मित्रों, सवा सौ करोड़ के देश में एक प्रदेश ऐसा है जिसकी आबादी सवा करोड़ है लेकिन इसने सबसे ज्यादा हड़ताल करने का रिकॉर्ड बनाया है। चिंता करनी चाहिए कि नहीं करनी चाहिए..? लोग कहते हैं मोदी जी यहां भी आपकी पार्टी की ही सरकार है! चिंता की जानी चाहिए या नहीं। उत्तराखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष श्रीमान अजय भट्ट जी.. जब आप इसकी सूचना सार्वजनिक करते हैं तो अपनी नौ महीने की सरकार को रेखांकित करते हैं या नहीं.. मैं पूछना चाहता हूं श्रीमान त्रिवेंद्र सिंह रावत जी से क्या ऐसे ही सरकार चलेगी.. क्या ऐसी ही सरकार चलनी चाहिए लोग पूछने लगे हैं.. मोदी जी.. आपने डबल इंजन की सरकार की बात कही थी यहां तो पहला इंजन ही ठहर गया है.. मैं उन्हें बता देना चाहता हूं कि साठ सालों में जब यहां रेल की पटरी नहीं बनी तो दो इंजन क्या कर लेंगे?
मित्रों! कांग्रेस को इसका जवाब देना चाहिए कि नहीं? बेचारे त्रिवेंद्र सिंह रावत जी बिना पटरी के इंजन को किस पहाड़ पर चढ़ा दें? मैं पूछना चाहता हूं कि ये नौ महीने..नौ महीने की बात बार-बार क्यों उठाई जा रही है। सरकार को शपथ लिए नौ महीने हुए.. गर्भवती हुए नहीं..फिर ये डिलीवरी की उम्मीद क्यों की जा रही है.. ये संस्कारी सरकार है अभी गौने में है.. देवरों को चाहिए कि थोड़ सबर करें। अभी तो घर वाले ही सौ नुक्सों से परेशान हैं.. बुआ, ताई, दादी, मौसी बिट्टो को सुधारने में लगी हुई है.. आप ही बताइये पहले घर वालों को ये हक मिलना चाहिए कि नहीं? पर मान लो कि बिट्टो नहीं चला पाई गृहस्थी तो कोई बात नहीं हमारे यहां कौन सी और बिट्टओं की कमी है? मै पूछना चाहता हूं कि क्या पहले कभी ऐसा नहीं किया है क्या? हम सनातनी लोग हैं परंपराओं को मानते भी हैं और दोहराते भी हैं। ये ठीक है कि कुछ कमियां हैं किसमें नहीं हैं? आप किसी भी कांग्रेसी सरकार के मुख्यमंत्री को देख लीजिए.. लोग पूछेंगे कि आप अपने मुख्यमंत्रियों का उदाहरण क्यों नहीं देते?
मित्रों साठ साल के फैलाए कीचड़ से कमल बनके निकले हैं.. अगर कांग्रेस ने कीचड़ न फैलाया होता तो इतने कमल कहां से खिलते? आप ही बताइए खिलते क्या? पहाड़ों पर गाड़ी की रफ्तार बीस किलोमीटर प्रति घंटे की होती है तो विकास की रफ्तार कितनी होनी चाहिेए? अगर हरीशजी ने ये रफ्तार नहीं पकड़ी होती तो क्या हमारी सरकार बन पाती.. हमारा दिल बड़ा है.. हमारा दल बड़ा है.. हमने कमल के साथ कीचड़ को भी सम्मान दिया है.. जिस कांग्रेस के कारनामों ने हमारे कमल उगाए हमने कीचड़ से सने कुछ होथों को भी कमल छाप कर दिया..इसे ही कहते हैं सबका साथ सबका विकास.. उत्तराखंड इसका सबसे प्रत्यक्ष उदाहरण है कि नहीं.. आखिर सबके अच्छे दिन आने चाहिए कि नहीं.. मां गंगा के आँचल में सबको अपने-अपने पाप धोने का हक मिलना चाहिए कि नहीं.. श्रीमान त्रिवेंद्र जी लोगों का क्या कहते ही रहेंगे.. आप अपना काम करते जाइए.. जब तक चल रहा है.. चल रहा है..जब ज्यादा हो जाएगा तो आपको झोला पकड़ा देंगे..और आप चल दीजिएगा.. बहुत बहुत धन्यवाद।
वंदे मातरम
(संपादक उत्तराखंड संस्करण)