गऱीब वर्ग के जीवन स्तर में सुधार लाने को तेज करनी होगी विकास की गति

Update:2019-08-24 17:00 IST
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प्रह्लाद सबनानी

15 अगस्त 2019 को देश ने अपना 73वां स्वतंत्रता दिवस हर्षोल्लास से मनाया। लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के नाम अपने सम्बोधन में इस बार कई महत्वपूर्ण मुद्दों को छुआ। ट्रिपल तलाक, अनुच्छेद 370 एवं 35ए जैसे मुद्दों के साथ-साथ देश में व्याप्त कई सामाजिक मुद्दों एवं आर्थिक प्रगति के बारे में भी बहुत कुछ बताने का प्रयास किया। यह सही है कि वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद से, पिछले 5 वर्षों के दौरान, देश में गऱीब वर्ग के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए कई योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया गया है। जैसे स्वच्छ भारत योजना, उज्जवला योजना (7 करोड़ से अधिक गैस के नए कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं), शौचालय योजना (9.6 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है), जनधन खाता योजना (36 करोड़ से अधिक खाते खोले जा चुके हैं), प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (10 करोड़ परिवारों के 50 करोड़ लोगों को शामिल किया जा रहा है), प्रधानमंत्री आवास योजना (1.5 करोड़ से अधिक मकानों का निर्माण ग्रामीण इलाकों में किया जा चुका है) एवं 100 प्रतिशत गावों में बिजली उपलब्ध करा दी गई है।

इन योजनाओं को लागू करने के कई फायदे भी हुए हैं, जिसे कई अंतरराष्ट्रीय संस्थान भी अब स्वीकार करने लगे हैं। जैसे हाल ही में यूनाइटेड नेशंस द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2006 से 2016 के 10 वर्षों के दौरान बहुआयामी गरीबी की दर में लगभग 50 प्रतिशत की कमी आई एवं 27.10 करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से बाहर निकाल लिया गया। यह हमारा सपना होना ही चाहिए कि देश में गरीब से गरीब व्यक्ति का अपना घर हो, बिजली हो, पानी हो, ईंधन हो, ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क आदि उपलब्ध हो। साथ ही देश के नागरिकों में आज स्वाभिमान, आत्मसम्मान, आत्मविश्वास बढ़ाने की भी जरुरत है। एक बार देश के नागरिकों में इन विशेषताओं का संचार हो जाए तो फिर देश तरक्की के रास्ते पर तेज गति से चल पड़ेगा।

आर्थिक दृष्टि से भी यदि देखा जाय तो बहुआयामी गरीबी रेखा से ऊपर लाए गए इन लोगों को सरकार एवं समाज का आगे भी यदि बहुमूल्य एवं उचित सहयोग जारी रहे तो ये लोग कल देश में मध्यम वर्ग की श्रेणी में लाए जा सकते हैं। इससे देश में उत्पादित हो रही वस्तुओं की मांग में जबरदस्त वृद्धि देखने को मिल सकती है। इसका सीधा लाभ देश के उद्योग, व्यापार, सेवा क्षेत्र, कृषि क्षेत्र को भी होगा। निश्चित ही इससे देश में खुशहाली आएगी।

देश की आज़ादी के 72 वर्षों के बाद भी आज गावों में महिलाएं 2 से 5 किलोमीटर तक की दूरी तय करके पानी से भरा एक घड़ा अपने सिर पर रखकर घर लाती हैं एवं इस प्रकार अपने घर के लिए पीने के पानी की व्यवस्था करती हैं। अब प्रधानमंत्री का ध्यान इस गंभीर समस्या को हल करने की ओर भी गया है तथा इस समस्या को हल करने के लिए उन्होंने जल जीवन मिशन की घोषणा अपने उद्बोधन के दौरान की। इस योजना के अंतर्गत शहरी एवं ग्रामीण इलाकों के समस्त घरों में पीने के जल की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने इस मद में 3.50 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पानी की उपलब्धि के क्षेत्र में पिछले 70 साल के दौरान जो काम हुआ है उसका चार गुना काम अगले 5 साल के दौरान करने की जरुरत है। जल जीवन मिशन को जन सामान्य का आंदोलन बनाना होगा, जिससे जल का न केवल उचित उपयोग हो बल्कि भविष्य के लिए भी जल संचयन किया जा सके।

आज के गरीब वर्ग को मध्यम वर्ग में लाने के लिए देश में रोजगार के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध कराने होंगे। इसके लिए देश में ही पर्यटन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसमें निवेश की भी अधिक आवश्यकता नहीं होती है। हम सभी देशवासियों को मिलकर काम करना होगा। अगर हम सब लोग मिलकर यह प्रण करें कि विदेशों में स्थित पर्यटन स्थलों की जगह हम अपने देश के ही पर्यटन स्थलों का भ्रमण करेंगे तो हम अपने देश में ही बगैर किसी विशेष निवेश के रोजगार के अधिक से अधिक अवसरों का निर्माण करने में सफल होंगे।

दूसरे हमारे देश में हर जिले की अपनी-अपनी विशेषता है। कहीं हथकरघा उद्योग अपने चरम पर है तो किसी जिले को बर्तन बनाने में महारत हासिल है, कहीं के ताले बहुत मशहूर हैं तो कहीं की मिठाई बहुत प्रसिद्ध है। ये सभी जिले यदि अपनी-अपनी विशेषताओं को निखार देकर, नवोन्मेश करके, अपने उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाएं और फिर इन उत्पादों का निर्यात करें तो ये समस्त जिले अपने आप को निर्यात केंद्र के रूप में विकसित कर सकते हैं। इस प्रकार, अपने ही जिले में न केवल रोजगार के कई नए अवसर निर्मित किए जा सकते हैं बल्कि अपने गांव एवं परिवार के सदस्यों का पलायन भी दूसरे शहरों एवं राज्यों की ओर रोका जा सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले 5 साल के दौरान देश को 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना ही होगा, यह चाहे जितना भी कठिन कार्य लगता हो। प्रधानमंत्री इसलिए यह भी घोषणा की है कि आगे आने वाले समय में देश में 100 लाख करोड़ का निवेश आधुनिक आधारिक संरचना को विकसित करने के लिए किया जाएगा। इसमें भारतमाला परियोजना, सागरमाला परियोजना, आधुनिक रेल्वे, आधुनिक पोर्ट, विश्व स्तर के शिक्षण संस्थान, आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित अस्पताल आदि शामिल होंगे। इस घोषणा से तो देश में सुस्त पड़ रही अर्थव्यवस्था को काफी बल मिलेगा। अंत में यही कहा जा सकता है कि देश में आज स्थिर सरकार है, स्थिर नीतियंा हंै, मुद्रास्फीति की दर नियंत्रण में है, आर्थिक आधारभूत ढांचा मजबूत स्थिति में है, जीएसटी को सफलतापूर्वक लागू किया गया है, पुराने कई गैर जरूरी कानूनों को समाप्त कर तथा नए कानूनों को आसान बनाकर देश में व्यापार करने को आसान बनाया गया है। पूरा विश्व आज हमारे साथ जुडऩा चाह रहा है। इन अवसरों को हाथ से जाने नहीं देना चाहिए। उद्योग-जगत, देश के नागरिकों एवं हम सभी को मिलकर देश के विकास को गति देनी ही होगी ताकि देश में रोजगार के अधिक से अधिक अवसरों का निर्माण कर देश में जीवन को और आसान बनाया जा सके।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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