर्मा पर गुस्सा जता चुकी हैं। सुल्तानपुर के विधायक भगेलूराम और बुलन्दशहर के एमएलए अलीम खान के विजय जुलूस में हुई फायरिंग को लेकर भी मायावती का गुस्सा फूट चुका है, लेकिन फिर भी उनके मंत्री गाहे-बगाहे पार्टी को दिक्कत में डालने से नहीं चूकते हैं। मसलनï विधायक भगवान शर्मा उर्फ गुडडू पंडित और मंत्री वेदराम भाटी के खिलाफ लिखवाये गये हत्या की प्राथमिकी ने सरकार को संकट में डाला। तो खाद्य रसद मंत्री ने लखनऊ विकास प्राधिकरण का एक कामर्शियल प्लाट औने-पौने दाम में खरीदने में सुखिर्यो में आ चुके हैं। परिवहन मंत्री रामअचल राजभर ने हरियाणा के एक प्राइवेट ट्रान्सपोटर को कूपन जारी कर सरकार को संकट में डालने का नायाब कारनामा कर दिखाया है। यह बात दीगर है कि इस ट्रान्सपोटर के पक्ष में खुद विधान सभा अध्यक्ष सुखदेवराजभर का भी खत मीडिया के हाथ लग चुका है, जिससे सरकार की बहुत किरकिरी हुई थी। मंत्री आनन्दसेन का प्रेम प्रसंग और उसके बाद हुई हत्या के मामले में इस्तीफे ने भी सरकार की भदï्द करायी थी। उद्यान मंत्री नारायण सिंह की शिक्षा-दीक्षा और रोज फाइलें दस्तखत कराने वालों के लिए दिक्कत का सबब बनती हैं। आबकारी नीति को लेकर सवालों के कटघरे में खड़ मंत्री नसीमुदïदीन सिददीकी को बचाने के लिए सरकार के पास जवाबों के टोटे ने भी दिक्कत बढ़ाई थी। माध्यमिक शिक्षामंत्री रंगनाथ मिश्र और उच्च शिक्षा मंत्री राकेशधर त्रिपाठी पर विधान परिषद के शिक्षक निर्वाचन क्षे0त्र से आने वाले विधायकों के आरोपों ने सरकार को बचाव की मुद्रा में आकर खड़े होने को मजबूर कर दिया था। दो दिग्गज मंत्री ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय व आईईएस मंत्री ठाकुर जयवीर सिंह की वर्चस्व की लड़ाई अलीगढ़ की जनता को गर्मी के मौसम में बहुत भारी पड़ रही है। उपाध्याय ने अलीगढ़ से बिजली सुविधा छीनकर अपनी ताकत का अहसास करवाया तो जयवीर सिंह ने उपाध्याय की पत्नी सीमा उपाध्याय का लोकसभा चुनाव से प_x009e_ाा कटवाकर पलटवार किया है। बिजली कटौती से अलीगढ़ का ताला व हार्डवेयर उद्योग पूरी तरह खत्म होने की कगार पर जा पहुंचा है। बीते एक अप्रैल को एक वकील की पिटाई के विरोध में अंबेडकर नगर व फैजाबाद जिले के वकीलों ने परिवहन मंत्री राम अचल राजभर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। मंत्री के बेटे संजय राजभर की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सडक़ों पर उतर आये और कई दिन तक अदालतों का बहिष्कार किया। पुलिस को उनके बेटे के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करनी पड़ी।
- योगेश मिश्र