लखनऊ, 19 सितम्बर- सपा और कांग्रेस गठबंधन में एक-एक सीटों को लेकर भले ही चिक-चिक चल रही हो। एक-एक सीट अपने खाते में करने की रणनीति और तर्क को अंजाम दिया जा रहा हो। बावजूद इसके सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के लाड़ले पुत्र सांसद अखिलेश यादव राज्य की दो लोकसभा सीटों - कन्नौज और फिरोजाबाद से इस बार अपनी किस्मत आजमायेंगे।
समाजवादी विचारधारा के आधार स्तम्भ राम मनोहर लोहिया की कर्मस्थली कन्नौज से अखिलेश यादव लोकसभा की नुमाइंदगी करते हैं। नये परिसीमन में कन्नौज लोकसभा के अंतर्गत आने वाली यादव बाहुल्य भरथना विधानसभा सीट के इटावा में चले जाने के नाते सपा की ओर से सांसद अखिलेश यादव को फिरोजाबाद से उतारने का फैसला किया गया है। गौरतलब है कि अकेले भरथना सीट से अखिलेश यादव की बढ़त खासी हो जाती थी। उन्हें पिछले लोकसभा चुनाव में 1,38000 वोट यहां से मिले थे। कन्नौज से अखिलेश यादव को फिरोजाबाद भेजने की तैयारी के मद्देनजर ही भाजपा से दो बार राज्य सभा सदस्य रहे राम बख्श सिंह वर्मा को बीते दिनों साइकिल की सवारी करायी गयी। सपा में शरीक होते ही सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने इनके कन्नौज से चुनाव लड़ाने की मुनादी भी की। सपा को यह फैसला अपने दिग्गज नेता धनीराम वर्मा के बसपा में चले जाने और उनके बेटे डा. महेश वर्मा को बसपा उम्मीदवार घोषित होने के बाद लेना पड़ा। लेकिन राम बख्श सिंह वर्मा के उम्मीदवार बनाये जाने के बाद सपा की जिला इकाई के गुस्से को देखते हुये सपा सुप्रीमो को इस बात की फिर मुनादी करनी पड़ी कि अखिलेश यादव यहीं से उम्मीदवार होंगे। बावजूद इसके इसे सुरक्षित सीट नहीं माना जा रहा है क्योंकि यहां चार लाख दलित, ढाई लाख लोध और सवा लाख यादव, इतने ही ब्राम्हण और इतनी ही तादात में मुसलमान मतदाता है। एक-एक लाख ठाकुर और शाक्य बिरादरी के मतदाता भी अहम भूमिका निभाते हैं।
पर सपा के भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक, ‘‘अखिलेश कन्नौज के साथ ही साथ फिरोजाबाद सीट से भी अपनी किस्मत आजमायेंगे’’। फिरोजाबाद सीट चुनने की वजह यह है कि नये परिसीमन में इस लोकसभा सीट के तहत जो जसराना और सिरसागंज विधानसभा क्षेत्र आये हैं। वहां अकेले यादव मतदाता ही निर्णायक भूमिका में होते हैं। यही नहीं, फिरोजाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्र-शिकोहाबाद, जसराना , फिरोजाबाद और टूंडला में से तीन सीटों पर भले ही बसपा के विधायक काबिज हों, पर नये परिसीमन में इन तीनों सीटों में भी जो इलाके जुड़े हैं, उससे बसपा की दावेदारी में पलीता लगता दिख रहा है, क्योंकि जुडऩे वाले क्षेत्रों में यादव बाहुल्य आबादी है। मुलायम के मुस्लिम-यादव समीकरण वाले वोटों की तादात क्रमश: तकरीबन साढ़े तीन व डेढ़ लाख के करीब बैठती है। वैसे भी फिरोजाबाद सीट समाजवादी पार्टी के ही रामजी लाल सुमन के कब्जे में थी। सुमन दो बार से यहां लगातार सांसद हैं। इसके पहले भाजपा के प्रभुदयाल कटेरिया भी लगातार दो बार यहां की नुमाइंदगी कर चुके हैं। नये परिसीमन में अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित ये सीट सामान्य श्रेणी में आ गयी है।
समाजवादी विचारधारा के आधार स्तम्भ राम मनोहर लोहिया की कर्मस्थली कन्नौज से अखिलेश यादव लोकसभा की नुमाइंदगी करते हैं। नये परिसीमन में कन्नौज लोकसभा के अंतर्गत आने वाली यादव बाहुल्य भरथना विधानसभा सीट के इटावा में चले जाने के नाते सपा की ओर से सांसद अखिलेश यादव को फिरोजाबाद से उतारने का फैसला किया गया है। गौरतलब है कि अकेले भरथना सीट से अखिलेश यादव की बढ़त खासी हो जाती थी। उन्हें पिछले लोकसभा चुनाव में 1,38000 वोट यहां से मिले थे। कन्नौज से अखिलेश यादव को फिरोजाबाद भेजने की तैयारी के मद्देनजर ही भाजपा से दो बार राज्य सभा सदस्य रहे राम बख्श सिंह वर्मा को बीते दिनों साइकिल की सवारी करायी गयी। सपा में शरीक होते ही सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने इनके कन्नौज से चुनाव लड़ाने की मुनादी भी की। सपा को यह फैसला अपने दिग्गज नेता धनीराम वर्मा के बसपा में चले जाने और उनके बेटे डा. महेश वर्मा को बसपा उम्मीदवार घोषित होने के बाद लेना पड़ा। लेकिन राम बख्श सिंह वर्मा के उम्मीदवार बनाये जाने के बाद सपा की जिला इकाई के गुस्से को देखते हुये सपा सुप्रीमो को इस बात की फिर मुनादी करनी पड़ी कि अखिलेश यादव यहीं से उम्मीदवार होंगे। बावजूद इसके इसे सुरक्षित सीट नहीं माना जा रहा है क्योंकि यहां चार लाख दलित, ढाई लाख लोध और सवा लाख यादव, इतने ही ब्राम्हण और इतनी ही तादात में मुसलमान मतदाता है। एक-एक लाख ठाकुर और शाक्य बिरादरी के मतदाता भी अहम भूमिका निभाते हैं।
पर सपा के भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक, ‘‘अखिलेश कन्नौज के साथ ही साथ फिरोजाबाद सीट से भी अपनी किस्मत आजमायेंगे’’। फिरोजाबाद सीट चुनने की वजह यह है कि नये परिसीमन में इस लोकसभा सीट के तहत जो जसराना और सिरसागंज विधानसभा क्षेत्र आये हैं। वहां अकेले यादव मतदाता ही निर्णायक भूमिका में होते हैं। यही नहीं, फिरोजाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्र-शिकोहाबाद, जसराना , फिरोजाबाद और टूंडला में से तीन सीटों पर भले ही बसपा के विधायक काबिज हों, पर नये परिसीमन में इन तीनों सीटों में भी जो इलाके जुड़े हैं, उससे बसपा की दावेदारी में पलीता लगता दिख रहा है, क्योंकि जुडऩे वाले क्षेत्रों में यादव बाहुल्य आबादी है। मुलायम के मुस्लिम-यादव समीकरण वाले वोटों की तादात क्रमश: तकरीबन साढ़े तीन व डेढ़ लाख के करीब बैठती है। वैसे भी फिरोजाबाद सीट समाजवादी पार्टी के ही रामजी लाल सुमन के कब्जे में थी। सुमन दो बार से यहां लगातार सांसद हैं। इसके पहले भाजपा के प्रभुदयाल कटेरिया भी लगातार दो बार यहां की नुमाइंदगी कर चुके हैं। नये परिसीमन में अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित ये सीट सामान्य श्रेणी में आ गयी है।