सियासत से बाहर निकलेगा अयोध्या, हिंदू ही नहीं अब मुसलमान भी बोल रहे हैं जय श्री राम

Update:2017-03-31 14:56 IST

Vinod Kapoor

लखनऊ: अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने 31 मार्च को जल्द सुनवाई से इनकार कर यह साफ संकेत दिया कि दोनों पक्ष आपसी सहमति से इस मसले को हल करें। दूसरी ओर यूपी में अब मुसलमानों की ओर ये अयोध्या में मंदिर बनाने की जोर पकड़ती मांग यह सुखद संदेश दे रही कि अब इस मसले पर सियासत करने वालों की बहुत दिनों तक नहीं चलेगी।

पिछले दो दिन से राजधानी लखनऊ के सभी छोटे बड़े चौराहों ओर महत्वपूर्ण स्थानों पर ऐसे पोस्टर और होर्डिंग की बाढ़ आ गई है, जिसमें मुसलमान अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने की अपील कर रहे हैं। राम को अपना आदर्श मानने वाले मुसलमान अब तो मंदिर निर्माण के लिए आगे आ रहे हैं। ऐसा लगने लगा है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण बीजेपी ,विश्व हिंदू परिषद या हिंदू संगठनों का एजेंडा नहीं है, बल्कि इसे राम भक्त मुसलमानों ने अपना एजेंडा बना लिया है।

ऐसा नहीं है कि किसी एक संस्था या व्यक्ति की ओर से ऐसे होर्डिंग लगाए जा रहे हैं। अलग-अलग नाम और वो भी अलग-अलग दल के मुसलमान जो चाहते हैं कि इस मसले का हल जल्द निकल जाए। इसमें कुछ सपा में शामिल मुसलमान हैं तो कुछ कांग्रेस में शामिल। कुछ ऐसे भी जिनका किसी राजनीतिक दल से कोई तालुक्क नहीं।

जल्द सुनवाई संभव नहीं: सुप्रीम कोर्ट

देश की सर्वोच्च कोर्ट ने आज साफ कह दिया कि इस मामले में जल्द सुनवाई संभव नहीं है। दोनों पक्षों को और समय देने की जरुरत है। बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने जल्द सुनवाई की अर्जी दी थी। आज शुक्रवार (31 मार्च) को कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी की मांग ठुकराते हुए कहा कि इस मामले पर जल्द सुनवाई के लिए हमारे पास वक्त नहीं है। देश की शीर्ष अदालत ने मंगलवार (21 मार्च) को सुनवाई के बाद दोनों पक्षकारों को आपस में मिलकर विवाद सुलझाने को कहा था।

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मुसलमानों ने बनाई है संस्था

मुसलमानों ने इसके लिए एक संस्था भी बनाई है जिसका नाम श्री राम मंदिर निर्माण मुस्लिम कार सेवक मंच रखा गया है । इसके अध्यक्ष आजम खान हैं । ये सपा के अपने बयानों से आग उगलने वाले आजम खान नहीं हैं। उन्होंने राजधानी में कई जगह ऐसी होर्डिंग लगवाई है जिसमें उन्होंने राम मंदिर निर्माण की बात कही है। आजम कहते हैं कि राम सिर्फ हिंदुओं के ही नहीं, बल्कि मुसलमानों के लिए भी आदर्श हैं।

क्या कहते हैं आजम खान ?

राम के बिना अच्छे राष्ट्र का निर्माण संभव नहीं है। अपनी बात कहने में वो अमिताभ बच्चन की 1993 में आई फिल्म खुदा गवाह का जिक्र करते हैं, जिसमें एक पठान और राजपूत की दोस्ती को भी दिखाया गया था। आजम कहते हैं कि वो पठान हैं। संभवत धर्म परिवर्तन के पहले उनके पूर्वज राजपूत ही रहे होंगे।

जैसे राजपूत अपनी बात के पक्के होते हें वैसे ही पठान भी अपनी बात के पक्के होते हैं। जो कह दिया वो कह दिया। आजम के मुंह से बात शुरू करने के पहले और खत्म होने के बाद जयश्री राम सुनना अच्छा लगता है। आजम की लगाई होर्डिंग में लिखा है देश के मुसलामानों का यही है मान,श्री राम मंदिर का हो वहीं निर्माण। एक ही लक्ष्य।

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मुस्लिम संगठनों से मिल रही हैं धमकियां

आजम के लिए ये करना बहुत आसान नहीं है। उन्हें कट्टर मुस्लिम संगठनों और लोगों से धमकियां भी मिल रही हैं । उनका कहना है कि जब से उन्होंने राम मंदिर के निर्माण की बात की है और पोस्टर, होर्डिंग लगवाए हैं तब से उनके पास कई धमकी भरे फोन कॉल्स आ रहे हैं। पुलिस से अपने परिवार के लिए सुरक्षा की मांग की है। उन्होंने कहा कि मैं इन धमकी भरे फोन कॉल्स से डरता नहीं हूं। मैं राम को आदर्श मानता हूं और मैं इस मुद्दे से पीछे हटने वाला नहीं हूं।

आम मुसलमानों की मंदिर निर्माण में पहल इस बात की ओर साफ इशारा कर रही है कि अब मंदिर के सवाल पर खून नहीं बहेगा। जितना बहना था वो बह गया। सरयू को खून से जितना लाल होना था वो हो चुकी। शायद अब ऐसा नहीं होगा। मुसलमानों की ये पहल देश की सर्वोच्च अदालत पर होने वाले इस प्रेशर को भी कम करेगी कि अयोध्या मामले में जल्द सुनवाई और फैसला हो।

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