Bhopal: भोपाल के तालाब और राजा भोज

Bhopal: भोजपाल (bhojpal) जो कुछ काल के बाद संक्षिप्त होकर भोपाल हो गया को तालाबों का शहर कहा जाता है । यहाँ 18 विशाल तालाबों का एक समूह है।

Written By :  Dr Anand Pandey
Update:2022-10-07 19:22 IST

भोपाल के तालाब और राजा भोज: Photo- Social Media

Bhopal: भोजपाल (bhojpal) जो कुछ काल के बाद संक्षिप्त होकर भोपाल हो गया को तालाबों का शहर कहा जाता है । यहाँ 18 विशाल तालाबों का एक समूह (a group of ponds) है। जब हम इन तालाबों के निर्माण की तकनीकि पर दृष्टि डालते हैं तो शहर के वाटर इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट उदहारण प्रकट होता है ।

1100 सौ साल पहले किस तरह से नदियों तालाबों को जोड़कर उनकी दिशा बदली गई। साथ में प्राकृतिक बहाव को बरकरार रखा गया । जल निकासी के लिए 3 सीढी नुमा तालाब बनाए गए । भोपाल के "बड़ा तालाब " की आपनी एक अलग प्राकृतिक पहचान है । यह एशिया का सबसे बड़ा तालाब है । ऐसा कहा जाता है कि परमार वंश के राजा भोज जो भोपाल के संस्थापक (Founder of Bhopal) हैं, को चर्म रोग हो गया था किसी ऋषी ने उन्हें 365 नदी - नालों से बनाए गए जलाशय में स्नान करने की सलाह दी । इसी कारण राजा भोज ने 1010 से 1050 में भोजपुर में भीमकुण्ड का निर्माण कराया था ।

भीमकुण्ड का निर्माण

जब वे भीमकुण्ड का निर्माण करा रहे थे तो उन्हें 364 नदी नालों की संख्या तो मिल गई , लेकिन 365 में एक स्रोत की संख्या कम पड़ रही थी । गोंड सरदार कालिया ने मौजूदा भदभदा के पास स्रोत होने की जानकारी दी तो उन्होंने इस स्रोत को मिलाने के लिए वर्तमान कमला पार्क के पास डैम बनाकर कोलांस नदी की धारा को मोड़ा और फिर उसे बेतवा में मिला दिया गया ।

राजा भोज रोज इसी भीमकुण्ड में स्नान करते थे

इस तरह कोलांस, उलझावन और दूसरे नदी नालों को जोड़ते हुए बेतवा नदी पर 365 स्रोतों से निकले जल का भीमकुण्ड बनवाया गया । आगे बेतवा नदी उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में यमुना से मिल जाती है। इस यमुना का समागम प्रयागराज में आकर गंगा के साथ होता है । राजा भोज रोज इसी भीमकुण्ड में स्नान करते थे । यही उन्होंने प्रसिद्ध शिवमंदिर का निर्माण भी कराया था । भीम कुण्ड में स्नान करने से उनका चर्म रोग ठीक हो गया था । 

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