ऐरे गैरे नत्थू खैरे अब समझाएंगे पत्रकार और पत्रकारिता के मानक

ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में तमाम ऐसे लोग विचारवान होकर उभर रहे हैं, जो बिचौलियों और दलालों की देन हैं, जिनकी न तो अपनी कोई सोच है, न विचारधारा, जिनकी सारी ऊर्जा रेत छानने में जा रही है। दोष इनका नहीं है, इनके आकाओं की सोच का है। पुराने बुजुर्ग कहा करते थे बोलिबो न आयो तो सीखिबो सब धूरि में गयो। आज जिसके जी में जो आ रहा है मुंह फाड़ दे रहा है।

Update:2020-01-27 17:56 IST

रामकृष्ण वाजपेयी

वास्तव में आज के दौर में पत्रकारिता और पत्रकार की स्थिति गरीब की उस लुगाई की तरह बनाने की कोशिश की जा रही है, जो पूरे मुहल्ले की भौजाई होती है। जिसका जी कर रहा है वह पत्रकारों पर एक ढेला फेंक दे रहा है, पत्रकारिता की लानत मलामत कर दे रहा है। ऐसे ऐरे गैरे नत्थू खैरों की एक लंबी जमात खड़ी होती जा रही है जिनकी अपनी कोई हैसियत नहीं है।

ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में तमाम ऐसे लोग विचारवान होकर उभर रहे हैं, जो बिचौलियों और दलालों की देन हैं, जिनकी न तो अपनी कोई सोच है, न विचारधारा, जिनकी सारी ऊर्जा रेत छानने में जा रही है। दोष इनका नहीं है, इनके आकाओं की सोच का है। पुराने बुजुर्ग कहा करते थे बोलिबो न आयो तो सीखिबो सब धूरि में गयो। आज जिसके जी में जो आ रहा है मुंह फाड़ दे रहा है।

आज एक ट्वीट पर नजर पड़ी ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के किसी जिम्मेदार ने किया था, उन्होंने अपने ट्वीट में वेब पोर्टल पत्रकारों की ऐसी तैसी की थी। कहा जाता है कि जब आप दूसरे की तरफ एक उंगली उठाते हो, तो बाकी चार उंगली आपकी तरफ उठती हैं। दूसरे पर उंगली उठाना आसान होता है, लेकिन अपनी जमात पर उंगली उठाना कठिन।

बात अगर ओमप्रकाश राजभर की ही करें तो वह अपने विवादित बयानों को लेकर लगातार चर्चा में रहते आए हैं। बहुजन समाज पार्टी में इनकी मायावती से नहीं बनी और भाजपा के साथ आने पर इनके विवादित बयानों को लेकर भाजपा सरकार में मंत्रिमंडल से बर्खास्त हुए।

नई पारी की तैयारी कर रहे हैं नेताजी

इस समय ओमप्रकाश राजभर नई पारी की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने हाल में एलान भी किया है कि, 2022 में भागीदारी संकल्प मोर्चा चुनाव लड़ेगा। ये मोर्चा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अलावा बाबू सिंह कुशवाहा, अनिल सिंह चौहान, बाबू रामपाल, रामधनी बिंद, देवेंद्र निषाद सबको एकजुट कर चुनाव लड़ेगा। उनकी तैयारी सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ने की है। उत्तर प्रदेश विधानसभा के 2022 के चुनाव में उनके हिसाब से भाजपा को नया मोर्चा टक्कर देगा।

2018 की बात करें तो एक स्टिंग आपरेशन में तत्कालीन मंत्री ओम प्रकाश राजभर के निजी सचिव ओम प्रकाश कश्यप एक शिक्षा अधिकारी के स्थानांतरण के लिए सौदेबाजी करते "हमको लगता है 30 से 40 तो चलता है (मेरे लिए, ऐसा लगता है कि 30-40 करेंगे)," सुने गए थे। ये अलग बात है कि इस स्टिंग में दो और मंत्रियों के पीएस भी जद में आए थे। लेकिन ओमप्रकाश राजभर व अन्य मंत्रियों को सफाई तो देनी पड़ गई थी। पीएस हटाकर मामला रफा दफा हुआ था।

ओम प्रकाश राजभर अपने विवादित बयानों के लिए मशहूर रहते हैं। उनके खिलाफ बीजेपी से जुड़े लोगों के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल करने के आरोप में मुकदमा भी दर्ज हो चुका है।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये लेखक के निजी विचार हैं

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