लखनऊ: उत्तर प्रदेश के अपने हालिया दौरे पर गोरखपुर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी सरकार और अखिलेश यादव पर चौतरफा हमला किया। इस हमले में सियासत में सेहत को हथियार बनाया गया। उत्तर प्रदेश में गोरखपुर की दशकों पुरानी एम्स की मांग को जहां नरेंद्र मोदी ने पूरा किया वहीं प्रदेश को पांच नए मेडिकल कालेजों की सौगात भी दी।
इसके साथ ही मोदी ने गोरखपुर में यह भी ऐलान कर दिया कि केंद्र के पास यूपी की सेहत के पांच हजार करोड़ रुपए रखे हैं, लेकिन यूपी सरकार को लेने की फुरसत नहीं। इस ऐलान से मोदी ने साफ कर दिया कि केंद्र की भाजपा गठबंधन सरकार सियासत में सेहत के रास्ते सत्ता तक पहुंचने की जुगत लगा चुकी है।उत्तर प्रदेश के लिए जिस तरह पांच मेडिकल कालेजों का ऐलान किया गया है उससे साफ है कि सेहत का सबब इस बार सियासत के सबसे बड़े अखाडे का चरखा दांव साबित हो सकता है। उत्तर प्रदेश मे जिन पांच जिलों को मेडिकल कालेज की बूटी दी गयी है वहां पर सियासत की फसल भी काफी हर और पक चुकी है।
फैजाबाद, शाहजहांपुर, फिरोजाबाद, बहराइच और बस्ती पांच जिलों में मेडिकल कालेज दिया गया है वहां पर ज्यादातर विधानसभा सीटों पर सपा ने पिछली बार बाजी मारी थी। इन जिलों की 26 सीटों के अलावा गोरखपुर में एम्स ने एक बड़ा संदेश दिया है कि केंद्र सरकार यूपी की सेहत को लेकर संजीदा है।
उत्तर प्रेदश में जिस तरह से चुनावी चौसर बिछ चुकी है, अब हर चाल का मतलब है और हर बाजी के मायने हैं। ऐसे में मोर्चा खुद प्रधानमंत्री ने संभाला है। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान भी वोट नरेंद्र मोदी के नाम पर ही मिले थे। ऐसे में विधानसभा चुनाव के दौरान भी किसी भी चेहरे से ज्यादा भरोसा यूपी के लोगों को नरेंद्र मोदी पर है।
नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने जिस तरह से पांच मेडिकल कालेजों की घोषणा की, उससे साफ है कि चुनावी साल में भाजपा इसका असर जिलों की 26 सीटों से कहीं ज्यादा देख रही है। वैसे भी अगर इलाकों के हिसाब से देखा जाय तो शाहजहांपुर रुहेलखंड में आता है, फैजाबाद अवध में, फिरोजाबाद ब्रज में ,बस्ती और बहराइच अवध और पूर्वांचल दोनों में आते हैं।
ऐसे में माना जा रहा है कि ये पांच मेडिकल कालेज चुनावी लडाई में बडे हथियार साबित होंगे। वहीं पूर्वांचल को एम्स की सौगात देकर नरेंद्र मोदी ने अपनी पार्टी के पुराने, पर छिन चुके गढ़, पूर्वांचल को वापस पाने की जमीन तैयार कर दी है।उत्तर प्रदेश की सेहत की बात की जाय तो देश की सबसे बडी आबादी और राजनीतिक रुप से सबसे महत्वपूर्ण इस प्रदेश की सेहत बहुत अच्छी नहीं है। देश भर में एक दशक मे होने वाली जनसंख्या बढ़ोत्तरी की बात की जाय तो उत्तर प्रदेश में 20.09 फीसदी की बढत हुई है। जबकि देश भर में यह बढ़त सिर्फ 17.64 फीसदी है।
वहीं देश भर में शिशु मृत्यु दर जहां 40 प्रति हजार है वही उत्तर प्रदेश में यह आंकडा 50 प्रति हजार है। इसी तरह मातृ मृत्यु दर जहां देश में 178 है वहीं उत्तर प्रदेश 392 है। उत्तर प्रदेश में प्रति 1000 पुरुषों पर 908 महिलाएं है तो देश में यह दर 940 महिलाएं प्रति 1000 है।
उत्तर प्रदेश में हेल्थ सब सेंटर मानक से 10 हजार से ज्यादा कम है। पीएचसी 1480 कम हैं, सीएचसी 778 कम हैं। स्वीकृत पदों से टेक्नीशियन 30 फीसदी, रेडियोग्राफर करीब 60 फीसदी से ज्यादा पद खाली है। वहीं नर्सिंग स्टाफ के आधे ज्यादा पद खाली हैं। सबसे खास बात यह है कि यह आकंड़े स्वीकृत पदों पर है जो कि मानकों के हिसाब से भी काफी कम हैं।
नरेंद्र मोदी ने सेहत को लेकर जो सियासत शुरु की है उससे साफ है कि इस बार हमलों की ना तो धार कम होगी न ही बौछार। तभी तो प्रधानमंत्री ने साफ कहा कि उत्तर प्रदेश की सेहत के लिए केंद्र के पास 7 हजार करोड़ रुपये रखे हैं और प्रदेश सरकार के पास 5200 करोड़ लेने की फुरसत नहीं है।
अब लडाई आर पार की है। दुदुंभी बज चुकी है। सेना सज चुकी है। तुरीण से तीर निकल चुके है। और जिस तरह के तेवर हैं, उससे साफ है कि इस बार के यूपी के महाभारत में सेहत भी उन दिव्यास्त्रों में एक होगा जो लडाई की दिशा को तय करने का माद्दा रखा है।