हाईटेक बाबाओं के पाखंड का 'बिग बाजार', धर्म के नाम पर गोरखधंधा
डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को रेप के मामले में सजा होने के बाद देश में बाबाओं को लेकर हर जगह चर्चा हो रही है। राम रहीम को दोषी ठहराए जाने के बाद कई स्थानों पर जमकर हुई हिंसा में जान-माल का भारी नुकसान हुआ। किसी बाबा के पीछे लोगों के अंधे होने का यह कोई पहला मामला नहीं है। देश में बाबाओं ने लोगों को मुसीबतों से निजात दिलाने का सपना दिखाकर इस कदर अंधा कर रखा है कि उनकी भक्ति में डूबे व्यक्ति को उचित-अनुचित का बोध ही नहीं रह जाता।
अंशुमान तिवारी
लखनऊ : डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को रेप के मामले में सजा होने के बाद देश में बाबाओं को लेकर हर जगह चर्चा हो रही है। राम रहीम को दोषी ठहराए जाने के बाद कई स्थानों पर जमकर हुई हिंसा में जान-माल का भारी नुकसान हुआ। किसी बाबा के पीछे लोगों के अंधे होने का यह कोई पहला मामला नहीं है। देश में बाबाओं ने लोगों को मुसीबतों से निजात दिलाने का सपना दिखाकर इस कदर अंधा कर रखा है कि उनकी भक्ति में डूबे व्यक्ति को उचित-अनुचित का बोध ही नहीं रह जाता।
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गरीब और अमीर सभी इनके चरणों में नतमस्तक नजर आते हैं और इनके लिए कुछ भी करने को उतारू हो जाते हैं। लोगों की मानसिकता का फायदा उठाकर ही इन बाबाओं ने अकूत संपत्ति भी बना ली है। अनुयायियों की लंबी-चौड़ी फौज के कारण राजनीतिक दल भी इनका समर्थन पाने को बेचैन रहते हैं।
संतन को कहा सीकरी सो काम ,
आवत जात पनहियां टूटी, बिसरि गयो हरि नाम!
जिनको मुख देखे दु:ख उपजत, तिनको करिबे परी सलाम!!
पांच सितारा जिंदगी के खुले पोशिदा राज
संत कुंभनदास ने कभी संत-महंत के बारे में यह बात कही थी। लेकिन अब जिस तरह के संत-महंत प्रकाश में आ रहे हैं, जिस तरह ‘सीकरी’ से उनके रिश्तों का पोशीदा राज सामने आ रहा है उसे देख समझकर यह कहा जा सकता है कि अब के संत कुंभनदास के इस पैमाने पर खरे उतरने लायक नहीं है। उतरना नहीं चाहते। यही वजह है कि कोई संन्यास का चोला ओढ़े सेक्स रैकेट में गिरफ्तार होता है तो किसी की पांच सितारा जिंदगी के पोशीदा राज खुलते हैं तो वह जेल की सींखचों के पीछे नजर आता है। कोई संन्यास का चोला ओढक़र खुद सीकरी बन बैठता है।
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हाईटेक बाबाओं की बाजार
बाबाओं का रसूख और रहनसहन देखकर लगता है कि उनकी नजर धर्म से ज्यादा बाजार पर है। यही वजह है कि कई नामधारी संतों के प्रवचन तक पैकेज में मिल जाते हैं। बाबा का आभामंडल ही नहीं, उनके प्रवचन व आशीर्वचन और उनके रहन-सहन का अंदाज सब हाईटेक हो गए हैं। इनके अनुयायियों का इन पर विश्वास है, श्रद्धा नहीं। ये खुद नहीं चाहते कि श्रद्धा उपजे क्योंकि श्रद्धा तर्क के बिना नहीं आती और विश्वास में तर्क की कोई गुंजाइश नहीं है। सामान बनाना और बेचना, अपने आशीर्वचन और प्रवचन को बाजार के हवाले करने के चलन ने इन्हें संत महंत के चोले में कुबेर बना दिया जो उन्हें पथ विचलित करता है।
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कोई भी ओढ़ लेता है भगवा चोला
इन दिनों जो भी नामधारी संत बदनाम हुए हैं उन सबकी जीवन शैली बिगाड़ने में अकूत संपत्ति की बड़ी भूमिका रही है। कई ने तो धर्म के बाजार में अकूत संपत्ति के चलते ही इस ओर रुख किया है। तभी तो कोई सिलाई करने वाला, कोई चौकीदारी करने वाला, कोई साइकिल बनाने वाला तो कोई छात्र जीवन में ही अनगिनत शरारतों से बदनाम हो चुका शख्स भगवा चोला ओढ़ लेता है। इनके काम नहीं, इनकी करतूतें ही इनकी पहचान हो जाती हैं। हाल फिलहाल गुरमीत राम रहीम को लेकर खुल रहे किस्से एक शर्मनाक स्थिति पैदा करते हैं। मठाधीश होकर कारनामे करने का यह चलन किसी एक धर्म तक ही सीमित नहीं है। जिस भी धर्म के संत महंत, मुल्ला मौलवी की ठीक से पड़ताल कीजिए तो ऐसे-ऐसे रहस्य और रोमांच के किस्से खुलते हैं जो देवकी नंदन खत्री के उपन्यास चंद्रकांता संतति से ज्यादा रहस्यमय नजर आते हैं। इन नामधारी संतों ने शंकराचार्यों तक को नहीं छोड़ा है।
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शंकराचार्य बनाए जाने का गोरखधंधा
बनारस में तो बाकायदा फर्जी शंकराचार्य बनाए जाने का गोरखधंधा चलता है। इस समय देश में 50 से अधिक शंकराचार्य घूमते-टहलते नजर आ जाएंगे, लेकिन धर्म के नाम पर इन कुख्यात कारनामों से इतर कई ऐसे भी संत है जिन्हें देखते ही श्रद्धा से सर खुद बखुद झुक जाता है। ऐसे संतों का सीकरी से कोई सीधा रिश्ता नहीं है। उनके लिए आम आदमी और सीकरी में कोई अंतर नहीं है। वे कनक, कामिनी और कंचन से बेहद दूर हैं। वैसे पूरा मसला सामाजिक-आर्थिक कारणों से जुड़ा हुआ है। सीकरी ही इन बाबाओं को खाद पानी मुहैया करा रही है क्योंकि सीकरी लोगों को वह सब उपलब्ध कराने में विफल रही जो इन बाबाओं के द्वारा सहजता से दिलायी जा रही है। अस्पताल, शादी-विवाह, सुरक्षा, शिक्षा, सामाजिक स्थान वगैरह जो कोई दे रहा है उसी ओर अनुयायियों की जमात की वफादारी है।