Jitin Prasada: भाजपा बन रही कांग्रेस

Jitin Prasada: गांधी परिवार के इतने करीब होने का बावजूद जितिन प्रसाद ने कांग्रेस पार्टी क्यों छोड़ी?

Written By :  Dr. Ved Pratap Vaidik
Published By :  Chitra Singh
Update:2021-06-11 10:32 IST
योगी आदित्यनाथ-अमितशाह-जितिन प्रसाद और सोनिया गांधी (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

Jitin Prasada: प्रसिद्ध कांग्रेसी नेता जितेंद्र प्रसाद (Jitendra Prasada) के बेटे और पूर्व मंत्री जितिन प्रसाद (Jitin Prasada) के भाजपा-प्रवेश ने हलचल-सी मचा दी है। हमें इस घटना को पहले दो दृष्टियों से देखना होगा। एक तो यह कि उत्तरप्रदेश की भाजपा को इससे क्या फायदा होगा और दूसरा उत्तर प्रदेश की कांग्रेस को इससे क्या नुकसान होगा ?

एक तीसरी दृष्टि भी है। वह यह कि भाजपा और कांग्रेस, इन दोनों पार्टियों के भविष्य पर इस घटना का कुल मिलाकर क्या प्रभाव पड़ेगा? यह ठीक है कि जितिन अपनी पार्टी कांग्रेस में माँ-बेटा और भाई-बहन के नजदीक थे और उन्हें प. बंगाल का चुनाव-प्रभारी भी बनाया गया था, फिर भी उन्होंने कांग्रेस क्यों छोड़ी? उनका कहना है कि वे कांग्रेस में रहकर जनता की सेवा नहीं कर पा रहे थे।

जितिन का तात्पर्य यह है कि राजनीति में लोग जनता की सेवा के लिए जाते हैं। इस पर कांग्रेसी और भाजपाई दोनों हंस देंगे। नेताओं को पता होता है कि वे राजनीति में क्यों जाते हैं। पैसा, दादागीरी और अहंकार-तृप्ति- ये तीन प्रमुख लक्ष्य हैं, जिनके खातिर लोग राजनीति में गोता लगाते हैं।

जितिन 23 कांग्रेसी नेताओं में से एक

कांग्रेस आजकल झुलसता हुआ पेड़ बन गई है। उसमें रहकर ये तीनों लक्ष्य प्राप्त करना कठिन है। हां, आपकी किस्मत तेज हो और आप अशोक गहलोत या भूपेश बघेल हों तो क्या बात है ? और फिर जितिन पिछले दो चुनाव हार चुके हैं और बंगाल में कांग्रेस की शून्य उपलब्धी भी उनके माथे पर चिपका दी गई है। जितिन उन 23 कांग्रेसी नेताओं में भी शामिल हैं, जिन्होंने कांग्रेस की दुर्दशा सुधारने के लिए सोनियाजी को पत्र भी लिखा था।

मां-बेटा के नेतृत्व से खफा थे पिता जितेंद्र प्रसाद

जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद मां-बेटा नेतृत्व से इतने खफा हो गए थे कि उन्होंने सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के विरुद्ध अध्यक्ष-पद का चुनाव भी लड़ा था। चुनाव के दिन वे इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में मेरे साथ लंच कर रहे थे। वे कांग्रेस के भविष्य के बारे में बहुत चिंतिति थे लेकिन उन्होंने सोनियाजी के विरुद्ध मुझसे एक शब्द भी नहीं कहा। सोनिया गांधी ने उन्हें बाद में अपना उपाध्यक्ष भी बना लिया था, लेकिन बगावत की वह चिन्गारी उनके बेटे के दिल में भी सुलग रही थी।

यूपी में भाजपा का ब्राह्मण-चेहरा बनने की कोशिश

खैर, अब वे उ.प्र. की राजनीति में भाजपा का ब्राह्मण-चेहरा बनने की कोशिश करेंगे। वैसे रीता बहुगुणा, ब्रजेश पाठक और दिनेश शर्मा आदि ब्राह्मण चेहरे भाजपा के पास पहले से हैं। योगी आदित्यनाथ को राजपूती चेहरा माना जा रहा है। उ.प्र. के 13 प्रतिशत ब्राह्मण वोटों को खींचने में जितिन की भूमिका कैसी रहेगी, यह देखना है। यदि योगी और जितिन में ठन गई तो क्या होगा ? जितिन के भाजपा-प्रवेश के मौके पर योगी भी साथ खड़े होते तो बेहतर होता। ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद के बाद अब सचिन पायलट और मिलिंद देवड़ा भी रस्सा तोड़कर उस पार कूद जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। कांग्रेस की हालत सुधरने के कोई आसार दिखाई नहीं पड़ रहे। अब तो भाजपा ही कांग्रेस बनती जा रही है। इसमें जो भी चला आए, उसका स्वागत है।

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